महान योद्धा महाराजा छत्रसाल बुंदेला की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं: CM
Maharaja Chhatrasal Birth Anniversary: आज वीरता, शौर्यता, निर्भीकता और संघर्ष की प्रतिमूर्ति, छत्रपति शिवाजी महाराज से स्वंतत्रता का मंत्र लेकर क्रूर मुग़ल शासक औरंगजेब से अपनी मातृभूमि को मुक्ति का शंखनाद करने वाले महाराजा छत्रसाल बुंदेला की जयंती है। ऐसे में आज देश उन्हें याद कर नमन कर रहा है।
महाराजा छत्रसाल की जयंती पर सीएम ने ट्वीट कर किया नमन
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा- इत यमुना,उत नर्मदा,इत चम्बल,उत टोंस। छत्रसाल सों लरन की, रही न काहू हौंस॥ बुन्देलखण्ड केसरी, महान योद्धा महाराजा छत्रसाल बुंदेला जी की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। मातृभूमि की सेवा एवं गौरव की रक्षा के लिए सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर आपने जो राह दिखाई है, वह हमें सदैव राष्ट्र एवं समाज की सेवा के लिए प्रेरित होती रहेगी।
भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी योद्धा थे महाराजा छत्रसाल
महाराजा छत्रसाल भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी योद्धा थे छत्रसाल ने मुगल शासक औरंगज़ेब को युद्ध में पराजित करके बुन्देलखण्ड में अपना स्वतंत्र हिंदू राज्य स्थापित किया और 'महाराजा' की पदवी प्राप्त की थी। मुगलों के काल महाराज छत्रसाल जू देव बुंदेला का जन्म बुंदेला क्षत्रिय पर्याय राजपूत परिवार में हुआ था और वे ओरछा के रुद्र प्रताप सिंह के वंशज थे। वे अपने समय के महान वीर, संगठक, कुशल और प्रतापी राजा थे।
बता दें, महाराजा छत्रसाल का जीवन मुगलों की सत्ता के खिलाफ संघर्ष और बुन्देलखण्ड की स्वतन्त्रता स्थापित करने के लिए जूझते हुए निकला। वे अपने जीवन के अन्तिम समय तक आक्रमणों से जूझते रहे। बुन्देलखण्ड केसरी के नाम से विख्यात महाराजा छत्रसाल बुन्देला के बारे में ये पंक्तियाँ बहुत प्रभावशाली है। ऐसे में छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा पाकर औरंगज़ेब को परास्त कर बुदेलखंड में अपने महान राज्य की स्थापना करने वाले महाराजा छत्रसाल की जयन्ती हमें अंतिम सांस तक अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जूझने की प्रेरणा देती है।
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