Bhopal : खुद बीमार रेल अस्पताल, मरीजों का कहना पहले इसका इलाज जरुरी
भोपाल, मध्यप्रदेश। हर तरफ भटकते मरीज, कोई पर्चा बनवाने के लिए परेशान, तो किसी का दवाई की लाइन में इंतजार, तो कोई मेडिकल दस्तावेज के लिए....किसी को संबधित बीमारी का डॉक्टर ही नहीं मिल रहा, जिससे अपने मर्ज का इलाज करवा लें..। यह दृश्य हर रोज रलवे अस्पताल में देखा जा सकता है। इतना ही नहीं परेशान मरीज और उनके परिवार के साथ अस्पताल के कर्मचारी दंबगाई भी करते है। जिससे अब रेलवे के अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी त्रस्त हैं और अस्पताल प्रशासन की शिकायत रेलवे बोर्ड से करने की तैयारी कर रहे है। नाम ना छापने की शर्त पर वहां मौजूद मरीजों ने बताया कि यह अस्पताल तो खुद बीमार है, हमसे पहले इसको इलाज की दरकार है। लोग बताते हैं कि सुबह आने पर पहले पर्चे की लाइन, फिर डॉक्टर की, उसके बाद दवाई की या किसी अन्य पर्चे की लाइन उसके बाद सुनने को मिलता है ये दवाइ नहीं है जाओ डॉक्टर से बदलवा कर आओ, लंच बाद आना, कल आना, परसों मिलेगी दवाई। इसके अलावा यहां सभी विभागों के डाक्टर भी उपलब्ध नहीं हैं।
जानकारी के अनुसार भोपाल रेल मंडल के अधिकारी -कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए निशातपुरा में सालों पहले रेलवे अस्पताल शुरू किया गया था। अस्पताल में सभी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का दावा रेलवे ने किया। कुछ समय तो अस्पताल की व्यस्थाएं ठीक से संचालित की जाती रही,लेकिन बीतें कुछ सालों से अस्पताल खुद ही बीमार हो गया है। जहां हर तरफ बीमारी के साथ ही अव्यवस्था से परेशान मरीज प्रबंधन को कोसते नजर आ जाएंगे। अस्पताल में रेलवे सेवक अपना इलाज करवाने के लिये भटकते रहते हैं, यहां न तो पर्याप्त डॉक्टर पदस्थ है और न ही स्टाफ...। जो पदस्थ है उनका ड्युटी टाइम अस्पताल में उसकी सीट पर कम, बाहर ज्यादा गुजरता है। आलम यह है कि अब अस्पताल सिर्फ भवन के रूप में दिखाई देता है, यहां इलाज के नाम पर मरीज को लंबी कतारों और स्टाफ के दुर्रव्यवहार से रोज वाफ्ता होना पड़ता है।
भाषण मत दो, जाओ नहीं करना काम, जो करते बने कर लेना :
ऐसा ही एक नजारा शुक्रवार को देखने को मिला, यहां दवा वितरण केंद्र और मेडिकल दस्तावेज सेंटर पर मौजूद बाबू ने बीमारी से पहले से परेशान मरीजों और उनके परिवार के साथ दुर्रव्यवहार किया। बाबू ने मरीजों से कहा कि भाषण मत दो, जाओ नहीं कर रहे काम जो करते बने कर लेना..। मामला बढ़ने पर इसकी शिकायत इंचार्ज अधीक्षक से की गई, तो उन्होंने कहा कि मेरी तो कोई सुनता ही नहीं। बताया जाता है कि अस्पताल अधीक्षक ए डोंगरे अवकाश पर हैं।
दो घंटे का लंच टाइम, इंतजार में परेशान होते मरीज :
अस्पताल का स्टाफ हर रोज दो घंटे लंच पर रहता है, दोपहर एक बजे से तीन बजे तक इस अस्पताल में लंच टाइम चलता है। इस दौरान किसी को कोई काम नहीं होगा। इतना अधिक लंच टाइम होने के बाद भी दवा वितरण केंद्र, रेलवे सेवकों के मेडिकल दस्तावेज तैयार करने वाले सेंटर पर सटाफ देरी से पहुंचता है। यहां ड्युटी पर मौजूद कर्मी उसके बाद भी आपसी बातचीत में मशगूल रहते हैं और मिनटों का काम घंटो में करते है। इस दौरान लाइन में लगे किसी मरीज ने उन्हें कुछ बोल दिया तो उसके साथ दुर्रव्यवहार करते हैं और कार्य करने से इंकार कर देते है। लंच टाइम का समय अधिक होने से वो मरीज खासे परेशान रहते हैं जो भूखे प्यासे सुबह की शिफ्ट में डॉक्टर को दिखाने पहुंचते हैं और किसी पेपर के बनने के लिए तीन बजने का इंतजार करते हैं। कुछ को घर जाकर वापस लौट के आना पड़ता है। मरीजों की दुर्गति की इस तरह की कई घटनाएं हर रोज रेलवे अस्पताल में हो रही हैं।
रेलवे बोर्ड और रेल मंत्री से करेंगे शिकायत :
रेलवे अस्पताल के खराब हालात को लेकर रेल कर्मी अब रेलवे बोर्ड और रेल मंत्री को पत्र भेजकर शिकायत करने का मन बना रहे हैं। सामूहिक रूप से की जा रही शिकायत में अस्पताल में फैली अव्यस्थाओं, भष्ट्राचार सहित अन्य मामले शामिल होंगे।
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