अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस
अंतरराष्ट्रीय शांति दिवसSyed Dabeer Hussain - RE

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस : सफेद कबूतर क्यों माने जाते हैं शांति का प्रतीक? जानिए इसका कारण

पूरी दुनिया में शांति और सद्भाव स्थापित करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस साल की थीम है - 'नस्लवाद खत्म करें, शांति स्थापित करें।‘

राज एक्सप्रेस। पूरी दुनिया में 21 सितंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस (International Day of Peace) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में लोग शांति और सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं। अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के जरिए ऐसे प्रयास किए जाते हैं, जिससे राष्ट्रों और लोगों के बीच अहिंसा को बढ़ावा मिले और हिंसा व युद्ध जैसी परिस्थितियों से बचा जा सके। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की थीम है, ‘End Racism, Build Peace’ यानी 'नस्लवाद खत्म करें, शांति स्थापित करें।’

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस का इतिहास :

पहली बार अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस साल 1982 में मनाया गया था। साल 1982 से लेकर साल 2001 तक सितंबर महीने के तीसरे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता था,लेकिन साल 2002 से इस दिन के लिए 21 सितंबर का दिन घोषित कर दिया गया है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मौजूद संयुक्त राष्ट्र शांति घंटी बजाई जाती है। इस घंटी को अफ्रीका को छोड़कर सभी महाद्वीपों के बच्चों द्वारा दान किए गए सिक्कों से बनाया गया है।

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस का उद्देश्य क्या है:

दरअसल दुनिया में जिस तरह से युद्ध, हिंसा और नस्लशवाद जैसी समस्याएं हैं, उन्हें रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को बढ़ावा और सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इसका उद्देश्य ऐसे समाज का निर्माण करना है, जहां जाति, नस्ल, धर्म को देखे बिना सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए।

शांति का प्रतीक :

सफेद कबूतरों (White Dove) को शांति का प्रतीक मानने के पीछे कुछ ऐतिहासिक कहानियां हैं। ‘बाइबल’ के एक प्रसंग के अनुसार कबूतर मानवता की सहायता के लिए प्रकट हुए थे। इसके अलावा प्रसिद्द चित्रकार पिकासो ने भी अपनी पेंटिंग में शांति के दूत के रूप में कबूतर का चित्र उकेरा था। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के दिन शांति के प्रतीक के रूप में सफेद कबूतरों को उड़ाया जाता है।

शांति के लिए नेहरू के मंत्र :

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए पांच मूल मंत्र दिए थे। इन्हीं पांच मंत्र को ‘पंचशील के सिद्धांत’ (Panchsheel Agreement) कहा जाता है। यह पांच मंत्र कुछ इस तरह है :

  1. एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना।

  2. एक दूसरे के विरुद्ध आक्रामक कार्यवाही न करना।

  3. एक दूसरे के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप न करना।

  4. समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना।

  5. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति में विश्वास रखना।

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