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दखल और दबाव के बावजूद न्यायपालिका ने हर हाल में बरकरार रखी अपनी आजादीः जस्टिस ललित

देश के पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने न्यायपालिका को कई बार चुनौतियों और दखल की कोशिशों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने इनकी परवाह नहीं करते हुए अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई।

राज एक्सप्रेस, पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने कहा कि न्यायपालिका को कई बार कामकाज में दखल और अन्य दबावों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा न्यायपालिका ने सभी चुनौतियों का अच्छे से मुकाबला करते हुए अपनी आजादी को बरकरार रखा है। उन्होंने कहा एक समृद्ध लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है कि न्यायपालिका स्वतंत्र हो, उसके फैसले लोगों में यह भरोसा जगाते हों कि देश में कानून का शासन है। ऐसा नहीं होना, किसी भी देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति कहलाएगी। उन्होंने कहा आज देश के न्याय तंत्र के सामने कई चुनौतियां हैं। हमें इस स्थिति में मजबूत रहना होगा। उन्होंने कहा हमे हर तरह के दबाव और दखल का सामना करना होगा, ताकि देश में कानून का शासन कायम रहे।

कार्यपालिका ने कई बार की कामकाज में दखलंदाजी

उन्होंने कहा कई मामलों में अदालत के फैसलों पर कार्यपालिका का दखल देखने को मिला, लेकिन हर स्थिति में न्यायिक तंत्र ने अपनी गरिमा और स्वतंत्रता को बरकरार रखा है। पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने कहा न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ यह है कि वह पक्षपात से परे काम कर सके, अपने फैसलों में सही दिखे और पूरी स्वायत्तता के साथ विवादों का समाधान करे। उन्होंने कहा जिला अदालतें भी अपना काम अच्छे से करती हैं। जिला अदालतों पर उच्च न्यायालयों के अलावा किसी अन्य़ का नियंत्रण नहीं है। 

न्यायपालिका की स्वतंत्रता बेहद जरूरी

उन्होंने कहा जिला अदालतों के जजों की पोस्टिंग, प्रमोशन और नियुक्ति समेत तमाम चीजें उच्च न्यायालयों की सिफारिशें पर ही होती आई हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा संविधान में ऐसे कई अनुच्छेद हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि न्यायपालिका के कामकाज में दखल नहीं दिया जा सके। उन्होंने कहा अदालतों की स्वतंत्रता के लिए हमें ऐसा माहौल बनाना होगा कि इनमें काम करने वाले लोग अपनी ड्यूटी के दौरान पूरी तरह स्वतंत्र महसूस करें। उन्हें किसी भी एजेंसी के दखल की चिंता न रहे। उन्होंने कहा कि किसी भी बाहरी दखल का सामना करने के लिए न्यायपालिका बेहद मजबूत है।

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