त्योंथर में भगवान बिरसा के बलिदान दिवस पर कोल गढ़ी के पुनर्निर्माण के लिए किया जायेगा शिलान्यास: CM
भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश की अमूल्य जनजातीय विरासत से समृद्ध कोल जनजाति के महत्व को रेखांकित करने के लिये बुधवार को मुख्यमंत्री निवास परिसर में कोल जनजाति सम्मेलन हो रहा है। सीएम शिवराज ने निवास पर आयोजित 'कोल जनजाति सम्मेलन' का शुभारंभ भगवान बिरसा मुंडा जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। 'कोल जनजाति सम्मेलन' में सीएम शिवराज को मध्यप्रदेश कोल जनजातीय समाज सेवा संघ के पदाधिकारियों ने जनजाति समाज की पहचान 'तीर कमान' और श्री मंगेश गोठिया द्वारा निर्मित चित्र भेंट कर उनका स्वागत और अभिनंदन किया।
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित 'कोल जनजाति सम्मेलन'
कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने कहा कि, कोल समाज के अपने भले और भोले भाइयों-बहनों को मैं शीश झुकाकर प्रणाम करता हूँ। ये वही कोल समाज है जिसने वनवास के समय भगवान राम को फल, फूल और आश्रय देने का काम किया था, आपने तो भगवान राम को तक घर दिया है। कोल समाज के महान क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे, यह समाज भगवान की भी भक्त है और देशभक्त भी।
मुख्यमंत्री बोले- भगवान श्रीराम को वनवास काल में रहने के लिए पर्णकुटी का निर्माण भी कोल समाज के लोगों ने किया। कोल समाज के भाइयों-बहनों आपने तो भगवान को भी घर दिया है, आपको प्रणाम। कोल समाज वह समाज है जिसने वनवास के दौरान भगवान श्रीराम को भी फल-फूल और आश्रय देने का काम किया था। तुलसीदास जी ने लिखा है - यह सुधि कोल किरातन्ह पाई। हरषे जनु नव निधि घर आई। कंद मूल फल भरि- भरि दोना। चले रंक जनु लूटन सोना।।
कोल जनजाति के वीरों ने अंग्रेजों के खिलाफ साहसपूर्ण लड़ाई लड़ी। भगवान बिरसा मुंडा से तो अंग्रेज थर-थर कांपते थे
सीएम शिवराज
सीएम ने कही ये बातें...
त्योंथर में 9 जून को भगवान बिरसा के बलिदान दिवस पर कोल गढ़ी के पुनर्निर्माण के लिए शिलान्यास किया जायेगा। केवल कोल गढ़ी नहीं बनेगी, हम कोल समाज का सम्मान वापस लौटने का काम कर रहे हैं।
त्योंथर में स्थित कोल गढ़ी के जीर्णोद्धार के लिए 3 करोड़ 12 लाख की राशि स्वीकृत कर दी गई है। वहां भव्य कोल गढ़ी का निर्माण होगा। इसके भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए जून के प्रथम सप्ताह में एक तिथि तय कर लीजिए, हम सब कोल गढ़ी चलेंगे।
कोल जनजातीय समाज के भाई-बहनों को रहने की जमीन दी जाएगी। जहां सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं होगी। वहां जमीन खरीद कर प्लॉट आवंटित करेंगे। पट्टे के बाद मकान निर्माण के लिए भी धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
भगवान श्रीराम, भैया लक्ष्मण और मैया सीता का जब वन में आगमन हुआ, तब कोल जनजातीय समाज के लोग कंद-मूल फल लेकर भगवान का स्वागत करने पहुंचे। भगावन श्रीराम ने अपनी भक्त माता शबरी के झूठे बेर भी खाए थे।
भगवान बिरसा हमारे कुल पुरुष हैं, उनके चरणों में प्रणाम करते हैं। हमारी भारतीय जनता पार्टी और आदरणीय प्रधानमंत्री ने भी तय किया कि हर वर्ष भगवान बिरसा की जयंती को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाया जाएगा।
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