हाथियों से बचाव हेतु पश्चिम बंगाल की टीम ने दिया प्रशिक्षण
हाथियों से बचाव हेतु पश्चिम बंगाल की टीम ने दिया प्रशिक्षणSitaram Patel

Anuppur : हाथियों से बचाव हेतु पश्चिम बंगाल की टीम ने दिया प्रशिक्षण

अनूपपुर, मध्यप्रदेश : 28 दिन से निरंतर टांकी के जंगल में विचरण कर रहे 40 हाथियों का दल। सुरक्षा की दृष्टिकोण से डीएफओ ने बुलवाई सेज फांउटेशन की टीम को।
Summary

निरंतर हाथियों के समूहों से बनी समस्याओं से निपटारा पाने के लिए वनमंडलाधिकारी अब्दुल अलीम अंसारी के द्वारा पंश्चिम बंगाल के सेज फांउटेशन से संपर्क किया गया, जिसके बाद तीन ग्रामीणों एवं वन अमले को तीन दिवसीय प्रशिक्षण देने के लिए जिले में पहुंचे, चार सदस्यों के द्वारा यह प्रशिक्षण दिया गया, जिसके अनुरूप हाथियों के क्रियाकलापों की जानकारी व उससे बचाव के समुझों को ग्रामीण व वन अमलों ने समझा।

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। रविवार को वन मंडल अनूपपुर अंतर्गत कोतमा क्षेत्र के टांकी बीट में विगत 27 सितंबर की शाम लगभग 40 हाथियों का समूह छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पार कर पहुंचा, जो निरंतर 28 दिन से टांकी एवं मलगा की जंगल में निरंतर रहवास बनाकर पूरे दिन जंगल मे रह कर शाम होते ही जंगल की चारों ओर लगे गांव के कृषकों द्वारा लगाए गए धान एवं अन्य तरह की फसलों को अपना आहार बना रहे हैं, वहीं खाने की तलाश में हाथियों ने अब तक 25-30 कच्चे घरों की दीवारें बाउंड्री व घर को क्षतिग्रस्त कर घर के अंदर रखें अनाज व महुआ को अपना आहार बनाया है।

पश्चिम बंगाल से चार सदस्य पहुंचे टाकी :

जिला प्रशासन एवं वन विभाग तथा ग्रामीण हाथियों के अब तक के सबसे बड़े समूह के निरंतर ठहरने एवं खेतों के नुकसान को लेकर हाथियों के समूह से निजात पाए जाने हेतु पश्चिम बंगाल के हाथी दल विशेषज्ञों के स्वयंसेवी संस्थाओं को आमंत्रित किया इस दौरान चार सदस्य दल के टांकी पहुंचने पर उनके द्वारा वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों एवं ग्रामीणों को हाथियों से बचाव तथा सुरक्षा के संबंध में तकनीकी जानकारी दी गई।

विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को दी सुझाव :

इस दौरान संस्था प्रमुख एस, साधनिक सेन गुप्ता, पिंटू महाजा ने बताया कि हाथियों का समूह पूर्व में भी कभी इस इलाके में आये होगे वन्य प्राणियों में सबसे समझदार होने के साथ ही सबसे शांत प्रवृत्ति के होते हैं हाथियों का मुख्य काम अपना पेट भरना तथा विचरण करना है। जिले में विगत 2014-15 से हाथियों का समूह पहले कम संख्या में उसके बाद बढ़ते बढ़ते वर्तमान में 40 हाथियों के दल के सबसे बड़े दल स्वरूप में इस वर्ष आए हैं यदि हाथियों के समूह को रोकने के उपाय नहीं किए गए तो आने वाले समय में हाथियों के आने की संख्या दिनों दिन बढ़ेगी विशेषज्ञों द्वारा ग्रामीणों को सुझाव दिया गया कि हाथी प्रभावित तथा संभावित खेतों के आसपास हाथियों के नापसंद वाली फसलें मिर्ची तथा कड़वी चीजों को लगाएं तथा कटीले पेड़ लगाएं ताकि हाथी उसी स्थान पर आने से रुक सके।

नव युवाओं को परीक्षित कराये जाने की बात :

हाथी प्रभावित क्षेत्रों में नव युवकों की टीम बनाकर हाथियों को गांव के अंदर प्रवेश करने से रोकने हेतु प्रशिक्षित कराए जाने की बात कही इस दौरान विशेषज्ञों ने हाथियों से बचाव हेतु शराब व अन्य घातक सामग्रियों का सेवन कर करने वाले व्यक्तियों को नजदीक न जाने देने हाथियों के समूह से दूरी बनाए रखने तथा रात्रि में अकेले समूह के विचरण क्षेत्र के अंदर न जाने देने की सलाह दी तथा वन विभाग के मैदानी अमले को भी पूरी सुरक्षा तथा निगरानी से कार्य करने की अपेक्षा की गई। इस दौरान सानिध्य सेन गुप्ता, एनजीओ संचालक पिंटू महाजा, वन परिक्षेत्र अधिकारी कोतमा परितोष सिंह भदौरिया, ग्राम पंचायत की सरपंच पुष्पराज सिंह, वन्यप्राणी संरक्षण एवं सामाजिक कार्यकर्ता शशिधर अग्रवाल, परिक्षेत्र सहायक मलगा एमपी सिंह, परिक्षेत्र सहायक राजनगर तुलसीदास नापित, वनरक्षक दादू राम कुशवाहा, शंकर सिंह, विजय बहादुर, रामस्वरूप सिंह एवं अन्य जन उपस्थित रहे हैं।

दूरी बनाए रखने का आग्रह :

इस दौरान ग्रामीणों के साथ देर शाम हाथियों का समूह महानीम कुंडी तथा लक्ष्मण धारा के जंगल से निकलकर गांव की ओर आने दौरान ग्रामीणों को तथा वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों को हाथियों के समूह के गांव के अंदर न जाने देने के संबंध में जानकारी दी तथा स्वयं दो दिनों तक हाथियों के समूह पर निगरानी रखते हुए इनकी जानकारी संकलित की श्री गुप्ता ने बताया कि यह हाथियों का दल मई माह ने पश्चिम बंगाल में विचरण कर रहा था जो भगाए जाने पर झारखंड से छत्तीसगढ़ होकर अनूपपुर जिले में पहुंचा है इस दल में एक दंन्तेल हाथी काफी आक्रोशित रहता है जो सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है ग्राम वासियों से हाथियों के समूह से दूरी बनाए रखने का आग्रह किया गया हैं।

इनका कहना है :

रहवास क्षेत्र से हाथियों का दल भटकने के कारण जिले में निरंतर यह समस्या बनी हुई है, सुरक्षा की दृष्टिकोण से हमने स्वयं सेवी संस्था को आंमत्रित किया है, जो प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूक करेंगे, साथ ही आगे भी आवश्यकता हुुई तो हम पुन: बुलाकर लोगों में सतर्कता बनायें रखेंगे।

अब्दुल अलीम अंसारी, डीएफओ वनमंडल, जिला अनूपपुर

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