उमरिया : संकट में बफर जोन, हर दूसरे नाले से उत्खनन

उमरिया, मध्य प्रदेश : मानपुर तहसीलदार ने आधा दर्जन स्थानों से पकड़ी रेत। खनिज विभाग ने अवैध उत्खनन से खुद को किया किनारे। बफर जोन के जिम्मेदार और वन परिक्षेत्राधिकारी भी कटघरे में।
संकट में बफर जोन, हर दूसरे नाले से उत्खनन
संकट में बफर जोन, हर दूसरे नाले से उत्खननRaj Express

उमरिया, मध्य प्रदेश। देश सहित पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व फारेस्ट एरिया में खनिज माफियाओं की नजर गड़ी हुई है, बफर जोन एरिया से रेत का उत्खनन हो रहा है, मानपुर तहसीलदार की कार्यवाही ने खनिज तथा बफर जोन की सुरक्षा में लगे जिम्मेदारों पर सवाल खड़े किये हैं, वहीं बफर जोन की सुरक्षा को लेकर फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है।

जिले के मानपुर विकास खण्ड के कुछ ग्राम जो बफरजोन से सटे हुए हैं, वहां तहसीलदार रमेश परमार द्वारा बीते दिवस आधा दर्जन स्थानों पर अवैध रेत के भण्डारण की सूचना मिलने पर कार्यवाही की गई। हालांकि तहसीलदार ने उक्त कार्यवाही के दौरान धरपकड़ करने के बाद यह मामला खनिज विभाग के सुपुर्द कर दिया है, आगे की कार्यवाही खनिज अमले की टीम के द्वारा की जायेगी, जिन स्थानों पर रेत जब्त की गई है, उनके पास मौके पर कोई भी वैध दस्तावेज या रॉयल्टी नहीं मिली।

इन स्थानों पर पकड़ी रेत :

मानपुर ब्लाक मुख्यालय सहित सिगुड़ी मार्ग के अलावा वेयर हाऊस के सामने अवैध रूप से भण्डारित की गई रेत कार्यवाही के दौरान जब्त की गई है, उसमें ग्राम नरवार के सरपंच के द्वारा मानपुर बाई पास सिगुड़ी में करीब 30 ट्राली रेत रखी गई थी, जो रामप्रकाश नामक व्यक्ति की जमीन पर रखी गई थी, इसके अलावा श्याम सुंदर गुप्ता के यहां से करीब 20 ट्राली रेत, वेयर हाऊस के सामने राम सुंदर गुप्ता के यहां से करीब 30 ट्राली रेत मिलने की खबर है, इसके साथ ही कुछ अन्य स्थानों से भी अवैध रूप से संग्रहित हुई रेत पर कार्यवाही की गई।

खनिज अमले को नहीं खबर :

रेत के अवैध उत्खनन और उस पर कार्यवाही करने व अवैध कारोबार को रोकने का जिम्मा शासन ने जिस विभाग को दिया है, उसके द्वारा न तो यह कार्यवाही गई और न ही इस संदर्भ में अभी तक कोई पड़ताल की गई कि रेत का अवैध भण्डारण किसने और किस क्षेत्र से उत्खनन कर किया हुआ था। सवाल यह उठता है कि शासन ने जिन लोगों को रेत के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए मोटा वेतन देकर जिले की जिम्मेदारी सौंपी हैं, उनके रहते उक्त कार्यवाही तहसीलदार को करनी पड़ी और स्थानीय लोगों ने अवैध भण्डारण के खिलाफ शायद अब सूचनाएं भी खनिज विभाग की जगह तहसील और एसडीएम कार्यालय में देना शुरू कर दी हैं।

बफर जोन पर संकट :

जिन स्थानों से रेत का अवैध उत्खनन कर यहां भण्डारण किया गया है, सूत्रों की मानें तो लगभग स्थानों पर रेत के साथ रॉयल्टी पर्ची न मिलने की सबसे बड़ी वजह चोरी की रेत होना है। मानपुर से सटे टाईगर बफर जोन एरिया में दर्जनों नाले जंगलों के अंदर हैं, जहां से रेत का अवैध उत्खनन कर मानपुर ही नहीं, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में उसका विक्रय भी किया जा रहा है। अवैध रूप से पकड़ी गई यह रेत बफर जोन एरिया से कैसे बाहर आती है, यह भी बड़ा सवाल है, वन विभाग के साथ ही बफर जोन के कारण अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती इस क्षेत्र में की गई है, बावजूद इसके बफर जोन से खनिज का दोहन खुलेआम हो रहा है।

बाघों के पलायन का यह भी कारण :

बीते कुछ महीनों से बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व फारेस्ट एरिया में बाघों की असमय मौत और यहां से उनका पलायन के रूप में शहरी क्षेत्र में निकलने का अवैध उत्खनन भी बड़ा कारण है। रिजर्व फारेस्ट एरिया से रेत के उत्खनन के लिए खनिज कारोबारियों द्वारा कृत्रिम मार्ग बनाना और उन पर वाहनों की धमा चौकड़ी के ही कारण बाघों व अन्य वन जीवों का सुरक्षित ठौर के लिए निकलना शुरू हो गया है। जिन स्थानों पर रेत पकड़ी गई है, तथाकथित आरोपी तो, महज बानगी ही है, खनिज विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण बफर जोन के चारों ओर फैले जिले के विभिन्न विकास खण्डों के ग्रामों में इस तरह अवैध रेत की निकासी अब आम हो चुकी है।

इनका कहना :

कुछ स्थानों शिकायत के बाद कार्यवाही की गई है, हमनें खनिज विभाग को सूचना दे दी है आगे मामला वहीं देखेंगे।

रमेश परमार, तहसीलदार, मानपुर

यह क्षेत्र मेरे ही सर्किल में आता है, खनिज विभाग से सूचना मिली है, मौके पर जाकर ही आगे की स्थिति स्पष्ट हो पायेगी।

दिवाकर चतुर्वेदी, माइनिंग इंस्पेक्टर, उमरिया

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