सोराइसिस से बढ़ते मनोविकार पर होम्योपैथी  शोध
सोराइसिस से बढ़ते मनोविकार पर होम्योपैथी शोधRE-Bhopal

असाध्य सोराइसिस से बढ़ते मनोविकार पर होम्योपैथी में होगा कम्पलीट शोध

Bhopal News: सेन्ट्रल काउंसिल रिसर्च इन होम्योपैथी द्वारा नया अनुसंधान शुरू किया गया है। इसकी जवाबदारी शासकीय होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय को सौंपी गई है।

हाइलाइट्स:

  • सोरायसिस त्वचा संबंधी असाध्य एक रोग।

  • भोपाल होम्योपैथी कॉलेज को जवाबदारी ।

  • एम्स के वैज्ञानिक भी अनुसंधान में शामिल ।

भोपाल। सोराइसिस त्वचा रोग (Psoriasis) जैसी असाध्य बीमारी पर काबू पाने होम्योपैथी पद्धति में स्थाई उपचार खोजा जाएगा। सेन्ट्रल काउंसिल रिसर्च इन होम्योपैथी द्वारा नया अनुसंधान शुरू किया गया है। इसकी जवाबदारी शासकीय होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय को सौंपी गई है। अनुसंधान के कार्य में एम्स भोपाल सहित सेन्ट्रल काउंसिल के वैज्ञानिकों को लगाया गया है। अगले वर्ष तक यह कार्य पूर्ण होगा। इस कार्य में लगे वैज्ञानिकों का कहना है कि सोरायसिस त्वचा संबंधी असाध्य एक रोग है, जिसमें त्वचा पर लाल चकत्ते उभर आते है। उस पर सफेद परत सी जम जाती है। इनमें निरंतर खुजली होती है। इस बीमारी के पनपने से सीधा असर मानसिक तनाव, दैनिक जीवनचर्या संबंधी आदतों पर पड़ रहा है।

इस बीमारी में अनुवांशिकता की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है। जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं, लेकिन अब तक किसी भी चिकित्सा पद्धति में इसका कोई ठोस उपचार उपलब्ध आया है। पर यह बीमारी जड़ से भी जा सकती है। अभी तक भोपाल चिकित्सा महाविद्यालय में जितने मरीज आ रहे हैं। उन पर दवाओं का असर कारगर रहा है। यहां पर सवा सौ से अधिक सोरायसिस के मरीजों ने इलाज करवाया है। जिसके परिणाम काफी आशाजनक एवं लाभकारी रहे हैं।

बीमारी के लक्षणों पर अध्ययन कर रही पद्धति:

शोध कर रहे वैज्ञानिको की मानें तो होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की अनेक विशेषताएं हैं। यह न केवल बीमारी के लक्षणों का बारीकी से अध्ययन करती है। बल्कि प्रत्येक मरीज की शारीरिक एवं मानसिक अवस्था बीमारी से कैसे प्रभावित हो। इस पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। डाक्टर कहते हैं कि एक बीमारी हर व्यक्ति में स्वयं को अलग-अलग प्रकार से व्यक्त करती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को उसकी शारीरिक व मानसिक अवस्था के अनुरूप एक दवाई की आवश्यकता होती है। यही होम्योपैथी के प्रमुख सिद्धांत भी हैं। इसलिए सोरायसिस की इस इकाई में इन बातों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

इनका कहना:

शोध से निकले तथ्यों के आधार पर गंभीर सोरायसिस रोगियों का इलाज किया गया और परिणाम में यह देखा गया की होम्योपैथिक उपचार से बीमारी में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। सेन्ट्रल काउंसिल रिसर्च ऑफ होम्योपैथी के अलावा एम्स और शासकीय होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।

- डा. जूही गुप्ता प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर, शासकीय होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल

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सोराइसिस में होम्योपैथी उपचार कारगर सिद्ध हो रहा है। इन परिणामों को देखते हुए चिकित्सालय परिसर में सोराइसिस इकाई की स्थापना पर विचार चल रहा है। अभी तक आये निष्कर्षों की पुष्टि के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। मरीजों में भी बड़ी आशा जागी है।

-डा. बबीता श्रीवास्तव, प्राचार्य, शासकीय होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल

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