मप्र के स्थापना दिवस पर मिलेगी अफ्रीकी चीतों की सौगात

भोपाल, मध्यप्रदेश : मप्र सरकार की तलाश दक्षिण अफ्रीका में पूरी हुई। यहां से 12 चीते कूनो पालपुर लाए जाएंगे। स्वछंद जंगली माहौल में यह चीते कूनो में रहेंगे और यहीं आबाद होंगे।
मप्र के स्थापना दिवस पर मिलेगी अफ्रीकी चीतों की सौगात
मप्र के स्थापना दिवस पर मिलेगी अफ्रीकी चीतों की सौगातसांकेतिक चित्र

हाइलाइट्स :

  • स्पेशल प्लेन से लाए जाएंगे मध्यप्रदेश

  • दक्षिण अफ्रीका के नेशनल पार्क से लाया जाएगा

  • छह अफसर ट्रेनिंग के लिए जाएंगे दक्षिण अफ्रीका

भोपाल, मध्यप्रदेश। यह तय हो जाने के बाद राज्य सरकार द्वारा जमीन-आसमान एक कर देने के बाद भी गुजरात के गिर से मप्र के कूनो पालपुर में सिंह नहीं आएंगे, तो फिर करोड़ों रुपए खर्च कर तैयार किए गए इस अभ्यारण्य के लिए अन्य विकल्पों की तलाश की गई। आखिरकार मप्र सरकार की यह तलाश दक्षिण अफ्रीका में पूरी हुई। यहां से 12 चीते कूनो पालपुर लाए जाएंगे। स्वछंद जंगली माहौल में यह चीते कूनो में रहेंगे और यहीं आबाद होंगे। राज्य सरकार ने जो तैयारी की है, उस हिसाब से एक नवंबर को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस तक प्रदेश को चीतों की सौगात मिल सकती है।

वन विभाग दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने के लिए तैयारियों को अंजाम देने में लग गया है। पहले तो यह तय हो गया है कि इन चीतों को हवाई मार्ग से मप्र लाया जाएगा। इसके लिए चार्टर्ड प्लेन की व्यवस्था की जाएगी। विशेष माहौल में उन्हें मप्र लाया जाएगा। यहां पहुंचने के बाद उनकी सभी तरह की जांचें होंगी। प्लेन की यात्रा में उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए चिकित्सकों का दल भी रहेगा। यहां उन्हें कुछ दिन एक निश्चित स्थान पर रखा जाएगा और उन पर कड़ी नजर रखी जाएगी। जब लगेगा कि सब कुछ ठीक-ठाक है तो फिर उन्हें कूनो पालपुर अभयारण्य में छोड़ा जाएगा। दक्षिण अफ्रीका से जो चीते लाए जाएंगे उनमें छह मादा और छह नर होंगे।

एक माह की ट्रेनिंग लेंगे अफसर :

मध्यप्रदेश में इन चीतों को लाने के बाद यदि उन्हें किसी तरह की स्वास्थ्यगत परेशानी होती है तो उसकी जिम्मेदारी निभाने के लिए वन विभाग की पूरी टीम रहेगी। अफ्रीकी चीतों की देखभाल के लिए बाकायदा प्रशिक्षण लिया जाएगा। इसके लिए कूनो पालपुर से अभ्यारण्य के छह अधिकारियों और कर्मचारियों का दल दक्षिण अफ्रीका जाएगा। यह दल इस माह के अंत तक या फिर अगले माह ट्रेनिंग के लिए अफ्रीका जाएगा। यहां उन्हें इन चीतों की देखभाल संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे कि मध्यप्रदेश में उन्हें रखने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो।

कोरोना के कारण लेट हो रहा कार्यक्रम :

पहले वन विभाग ने जो तैयार की थी, उस हिसाब से इस वर्ष के शुरुआत में ही अफ्रीकी चीतों को मध्यप्रदेश लाया जा सकता था, लेकिन विश्व व्यापी महामारी कोरोना के कारण लगातार देरी हुई। अब भी कोरोना संक्रमण के मामले में अफ्रीकी देशों की स्थिति अच्छी नहीं है। वैक्सीनेशन का ग्राफ भी कम है। अब भी दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण के मामले काफी बने हुए हैं। इसे देखते हुए ही अफसरों को ट्रेनिंग के लिए भेजने का मामला लगातार टलता रहा। जब तक देखभाल के लिए ट्रेनिंग नहीं हो जाती, तब तक चीतों को यहां नहीं लाया जा सकता था।

भारत में लुप्तप्राय है चीता :

भारत में चीता लगभग छह दशक पहले ही लुप्तप्राय हो चुके हैं। कभी भारत में भी इनका घर था। एशियाई शेरों की तरह इनका भी यहां वास था, लेकिन शिकार के कारण इनकी प्रजाति पूरी तरह खत्म हो गई। ऐसे में अब नए सिरे से चीतों को देश में बसाने के लिए कूनो पालपुर का चयन किया गया है। कूनो को गुजरात के गिर से एशियाई सिंहो को शिफ्ट करने के लिए तैयार किया गया था। यह पहली बार होगा कि देश के किसी जंगल में अफ्रीकी चीतों की बसाहट होगी। इससे मध्यप्रदेश को भी पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

गिर से सिंह लाने में नहीं मिली कामयाबी :

गुजरात के गिर से सिंह को कूनो पालपुर में लाने में राज्य सरकार को एक दशक बाद भी कामयाबी नहीं मिली। मप्र सरकार और गुजरात सरकार की इस मामले में लंबी लड़ाई चली। केंद्र सरकार की वन्य प्राणियों की संरक्षण के लिए बनी कमेटी ने एशियाई सिंहों को किसी तरह की महामारी के दौरान प्रजाति पर संकट के खतरे से बचाने के लिए कुछ सिंहों को मप्र शिफ्ट करने की सिफारिश की थी। इस मामले में राज्य सरकार ने लंबे समय तक केंद्र सरकार से पत्राचार किया, लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र में भी भाजपा की सरकार बनने के बाद इस मामले में मप्र की लड़ाई कमजोर पड़ गई। लिहाजा करोड़ों रुपए खर्च कर तैयार किए गए कूनो पालपुर में अब दक्षिण अफ्रीका से चीते लाने का निर्णय लिया गया। कूनो को अब चीतों की बसाहट के हिसाब से तैयार किया गया है। यहां इस तरह के घास लगायी गयी है, जो कि चीतों को शिकार के लिए छिपने में मदद करती है। यहां बड़ी संख्या में हिरन, सांभर, बारहसिंघा, जंगली सुअर और बंदरों की आबादी है। इस कारण चीतों को शिकार में कोई परेशानी नहीं होगी।

इनका कहना :

कूनो पालपुर में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए जाएंगे। इसकी तैयारी की जा रही है। हमारा प्रयास है कि मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस एक नवंबर तक यह चीते मध्यप्रदेश आ जाएं।

एके बर्णवाल, प्रमुख सचिव, वन विभाग

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