संविधान दिवस: मौलिक कर्तव्यों के बारे में जागरूक करेगी भारत सरकार

भारत सरकार आमजन-मानस में संविधान के बारे में जागरूकता लाने के लिए साल भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही है। इस संविधान दिवस से होगी ये शुरूआत।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावनासोशल मीडिया

राज एक्सप्रेस। हमारे देश में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ इसलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया था और इस दिन को 'संविधान दिवस' या 'न्याय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस साल संविधान की 70वीं वर्षगांठ पर संविधान दिवस को धूमधाम से मनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

संविधान को अपनाने की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में 26 नवंबर 2019 को भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद के सेन्ट्रल हॉल में विशेष सत्र को संबोधित करेंगे। यह साल भर होने वाले 'संविधान के बारे में जागरूकता फैलाने के कार्यक्रमों' की शुरूआत होगी। यह उत्सव, 14 अप्रैल-2020 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर समाप्त होगा। जिन्हें, भारतीय संविधान का पिता कहा जाता है।

इस दिन देश के तमाम विद्यालयों, महाविद्यालयों, सरकारी दफ्तरों आदि में सुबह 11 बजे संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्याय सचिव आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि, समस्त केन्द्रीय सरकारी सचिवों, राज्यों के मुख्य सचिव, अधीनस्थ कार्यालयों के प्रमुख, स्वायत्त संस्थानों, निगमों, संगठनों और सार्वजनिक उपक्रमों आदि को इसकी लिखित सूचना दे दी गई है।

18 नवंबर को भेजी गई इस चिट्ठी में कहा गया कि, अब से हर वर्ष सरकारी संस्थानों में 26 नवंबर की सुबह संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जाए। साथ ही जहां यह कार्यक्रम हो वहां, संविधान दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रम का बैनर भी लगाया जाए।

भारत सरकार संवैधानिक अधिकारों और नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों के बारे में आमजन में जागरूकता लाने के लिए साल भर कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।

समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन करेगा। विदेश मंत्रालय, मानव संसाधन कल्याण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इसमें सरकार का हाथ बंटाएंगे।

भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्य-

जब भी संविधान की बात होती है तो हम संवैधानिक अधिकारों की बात करते हैं लेकिन भूल जाते हैं कि इस ही संविधान ने हमें कुछ मौलिक कर्तव्यों का पालन करने को भी कहा है। इस संविधान दिवस, जानते हैं कि हमारे मौलिक कर्तव्यों के तहत हमें देश के विकास में योगदान देने के लिए क्या करना चाहिए?

साल 1976 में 42वें संसोधन के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों को भारतीय संविधान में जोड़ा गया था। यह 'अनुच्छेद 51-ए' में शामिल हैं। संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों के अनुसार, ये भारत के प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य होंगे-

  1. संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान का सम्मान करना।

  2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों को संजोना एवं उनका पालन करना।

  3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने के लिए।

  4. देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने के लिए, जब ऐसा करने के लिए कहा जाता है।

  5. भारत के सभी लोगों के बीच धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या सांप्रदायिक विविधता के बीच सामंजस्य और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना; महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करना।

  6. हमारी समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देना और संरक्षित करना।

  7. जंगलों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना, और जीवित प्राणियों के लिए दया करना।

  8. वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जांच और सुधार की भावना का विकास करना।

  9. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और हिंसा को रोकना।

  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना ताकि राष्ट्र निरंतर उच्च स्तर तक प्रयास और उपलब्धि हासिल करे।

भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसे डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में बनी संविधान सभा ने तैयार किया था। तात्कालिक समय में हमारे संविधान में 448 अनुच्छेद हैं, जिन्हें 25 भागों में बांटा गया है। इनमें 12 अनुसूची एवं पांच परिशिष्ट हैं। लागू होने से अब तक के 70 सालों में संविधान को 103 बार संशोधित किया गया है।

संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है। यहां के नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता का आश्वासन देता है। साथ ही भाईचारे को बढ़ावा देने की बात करता है।

जब अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत आज़ाद हुआ और भारतीय संविधान लागू हुआ तब, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द संविधान की प्रस्तावना में नहीं थे। साल 1976 में आपातकाल के दौरान इसमें "धर्मनिरपेक्ष" और "समाजवादी" शब्द जोड़े गए हैं।

एक तरफ सरकार इस संविधान दिवस को बडे़ पैमाने पर मना रही है। वहीं दूसरी तरफ प्रमुख विपक्षीय दल कांग्रेस एवं अन्य पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। लोकसत्ता पार्टी के प्रमुख जयप्रकाश नारायण ने महाराष्ट्र राज्य में जिस तरह से सरकार बनी, उसे राजनीति का पतन बताया।

कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता और तिरूवनंतपुरम से सासंद डॉ. शशि थरूर ने भी सरकार की मंशा पर सवाल किए। उन्होंने अपनी पार्टी के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन भी किया।

संविधान दिवस के एक दिन पूर्व कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने केन्द्रीय नेतृत्व में भाजपा सरकार का विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाए कि, सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा अराजनैतिक तरीकों का इस्तेमाल कर रही है, इस विरोध के चलते संसद को स्थगित कर दिया गया।

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