हर आदेश पर भारी, सहायक आबकारी अधिकारी
हर आदेश पर भारी, सहायक आबकारी अधिकारीAfsar Khan

शहडोल : हर आदेश पर भारी, सहायक आबकारी अधिकारी

शहडोल, मध्य प्रदेश : स्थानान्तरण के बाद भी नहीं हो रहे वर्षों से रिलीव। शहडोल सहित अमलाई की दुकान में सांझेदारी के आरोप।

शहडोल, मध्य प्रदेश। शराब के कारोबार में भले ही कितने ठेकेदारों के घर व जमीने बिक गई हों, लेकिन इस कारोबार के जिले के चाणक्य मानें जाने वाले सहायक आबकारी अधिकारी अखिलेश ठाकुर कभी घटे के सौंदों में नहीं रहे, मामला चाहे विभाग के अंदर उनके रसूख का हो, या फिर जिला ही नहीं संभाग भर की दुकानों में उनकी सांझेदारी और पीसीएम के खेल का हो, अखिलेश बीते 8 से 10 सालों में शराब के कारोबार के पर्याय के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है, यही कारण है कि बीते वर्ष 05 जुलाई को मध्यप्रदेश शासन के वाणिज्य कर विभाग द्वारा इनका तबादला बालाघाट किये जाने के बाद भी वे अभी तक यहां डटे हुए हैं।

विभाग को योग्य विकल्प की तलाश :

लगभग एक साल पहले 05 जुलाई 2019 को अखिलेश सहित अन्य दो से ढाई दर्जन सहायक जिला आबकारी अधिकारियों के तबादले की सूची जारी हुई थी, जिसमें शहडोल से अखिलेश और तुकाराम भिलावे का स्थानान्तरण डिण्डौरी व सीधी के लिये हुआ था, तुकाराम तो चले गये, वहीं पूर्व में पदस्थ एक अन्य सहायक आबकारी अधिकारी शहडोल से सेवानिवृत्त भी हो गये, जिसके बाद अखिलेश का विभाग में अकेले दबदबा कायम रहा, इस संदर्भ में जिला आबकारी अधिकारी श्री राजौरे कहते हैं कि उनका स्थानान्तरण तो हो चुका है, लेकिन उनकी जगह काम करने वाला कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है, जो इस जिम्मेदारी को सम्हाल सकें, इसलिये उसे रिलीव नहीं किया जा रहा है, इससे यह माना जा सकता है कि अखिलेश वाकई में शहडोल सहित संभाग के तीनों जिलों के शराब कारोबारियों व विभाग के अकेले ऐसे खेवनहार हैं, जिसके बिना या तो यहां की दुकानें बंद हो जाएंगी, या तो आबकारी विभाग में ताला लग जायेगा, यही सोचकर प्रशासन उन्हें राजस्व के नुकसान से रिलीव नहीं कर रहा है।

पीसीएम की है मास्टर डिग्री :

शराब के कारोबार में पीसीएम का खेल भले ही आम आदमी की समझ से परे हों, लेकिन पीसीएम का माल आवंटित होने पर शराब कारोबारियों की बांझें खिल जाती हैं, इस ठेकेदार को पीसीएम की जरूरत है, इसे कितनी पीसीएम देनी है और इसका पीसीएम का कितना माल, दूसरे शराब ठेकेदारों व तस्करों के माध्यम से छत्तीसगढ़ व अन्य स्थानों पर भेजना है, इसकी गणित आबकारी विभाग के चाणक्य भली-भांति समझते हैं, चूंकि शहडोल स्थित अंग्रेजी शराब के वेयरहाउस के ऊपर ही पड़ोसी जिले निर्भर हैं, इस कारण चाहे न, चाहे उसकी कमाई का आंकड़ा और अन्य जानकारियां कथित मास्टर डिग्री धारक के पास खुद ब खुद पहुंच जाती हैं, इसी पीसीएम के फेर से हुए मैंनेजमेंट के कारण शहडोल तो क्या राजधानी तक अधिकारी की तूती बोलती है।

साझेदारी के आरोप :

सहायक आबकारी अधिकारी अखिलेश ठाकुर पर इस वर्ष ही नहीं, बल्कि पूर्व के वर्षों में भी शराब ठेकेदारों के साथ मिलकर दुकान में साझेदारी कर नौकरी के साथ शराब का धंधा करने के आरोप लगते रहे हैं, इस बार फिर मुख्यालय की शराब दुकान के साथ प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में स्थित शराब दुकान के ठेकेदार के साथ हिस्सेदारी की चर्चा चरम पर है, यह भी आरोप है कि इन दो दुकानों की आड़ में पीसीएम का खेल, खेला जाता है, यही नहीं इन दोनों को राहत और इन्हें केन्द्र बनाकर आसपास की दुकानों को कथित अधिकारी द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।

बेनामी सम्पत्ति की शिकायतें :

अखिलेश ठाकुर पर शराब के कारोबार में सम्मिलित होने के साथ ही इस कारोबार से तथा शराब कारोबारियों से मासिक नजराने के रूप में मोटी रकम कमाने की शिकायतें भी सर उठाती रही हैं, यही नहीं आरोप यह भी हैं कि यदि उनके सम्पत्ति की जांच कराई जाये तो, आय से अधिक सम्पत्ति व बेनामी सम्पत्ति जैसे कई मामले सामने आ सकते हैं।

इनका कहना है :

अखिलेश का स्थानान्तरण हो चुका है, रिलीवर न होने के कारण वे यहां काम कर रहे हैं, जिस दिन रिलीवर आ जाएंगे, उन्हें यहां से रिलीव कर दिया जायेगा।

सुरेश कुमार राजौरे, जिला आबकारी अधिकारी, शहडोल

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