जयंती विशेष: महान शिक्षाविद् और समाज सुधारक Ishwar Chandra Vidyasagar की जयंती पर नेताओं का नमन संदेश
हाइलाइट्स
आज महान शिक्षाविद ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती
ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती पर देश उन्हें याद कर नमन रहा है
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने ट्वीट कर उन्हें नमन किया
Ishwar Chandra Vidyasagar Birth Anniversary 2023: ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर 1820 को पश्चिम मेदिनीपुर जिले के बिरसिंघा गांव में ठाकुरदास बंद्योपाध्याय और भगवती देवी के घर एक बंगाली हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आज महान शिक्षाविद् और समाज सुधारक Ishwar Chandra Vidyasagar की जयंती पर देश उन्हें याद कर नमन रहा है।
स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन: CM
इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई नेताओं ने ट्वीट कर उन्हें नमन किया है। सीएम शिवराज ने कहा- महान समाज सुधारक,शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन, पुनर्जागरण, शिक्षा एवं नारी सशक्तिकरण तथा समाज के उत्थान के लिए आपके द्वारा किए कार्य सदैव प्रेरणादायी रहेंगे।
ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती पर गृहमंत्री ने ट्वीट कर लिखा-
ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी की जयंती पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा- महान शिक्षाविद् और समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी की जयंती पर सादर नमन, विधवा पुनर्विवाह एवं स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित करने में समर्पित उनका सम्पूर्ण जीवन हमेशा हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा।
महान शिक्षाविद, प्रख्यात विद्वान, समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।
मंत्री सारंग
भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षा शास्त्री व स्वाधीनता सेनानी थे विद्यासागर
बता दें, ईश्वर चंद्र बंदोपाध्याय सीआईई, जिन्हें ईश्वर चंद्र विद्या सागर के नाम से जाना जाता है, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षा शास्त्री व स्वाधीनता सेनानी थे। वे ग़रीबों व दलितों के संरक्षक माने जाते थे। उन्होंने स्त्री-शिक्षा और विधवा विवाह पर काफ़ी ज़ोर दिया। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने 'मेट्रोपोलिटन विद्यालय' सहित अनेक महिला विद्यालयों की स्थापना करवायी तथा वर्ष 1848 में वैताल पंचविंशति नामक बंगला भाषा की प्रथम गद्य रचना का भी प्रकाशन किया।
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