Anuppur : तो क्या यहां भी अधिकारी बनाते हैं उपयंत्रियों पर दबाव?

अनूपपुर, मध्यप्रदेश : पहले अनूपपुर अब धार जिले के उपयंत्री की मौत बनी रहस्य। दो वर्ष पहले जिपं में अटैच प्रवीण बांगडे भी था मानसिक रूप से परेशान।
Anuppur : तो क्या यहां भी अधिकारी बनाते है उपयंत्रियों पर दबाव?
Anuppur : तो क्या यहां भी अधिकारी बनाते है उपयंत्रियों पर दबाव?Shrisitaram Patel

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। बीते दिनो इंदौर संभाग अंतर्गत धार जिले के गंधवानी जनपद पंचायत में पदस्थ उपयंत्री प्रवीण पवार ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी, मृतक पवार की पत्नी ने विभागीय अधिकारियों पर टारगेट के अनुरूप कार्य करवाने का दबाव बनाने के आरोप लगाते हुए कई बाते कही थीं, जिसके बाद प्रदेश भर के जनपदो में पदस्थ इंजीनियर भी एक स्तर से उच्चाधिकारियों के दबाव का कारण मानते हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में हर इंजीनियर परेशान नजर आएगा।

अनूपपुर में भी हुआ है हादसा :

दो वर्ष पहले जिला पंचायत में अटैच रहे इंजीनियर प्रवीण बांगडे की मौत कुछ इसी तरह से हुई थी, लक्ष्य तक न पहुंच पाने के कारण उसे सजा के तौर पर पंचायत से हटा कर जिला पंचायत में अटैच किया गया था और प्रवीण को कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया था। मानसिक रूप से व पैसे के अभाव से परेशान प्रवीण जिला चिकित्सालय में अपना इलाज करा रहा था, इस दौरान उसकी मौत हो गई थी, तब कई उपयंत्रियों ने ज्ञापन सौप कर न्याय की मांग की थी।

टारगेट से करवाते हैं कार्य :

अनूपपुर जिले में भी पंचायत स्तर पर जो भी कार्य लिए जाते हैं, वह लक्ष्य पर आधारित होता है, अगर समय पर इंजीनियर या सचिव कार्य को अंजाम नहीं देते हैं, तो उनका वेतन काट लिया जाता है और अधिकारियों को इतने में भी संतुष्टि नहीं मिलती तो नोटिस और बड़ी कार्यवाही की धौंस भी दी जाती है। जबकि कई कार्य ऐसे होते है जो विवादित होते हैं या फिर समय का अभाव होता है, उसके बावजूद भी लक्ष्य के फेर में उपयंत्रियों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है।

सरकार को देना होगा ध्यान :

उपयंत्री सहित अन्य कर्मचारी भी अधिकारियों के कार्यप्रणाली से परेशान रहते हैं, वहीं अधिकारी भी सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्य को पार करने के लिए छोटे कर्मचारियों को अपना निशाना बनाते हैं। यह कभी नहीं देखा जाता कि उस कर्मचारी की पारिवारिक परिस्थितियां क्या हैं और वह किस दौर से गुजर रहा है। हमेशा की भांति छोटे कर्मचारियों को परिणाम भुगतना पड़ता है, अगर समय रहते सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में हर इंजीनियर मानसिक रूप से परेशान रहेगा।

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