क्या है नेशनल हेराल्ड मामला
क्या है नेशनल हेराल्ड मामलाSyed Dabeer Hussain - RE

जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड मामला, जिसके तहत सोनिया-राहुल गांधी से हो रही है पूछताछ?

नेशनल हेराल्ड न्यूज पेपर को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में शुरू किया था। जिसे ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) नाम की कंपनी चलाती थी।

राज एक्सप्रेस। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से तीन दिनों तक पूछताछ की है। इस दौरान ईडी ने सोनिया गांधी से 11 घंटों में 40 सवाल पूछे। बता दें कि सोनिया गांधी से पहले ईडी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से भी इसी मामले में पूछताछ कर चुकी हैं। तो चलिए हम जानते हैं कि नेशनल हेराल्ड मामला (National Herald Case) क्या है? जिसके तहत कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं से पूछताछ की गई।

नेशनल हेराल्ड क्या है?

दरअसल नेशनल हेराल्ड (National Herald) एक न्यूज़ पेपर (News Paper) है, जिसे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawahar Lal Nehru) ने साल 1938 में शुरू किया था। इस न्यूज़ पेपर को चलाने का जिम्मा ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited)’ (एजेएल) नाम की कंपनी के पास था। यह कंपनी हिंदी में नवजीवन (Navjivan) और उर्दू में कौमी आवाज (Qaumi Awaz) नाम के दो न्यूज़ पेपर भी छापती थी।

नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

दरअसल साल 1956 में एजेएल (AJL) को एक नॉन-कमर्शियल कंपनी बना दिया गया। इसके बाद धीरे-धीरे कंपनी घाटे में जाने लगी और उस पर 90 करोड़ रूपए का कर्ज हो गया। इसी के चलते साल 2008 में अखबार का प्रकाशन बंद हो गया। साल 2010 में यंग इंडिया लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई गई, जिसके 38-38 फीसदी शेयर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नाम थे जबकि बचे 24 फीसदी शेयर में कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की हिस्सेदारी थी। दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने अपने फंड से बिना ब्याज के 90 करोड़ रूपए का लोन एजेएल को दिया।

साल 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने दिल्ली हाईकोर्ट जाकर सोनिया, राहुल सहित अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया। स्वामी का आरोप है कि, सिर्फ 50 लाख रूपए देकर एजेएल के सारे शेयर यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिए गए। यंग इंडिया के 76 फीसदी शेयर सोनिया, राहुल के पास है। इस तरह से गांधी परिवार ने पार्टी फंड से मामूली रकम खर्च करके इस कंपनी की 2000 करोड़ की सम्पत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की।

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