नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े की जल्द खुलेंगी परतें, कमेटी ने पहली बैठक में लिये कई निर्णय

जांच कमेटी के सामने पेश होंगे संचालक और डुप्टीकेट फैकल्टी, फर्जीवाड़ा प्रमाणित होने पर डुप्लीकेसी वाले कॉलेज के संचालक और फैकल्टी के विरुद्ध यूनिवर्सिटी प्रशासन करेगी कार्रवाई
मध्यप्रदेश नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा
मध्यप्रदेश नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा social media

जबलपुर। मध्यप्रदेश के 165 नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले में हाईकोर्ट की फटकार के बाद यूनिवर्सिटी के कुलपति ने जांच कमेटी गठित की है। कमेटी ने गुुरुवार को पहली बैठक में जांच से संबंधित कई निर्णय लिये हैं।कमेटी अब कॉलेज संचालकों को बारी-बारी से पेश होने के लिए नोटिस जारी करेगी। पेशी के दौरान कमेटी संचालकों से सवाल-जवाब करेगी। इसके बाद फर्जीवाड़ा प्रमाणित होने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन डुप्लीकेसी वाले कॉलेज के संचालक और फेकल्टी के विरुद्ध कार्रवाई करेगी।

जानकारी के अनुसार मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध प्रदेश के 165 नर्सिंग कॉलेज के संचालक और डुप्टीकेट फैकल्टी जांच कमेटी के सामने पेश होंगे। नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़ा की क्रम दर क्रम परतें खोलने जांच कमेटी संचालक और डुप्लीकेट फैकल्टी से एक-एक विषण पर सवाल-जवाब करेगी। इस दौरान शपथ पत्र की भी जांच होगी। यह निर्णय गुरुवार को हुई कमेटी की पहली बैठक में लिया गया है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अशोक खंडेलवाल ने कमेटी गठित की है। कमेटी में नानाजी देशमुख वेटरनरी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. गोविंद मिश्रा, मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पराज बघेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डीन डॉ. गीता गुईन, अधिवक्ता, डॉक्टर, व अन्य अधिकारी शामिल हैं।

हाईकोर्ट जिम्मेदारों से मांगा था जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा मामले में मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। फर्जीवाड़े मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने रजिस्ट्रार के शपथ पत्र को झूठा बताते हुए कोर्ट में एक आवेदन पेश किया था। उसमें वर्ष 2022 में खोले गए 49 में से 10 नर्सिंग कॉलेजों का उदाहरण पेश करते हुए बताया गया था की नए खुले कॉलेजों में से कई के भवन, लैब और अन्य सुविधाएं संदिग्ध हैं। आवेदन में याचिका कर्ता ने बताया कि कई तो ऐसे नर्सिंग कॉलेज हैं जो सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। नर्सिंग कॉलेजों के पास न तो बिल्डिंग है और न ही हॉस्पिटल। ऐसे नर्सिंग कॉलेज देश के अलग-अलग राज्यों से छात्रों का पैसे के दम पर एडमिशन करते हैं। उसके बाद सिर्फ परीक्षा के समय उन्हें बुलाते हैं।

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