<p><strong>राज एक्सप्रेस। </strong>ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) एक ऐसा उपकरण है जिसे वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बाल मृत्यु दर, कुपोषण और बच्चों की लंबाई अनुसार वजन मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बीते दिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने एक <a href="https://www.globalhungerindex.org/results.html">रिपोर्ट</a> जारी की। यह रिपोर्ट साल 2016-18 की UNICEF, WHO जैसी संस्थानों से जुटाकर तैयार की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने स्वास्थ के क्षेत्र में पिछली रिपोर्ट के मुकाबले खराब प्रदर्शन किया है। 112 देशों में भारत 102वें स्थान पर है। इसका मतलब है कि भारत बाल मृत्यु दर, कुपोषण जैसे क्षेत्र में सुधार करने में असफल रही है। इस सूची में भारत की रैंकिंग पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है।</p><p> बेलारूस, यूक्रेन ,तुर्की, क्यूबा और कुवैत रिपोर्ट में शीर्ष स्थान पर हैं।</p>.<p><strong>GHI इस आधार पर रैंकिंग करती है</strong></p><p>GHI रैंकिंग, निम्न आधारों पर होती है -</p><p>अल्पोषण/ undernourisment - कैलोरी सेवन अपर्याप्त</p><p>चाइल्ड वेस्टिंग/ Child Wasting - बच्चे जिनका वज़न उनकी उम्र से कम हो</p><p>चाइल्ड स्टंटिंग/ Child Stunting - वे बच्चे जिनकी उम्र के अनुासर लंबाई कम हो।</p><p>मृत्यु दर/ Child Mortality - बच्चों की मृत्यु दर।</p>.<p>इन पैमानों से जानकारी जुटाने के बाद सभी देशों को अंकित किया जाता है। वो निम्न प्रकार हैं-</p><p>अत्यधिक खतरनाक ≥ 50.0</p><p> अलार्मिंग 35.0-49.9</p><p> गंभीर 20.0-34.9</p><p> मॉडरेट 10.0–19.9</p><p> निम्न ≤ 9.9</p><p>ग्लोबल रैंकिंग इंडेक्स में भारत को 20.0- 34.9 के बीच प्रतिशत है। जिसका मतलब भारत में बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी हालात अभी भी गंभीर है। </p>.<p><strong>रिपोर्ट्स इन डिटेल</strong></p><p>ग्लोबल रैंकिंग इंडेक्स ने रैंक देने के अलावा देशों के पिछड़ने के कारण भी बताए हैं। इस रैंकिंग में दक्षिण एशियाई देशों में भारत की रैंक सबसे पीछे है। जिसका का एक मुख्य कारण भारत की आबादी भी है। </p><p>GHI की रिपोर्ट के अनुसार सभी देशों के मुकाबले भारत ऐसा देश है जहाँ Child Wasting (लंबाई के अनुसार वज़न कम) सबसे ज्यादा है। चाइल्ड वेस्टिंग में भारत को 20.8% अंक मिले हैं। यदि child Stunting (उम्र के हिसाब से लंबाई कम) में भारत 37.9% मिले हैं। स्वास्थ के मद्देनज़र ये प्रतिशत भी काफी ज्यादा है।</p><p>हमारे देश में 6-23 महीने के बच्चों में 9.6 प्रतिशत बच्चों को संपूर्ण पोषण आहार नहीं मिलता। गौर फरमाने वाली बात तो यह भी है कि हमारे देश के घरों में 2015-16 के बीच शुद्ध पेयजल उपलब्ध होने लगा।</p><p>रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत में 35 फीसदी बच्चे छोटे कद हैं जबकि 17 फीसदी बच्चे कमजोर श्रेणी में आते हैं।</p><p>अक्टूबर महीने के शुरूआती दिनों में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्र पोषण सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया गया था, जिसमें देशभर के 19 साल तक के 112,000 बच्चों का सर्वे किया गया था, जिसमें कुपोषणों के उपायों की प्रगती के बारे में बताया गया था। न्यूट्रीशन एक्सपोर्ट के अनुसार साल 2016- 18 में GHI और CNNS की आंकड़े की तुलना में भारत में बाल कुपोषण का स्तर कम हुआ है।</p><p>दक्षिण एशियाई देशों में भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में सबसे नीचे पायदान पर है। जिसका मतलब है हम पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से भी पीछे हैं। उक्त चारों देशों की रैंकिंग 94,88,73, और 66 है। भारत साल 2010 में इस लिस्ट में 95वें पायदान पर था जो कि 2019 की लिस्ट में 102वें स्थान पर पहुँच गया है।</p>.<p><strong>क्या है सभी देशों का लक्ष्य</strong></p><p>सभी देशों को साल 2030 तक दूसरा सतत् विकास लक्ष्य हासिल करना है। जिसमें हंगर रेट को शून्य तक पहुँचाना भी शामिल है। लेकिन कई देशों के प्रदर्शन से लगता नहीं कि वे सभी 2030 तक ये लक्ष्य प्राप्त कर पाएंगी।</p><p>बता दें GHI ज्यादा आय वाले देशों का सर्वे नहीं करती क्योंकि, उन देशों में ऐसी स्थिति उत्पन्न होना मुश्किल है। GHI कम संख्या वाले देशों का भी सर्वे नहीं करती। </p>. <p><em><strong>ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे <a href="https://t.me/rajexpresshindi">टेलीग्राम </a>चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। <a href="https://t.me/rajexpresshindi">@rajexpresshindi</a> के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।</strong></em></p>
