जेएनयू: कितना सही है फीस वापसी का फैसला?

शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यम ने ट्वीट कर जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी में प्रमुख वापसी की घोषणा की। इससे एक तरफ तो लोग खुश हैं पर बच्चे इसे छलावा बता रहे हैं।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में वापस हुआ शुल्क बढ़ोत्तरी का प्रमुख हिस्सा
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में वापस हुआ शुल्क बढ़ोत्तरी का प्रमुख हिस्साजवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय

राज एक्सप्रेस। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, देश का सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान और सबसे विवादित भी। पिछले कुछ सालों में जहां एक तरफ यहां राष्ट्रविरोधी तत्वों की मौजूदगी को लेकर विचार पनपा है तो वहीं दूसरी तरफ यह लगातार देश का नंबर एक विश्वविद्यालय बना रहा है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को NAAC की ए++ मान्यता प्राप्त है।

पिछले कुछ दिनों से यहां के विद्यार्थी सड़कों पर थे। विश्वविद्यालय में हॉस्टल मैन्युअल, पुस्तकालय के समय में बदलाव और शुल्क वृद्धि के विरोध में विद्यार्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

इस ही के चलते दिनांक 13 नवंबर 2019 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुख्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद शिक्षा सचिव आर. सुब्रमण्यम ने ट्वीट कर शुल्क वृद्धि में प्रमुख वापसी करने की घोषणा की।

जहां एक ओर लोग इसे जेएनयू के विद्यार्थियों की जीत के रूप में देख रहे हैं वहीं विद्यार्थियों का कहना है कि ये गलत है। जो शुल्क वृद्धि की गई थी, उसमें थोड़ा-सा बदलाव किया गया है, बाकि बच्चों को अभी भी बड़ी हुई फीस ही जमा करनी होगी।

जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष एन. साई. बालाजी ने फेसबुक पोस्ट कर बताया कि बढ़ी हुई फीस वापस लेने का यह कदम भ्रामक है। विश्वविद्यालय प्रशासन मोदी सरकार के साथ मिलकर बच्चों और देश को मूर्ख बना रहा है।

उन्होंने प्रश्न किया कि, बढ़ी हुई पूरी शुल्क वापस क्यों नहीं ली गई? साथ ही कमरे के किराए में मामूली कटौती की गई है। इसके अलावा सर्विस चार्ज़ में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बढ़ी हुई शुल्क का 95 प्रतिशत जस-का-तस बना हुआ है।

जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष ने एक वीडियो भी शेयर किया। जिसमें वे यही सारे सवाल पूछ रहे हैं-

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के बच्चे पिछले 15 दिनों से शुल्क वृद्धि के विरूद्ध आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह भी था, जिसे कैम्पस से बाहर आईसीटीई के ऑडीटोरियम में आयोजित किया गया। बच्चे कैम्पस में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन दीक्षांत समारोह के दौरान उन्होंने नेल्सन मंडेला सड़क को घेर लिया। जिसमें विद्यार्थियों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प हो गई।

इस झड़प ने आंदोलन को तूल दिया और राष्ट्रीय समाचारों की सुर्खियों में शामिल कर दिया। इससे पहले बच्चों के आंदोलन को शायद ही कोई मीडिया हाउस कवर कर रहा था। दीक्षांत समारोह के उपरांत बच्चों ने दोबारा जेएनयू कैम्पस में अपने विरोध प्रदर्शन को जारी रखा।

आईआईटी के एमटेक और पीएचडी के छात्र भी शुल्क वृद्धि को लेकर आंदोलन कर चुके हैं। उत्तराखंड के 16 आयुर्वेदिक महाविद्यालयों के छात्र 43 दिनों से देहरादून में फीस वृद्धि को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

विद्यार्थियों ने शुल्क वृद्धि के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि शुल्क वृद्धि नहीं होनी चाहिए लेकिन कॉलेज प्रशासन ने इसे नहीं माना है। इस कारण बच्चे अब भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

पंजाब विश्वविद्यालय में भी पुस्तकालय को लेकर आंदोलन हो चुका है।

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