बैतूल : विकलांग केंद्र में सर्टिफिकेट बनवाने के लिए परेशान हो रहे दिव्यांग

आदिवासी कोरकू उन्नतिशील समाज एजुकेशन एण्ड सोशल वेलफेयर सोसायटी ने मुख्यमंत्री, महामहिम राज्यपाल, जनजाति आयोग के नाम सौंपा ज्ञापन। भर्ती मरीजों के साथ अभद्रता का भी लगाया आरोप।
बैतूल :आदिवासी कोरकू उन्नतिशील समाज ने सौंपा ज्ञापन।
बैतूल :आदिवासी कोरकू उन्नतिशील समाज ने सौंपा ज्ञापन।रवि सोलंकी।

बैतूल, मध्य प्रदेश। जिला अस्पताल के विकलांग केंद्र में सर्टिफिकेट बनवाने के लिए दिव्यांगों के परेशान होने का मामला सामने आया है। आदिवासी कोरकू उन्नतिशील समाज एजुकेशन एण्ड सोशल वेलफेयर सोसायटी ने मुख्यमंत्री, महामहिम राज्यपाल, जनजाति आयोग के नाम जिला कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में आरोप लगाया कि प्रमाण-पत्र के लिए पहले तो यहां डॉक्टर समय पर नहीं मिलते और जब मिलते हैं, तो एक बार में काम नहीं हो पाता। इस व्यवस्था के चलते दिव्यांगों को महीनों तक केंद्र के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

आदिवासी कोरकू उन्नतिशील समाज के जिला अध्यक्ष चैतराम कास्देकर ने बताया कि जिला अस्पताल बैतूल प्रति मंगलवार विकलांग शिविर का आयोजन किया जाता है, लेकिन शिविर में डॉक्टरों की कोई ऐसी व्यवस्था नहीं हैं कि सभी डॉक्टर एक जगह उपलब्ध हो जाए, ऐसी व्यवस्था नहीं होने के कारण दिव्यांग व्यक्तियों को डॉक्टरों को ढूंढने के लिये पूरे अस्पताल में दिनभर भटकना पड़ता है। कई बार तो 2-3 हफ्तों तक मेडिकल नहीं बना पाते हैं। डॉक्टरों के द्वारा भी संतुष्टि जनक जवाब नहीं दिया जाता है।

कास्देकर ने बताया जिला अस्पताल बैतूल में जो पूछताछ केन्द्र है वहां के कर्मचारी से जानकारी पूछने पर उपलब्ध कर्मचारी को ही डॉक्टरों की सही जानकारी नहीं रहती है। जिससे भर्ती और दिव्यांग व्यक्तियों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह भी आरोप है कि मरीज अस्पताल में भर्ती होता है तो उसकी देखभाल नहीं की जाती है, वहां के कर्मचारी और डॉक्टरों द्वारा मरीजों के इलाज में गंभीरता नहीं दिखाते हुए लापरवाही करते हैं।

करोड़ों खर्च होने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधा :

कास्देकर ने बताया बैतूल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां लगभग 12 लाख आदिवासी परिवार निवास करता है। जिला अस्पताल की ऐसी व्यवस्था के चलते गरीब आदिवासी, कोरकू समाज को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि शासन ने जिला अस्पताल की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किए फिर भी आदिवासी परिवारों को इलाज के लिए प्रायवेट अस्पताल का रूख करना पड़ता है, जिससे कई बार गरीब परिवार का घर मकान जमीन तक बिक जाती है।

ज्ञापन में लगाया जिला अस्पताल पर आरोप :

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया कि जिला अस्पताल से अधिकांश मरीजों को भोपाल एवं नागपुर रेफर कर दिया जाता है। जिससे कम पढ़े लिखें परिवार को समस्या का सामना करना पड़ता है। इस मामले में आदिवासी कोरकू उन्नतशील संगठन ने जिला अस्पताल में होने वाली असुविधाओं को गंभीरतापूर्वक लेते हुए उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

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