<p><strong>राज एक्सप्रेस। </strong>ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) एक ऐसा उपकरण है जिसे वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बाल मृत्यु दर, कुपोषण और बच्चों की लंबाई अनुसार वजन मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बीते दिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने एक <a href="https://www.globalhungerindex.org/results.html">रिपोर्ट</a> जारी की। यह रिपोर्ट साल 2016-18 की UNICEF, WHO जैसी संस्थानों से जुटाकर तैयार की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने स्वास्थ के क्षेत्र में पिछली रिपोर्ट के मुकाबले खराब प्रदर्शन किया है। 112 देशों में भारत 102वें स्थान पर है। इसका मतलब है कि भारत बाल मृत्यु दर, कुपोषण जैसे क्षेत्र में सुधार करने में असफल रही है। इस सूची में भारत की रैंकिंग पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है।</p><p> बेलारूस, यूक्रेन ,तुर्की, क्यूबा और कुवैत रिपोर्ट में शीर्ष स्थान पर हैं।</p>.<p><strong>GHI इस आधार पर रैंकिंग करती है</strong></p><p>GHI रैंकिंग, निम्न आधारों पर होती है -</p><p>अल्पोषण/ undernourisment - कैलोरी सेवन अपर्याप्त</p><p>चाइल्ड वेस्टिंग/ Child Wasting - बच्चे जिनका वज़न उनकी उम्र से कम हो</p><p>चाइल्ड स्टंटिंग/ Child Stunting - वे बच्चे जिनकी उम्र के अनुासर लंबाई कम हो।</p><p>मृत्यु दर/ Child Mortality - बच्चों की मृत्यु दर।</p>.<p>इन पैमानों से जानकारी जुटाने के बाद सभी देशों को अंकित किया जाता है। वो निम्न प्रकार हैं-</p><p>अत्यधिक खतरनाक ≥ 50.0</p><p> अलार्मिंग 35.0-49.9</p><p> गंभीर 20.0-34.9</p><p> मॉडरेट 10.0–19.9</p><p> निम्न ≤ 9.9</p><p>ग्लोबल रैंकिंग इंडेक्स में भारत को 20.0- 34.9 के बीच प्रतिशत है। जिसका मतलब भारत में बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी हालात अभी भी गंभीर है। </p>.<p><strong>रिपोर्ट्स इन डिटेल</strong></p><p>ग्लोबल रैंकिंग इंडेक्स ने रैंक देने के अलावा देशों के पिछड़ने के कारण भी बताए हैं। इस रैंकिंग में दक्षिण एशियाई देशों में भारत की रैंक सबसे पीछे है। जिसका का एक मुख्य कारण भारत की आबादी भी है। </p><p>GHI की रिपोर्ट के अनुसार सभी देशों के मुकाबले भारत ऐसा देश है जहाँ Child Wasting (लंबाई के अनुसार वज़न कम) सबसे ज्यादा है। चाइल्ड वेस्टिंग में भारत को 20.8% अंक मिले हैं। यदि child Stunting (उम्र के हिसाब से लंबाई कम) में भारत 37.9% मिले हैं। स्वास्थ के मद्देनज़र ये प्रतिशत भी काफी ज्यादा है।</p><p>हमारे देश में 6-23 महीने के बच्चों में 9.6 प्रतिशत बच्चों को संपूर्ण पोषण आहार नहीं मिलता। गौर फरमाने वाली बात तो यह भी है कि हमारे देश के घरों में 2015-16 के बीच शुद्ध पेयजल उपलब्ध होने लगा।</p><p>रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि भारत में 35 फीसदी बच्चे छोटे कद हैं जबकि 17 फीसदी बच्चे कमजोर श्रेणी में आते हैं।</p><p>अक्टूबर महीने के शुरूआती दिनों में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्र पोषण सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया गया था, जिसमें देशभर के 19 साल तक के 112,000 बच्चों का सर्वे किया गया था, जिसमें कुपोषणों के उपायों की प्रगती के बारे में बताया गया था। न्यूट्रीशन एक्सपोर्ट के अनुसार साल 2016- 18 में GHI और CNNS की आंकड़े की तुलना में भारत में बाल कुपोषण का स्तर कम हुआ है।</p><p>दक्षिण एशियाई देशों में भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में सबसे नीचे पायदान पर है। जिसका मतलब है हम पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से भी पीछे हैं। उक्त चारों देशों की रैंकिंग 94,88,73, और 66 है। भारत साल 2010 में इस लिस्ट में 95वें पायदान पर था जो कि 2019 की लिस्ट में 102वें स्थान पर पहुँच गया है।</p>.<p><strong>क्या है सभी देशों का लक्ष्य</strong></p><p>सभी देशों को साल 2030 तक दूसरा सतत् विकास लक्ष्य हासिल करना है। जिसमें हंगर रेट को शून्य तक पहुँचाना भी शामिल है। लेकिन कई देशों के प्रदर्शन से लगता नहीं कि वे सभी 2030 तक ये लक्ष्य प्राप्त कर पाएंगी।</p><p>बता दें GHI ज्यादा आय वाले देशों का सर्वे नहीं करती क्योंकि, उन देशों में ऐसी स्थिति उत्पन्न होना मुश्किल है। GHI कम संख्या वाले देशों का भी सर्वे नहीं करती। </p>. <p><em><strong>ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे <a href="https://t.me/rajexpresshindi">टेलीग्राम </a>चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। <a href="https://t.me/rajexpresshindi">@rajexpresshindi</a> के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।</strong></em></p>