सीएम ने 'आनंदीबाई जोशी' की पुण्यतिथि पर याद करते हुए अर्पित की श्रद्धांजलि

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथि है, आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथि पर CM शिवराज ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथि
आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथिPriyanka Yadav-RE

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथि है, बता दें कि आज के दिन यानि 26 फ़रवरी 1887 को आनंदीबाई जोशी का निधन हो गया था, भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथि पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

सीएम ने किया ट्वीट

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है, चौहान ने ट्वीट के माध्यम से कहा -'जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, उस समय विदेश जाकर डॉक्टर की डिग्री हासिल करने वाली भारत की दृढ़ निश्चयी बेटी, श्रद्धेय आनंदीबाई जोशी जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। आपका व्यक्तित्व और लक्ष्य को प्राप्त करने का जज्बा सर्वदा नारियों को प्रेरित करता रहेगा’

विश्वास सारंग ने भी किया ट्वीट-

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी ट्वीट कर भारत में महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाऐं प्रदान कराने हेतु संघर्ष करने वाली अमरीका से चिकित्सक की उपाधि प्राप्त भारत की प्रथम महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन किया है।

31 मार्च 1865 को आनंदीबाई जोशी का जन्म हुआ था :

आनंदीबाई जोशी का जन्म मराठी परिवार में 31 मार्च 1865 को कल्याण में हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम यमुना रखा था, उनका परिवार रूढ़िवादी मराठी परिवार था, उनके पिता ज़मींदार थे। बता दें कि कम उम्र में ही आनंदी की शादी गोपालराव जोशी से हुई थी, किशोरी उम्र में आनंदी जब मां बनीं तो 14 दिनों में उनकी खुशियां छिन गईं, किसी बीमारी से ग्रसित होने की वजह से उनका बच्चा मर गया था, बच्चे की मौत के बाद ने आनंदीबाई जोशी यह तय किया था कि अब वह किसी भी बच्चे को इलाज के अभाव में मरने नहीं देंगी, तभी से आनंदीबाई जोशी ने डॉक्टर बनने का निश्चय लिया था।

आनंदीबाई जोशी पहली भारतीय महिला डॉक्टर थीं :

आपको बता दें कि आनंदीबाई जोशी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी, जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल करना अपने-आप में मिसाल है, वही 22 साल की उम्र में आनंदीबाई जोशी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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