Ashadhi Ekadashi 2021: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी कहा जाता है और हिन्दू धर्म में आषाढ़ी एकादशी का विशेष महत्व है और आज 20 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी है, इस खास अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है एवं कुछ लोग समृद्धि प्राप्त करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस दिन उपवास भी रखते हैं। इस दौरान आज आषाढ़ी एकादशी के खास अवसर पर देश के प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं ने देशवासियों को बधाई दी है।
आषाढ़ी एकादशी पर PM मोदी का बधाई संदेश :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा- आषाढ़ी एकादशी के पावन अवसर पर सभी को मेरी ओर से बधाई। इस विशेष दिन पर, हम भगवान विट्ठल से प्रार्थना करते हैं कि, वे हमें भरपूर खुशियाँ और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें। वारकरी आंदोलन हमारी बेहतरीन परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है और सद्भाव और समानता पर जोर देता है।
आषाढ़ी एकादशी निमित्त विठुरायाला त्रिवार वंदन व सर्वांना आषाढ़ी एकादशीच्या मनःपूर्वक शुभेच्छा।
अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री
CM शिवराज ने भी दी बधाई :
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर लिखा- ॐ नारायणाय नम: देवशयनी एकादशी की आपको हार्दिक बधाई। भगवान श्री हरि से प्रार्थना है कि COVID-19 पूर्णत: समाप्त हो और हर घर धन-धान्य व खुशहाली से समृद्ध हो तथा हर अंतर्मन आनंद एवं उल्लास से भरा हो। आपकी कृपा की अनवरत वर्षा से सम्पूर्ण जगत सर्वदा धन्य होता रहे, यही प्रार्थना।
CM ठाकरे ने विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में की महा पूजा :
तो वहीं, आषाढ़ी एकादशी के शुभ अवसर पर आज मंगलवार सुबह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ पंढरपुर के विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में 'महा पूजा' की।
सभी प्रदेशवासियों को देवशयनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं। जगत नियंता भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा से सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
आषाढ़ी एकादशी के पावन पर्व की समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं। इस अवसर पर भगवान श्री नारायण जी से प्रार्थना है कि वह समस्त जनमानस को सकारात्मक ऊर्जा, उत्तम स्वास्थ्य व समृद्धि से परिपूर्ण करें।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला
चार माह तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं :
बता दें कि, आषाढ़ी एकादशी को देवशयनी एकादशी, हरिशयनी एकादशी, शयनी एकादशी आदि नामों से जाना जाता है। इस खास दिन को 'पद्मनाभा' भी कहा जाता है। इस दिन से ही चातुर्मास का आरंभ हो जाता है और भगवान विष्णु आराम करने के लिए क्षीर सागर में चले जाएंगे, यह अवधि चार माह की होती है। अब चार माह तक शुभ व मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
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