शहडोल में भाड़े पर मिलती हैं डॉक्टरों की डिग्री

शहडोल, मध्य प्रदेश : शहर में पैथोलॉजी जांच के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। नौसिखिए खून निकाल रहे हैं, जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट भी बनाकर दे दे रहे हैं।
शहडोल में भाड़े पर मिलती है डॉक्टरों की डिग्री
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शहडोल, मध्य प्रदेश। आप जिस पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर में जांच करवा रहे हैं, क्या उसकी रिपोर्ट सही है। एक बार यह सवाल जरूर पूछिए, क्योंकि शहर में चल रहे कई कलेक्शन सेंटर में खून का सैंपल लेने वाला अप्रशिक्षित होता है। उसे तकनीकी ज्ञान नहीं होता। कुछ में तो खून की जांच तक कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं करते।

शहर में पैथोलॉजी जांच के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। नौसिखिए खून निकाल रहे हैं, जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट भी बनाकर दे दे रहे हैं। अंत में उस रिपोर्ट पर किसी डॉक्टर के हस्ताक्षर ले लेते हैं, ये डॉक्टर कौन होता है कोई नहीं जानता। संभागीय मुख्यालय की एक-दो पैथोलॉजी को छोड़ दिया जाये तो, एक भी पैथोलॉजी में एमडी पैथोलॉजी डॉक्टर नहीं है। जबकि सभी की रिपोर्ट में किसी न किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर रहता है। जबकि जांच सिर्फ एमडी पैथोलॉजी ही कर सकते हैं, बावजूद कई जगहों पर सभी तरह की जांच करने के दावे किए गए हैं। कुछ पैथोलॉजी में तो नौसिखिए ही खून निकालने के लिए तैयार हो गए।

नहीं है एमडी पैथोलॉजी :

संभागीय मुख्यालय में विभाग की सूची के अनुसार संभवत: 21 पैथोलॉजी का रजिस्ट्रेशन है, लेकिन लगभग पैथोलॉजी में कोई एमडी पैथोलॉजी डॉक्टर भी नहीं बैठते हैं, बल्कि एमबीबीएस या अन्य एमडी डॉक्टर जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं। नियमानुसार पैथोलॉजी एमडी के अलावा एमबीबीएस या अन्य कोई एमडी पैथोलॉजी जांच नहीं कर सकता है। फिर भी धड़ल्ले से संभागीय मुख्यालय में इस तरह का कारनामा चल रहा है, अप्रशिक्षित टेक्नीशियन खून का सैंपल लेने के लिए नस को कई बार पंक्चर करता है। अगर सैंपल लेने का गलत तरीका हो, तो खून का बहाव नहीं रुकेगा, ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है।

आईबीयूएस पैथोलॉजी में डिग्री का खेल :

नियमानुसार एमडी पैथोलॉजी डॉक्टर ही पैथोलॉजी चला सकते हैं। माइक्रोस्कोप से होने वाली जांच सिर्फ वहीं कर सकते हैं। कलेक्शन सेंटर या पैथोलॉजी चलाने के लिए भी मेडिकल कचरा निष्पादन का सर्टिफिकेट लेना होता है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो, ऐसी पैथोलॉजी को सील किया जाना चाहिए, लेकिन वार्ड नंबर 11 में स्थित आयडस पैथोलॉजी में डॉ. श्रीमती मंजू पाण्डेय की डिग्री लगाई गई है, मजे की बात तो यह है कि उक्त डॉक्टर स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, लेकिन शायद वह यह भूल गई हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने पैथोलॉजी लैब को चलाने के लिए अब एमडी पैथोलॉजिस्ट योग्यता धारक का होना जरूरी माना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब हर कोई व्यक्ति या गैर योग्यता धारक लोग पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकेंगे।

दिये तले अंधेरा :

सुप्रीम कोर्ट ने पैथोलॉजी लैब को चलाने के लिए अब एमडी पैथोलॉजिस्ट योग्यता धारक का होना जरूरी माना है, वहीं संभागीय मुख्यालय में संचालित सेवा पैथोलॉजी में भी डॉक्टर की डिग्री भाड़े पर लगाई गई है, उक्त डॉक्टर संभवत: कभी पैथोलॉजी में नहीं आते। सोचनीय पहलू यह है कि संभागीय मुख्यालय में ऐसी पैथोलॉजी का संचालन डॉक्टर कालोनी में ही संचालित हो रही है, मजे की बात तो यह है कि उक्त पैथोलॉजी को संचालन की जब अनुमति दी गई थी, उस समय संभवत: डॉ. राजेश पाण्डेय सीएमएचओ थे और इसी कालोनी में संभाग के मुखिया का भी निवास है, लेकिन यहां यही कहावत चरितार्थ होती है कि दिया तले हमेशा ही अंधेरा होता है। उक्त संबंध में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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