लापरवाह प्राचार्यों ने नहीं भेजे प्रस्ताव, अब बारिश में 250 स्कूलों की छत रही टपक

वरिष्ठ कार्यालय द्वारा बार-बार निर्देश के बाद भी प्राचार्य ने स्कूलों की मरम्मत कराने का प्रस्ताव नहीं भेजा। अब झमाझम के बीच हायर सेकेंडरी से लेकर मिडिल और प्राथमिक शाला टपक रही है।
अब बारिश में 250 स्कूलों की छत रही टपक
अब बारिश में 250 स्कूलों की छत रही टपकसांकेतिक चित्र

भोपाल, मध्यप्रदेश। भीषण बारिश शुरू हुई तो एक बार फिर राजधानी में प्राचार्यो की लापरवाही सामने आई है। वरिष्ठ कार्यालय द्वारा बार-बार निर्देश के बाद भी प्राचार्य ने स्कूलों की मरम्मत कराने का प्रस्ताव नहीं भेजा। अब झमाझम के बीच हायर सेकेंडरी से लेकर मिडिल और प्राथमिक शाला टपक रही है। तकरीबन ढाई सौ स्कूल हैं, जिनमें चौतरफा से पानी का रिसाव हो रहा है।

हालांकि मौजूदा समय में सिर्फ एक दिन पहले सेकेंडरी कक्षाओं का संचालन शुरू किया गया है लेकिन पहली से लेकर 12वीं तक के शिक्षकों को स्कूलों में पहुंचना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए पिछले महीने जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी संकुल प्राचार्य को पत्र लिखा था कि बारिश के पहले वह स्कूलों की मरम्मत करवाएं। ताकि वर्षा के बीच स्कूलों में पानी का रिसाव ना हो सके। अब हालात देखें तो कमला नेहरू नवीन कन्या 25 वीं बटालियन कोटरा सुल्तानाबाद सरदार पटेल भदभदा रातीबड़ गांधीनगर महात्मा गांधी मिसरोद जैसे स्कूल टपक रहे हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह भी है कि इन स्कूलों में कक्षा नौवीं से 12वीं तक की क्लास से शुरू हो चुकी हैं। शिक्षकों का भी कहना है कि अगर लगातार बारिश का क्रम शुरू रहा तू जर्जर स्कूलों में अनहोनी घटित होने की संभावनाएं बन सकती हैं। जिला शिक्षा केन्द्र और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जो रिपोर्ट आई है। उसके अनुसार राजधानी में तकरीबन ढाई सौ स्कूलों में पानी का जबर्दस्त तरीके से पानी का रिसाव हो रहा है।

दो करोड़ रुपए से पहले करवाई गई मरम्मत : सक्सेना

इस संदर्भ में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि पिछले महीने सभी प्राचार्य को पत्र लिखा गया था। इन से साफ कहा गया था कि वर्षा के पहले वह प्रस्ताव भेजे की कहां-कहां मरम्मत तक कौन सा कार्य होना है। प्राचार्य ने समय से प्रस्ताव नहीं भेजे। जिसके कारण इस प्रकार के हालात निर्मित हुए हैं। उन्होंने बताया है कि अब दोबारा समस्त संकुल प्राचार्य को पत्र लिखा गया है। शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जहां मेजर मरम्मत की जरूरत है वहां पर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि वर्षा में ऐसे स्कूलों में लगातार दिक्कत बन सकती है। उन्होंने बताया कि तीन महीने पहले भोपाल के करीब आधा सैकड़ा स्कूलों में दो करोड़ की लागत से मरम्मत के कार्य करवाए गए थे। शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि एक टीम गठित कर सतत रूप से स्कूलों का निरीक्षण करवाया जा रहा है। ताकि मौके पर अकादमी के साथ-साथ प्रशासनिक व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया जा सके।

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