नहीं मिली अध्यादेश को राज्य भवन से मंजूरी-राज्यपाल ने लगाई रोक

अप्रत्यक्ष प्रणाली चुनाव के सम्बन्ध में राज्य सरकार ने अध्यादेश में बदलाव कर दिया, लेकिन अभी अध्यादेश को राज्य भवन से मंजूरी नहीं मिली है।
नहीं मिली अध्यादेश को राज्य भवन से मंजूरी
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राज एक्सप्रेस। प्रदेश सरकार द्वारा इस बार नगर पालिका, महापौर चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होना हैं। इस अप्रत्यक्ष प्रणाली चुनाव के सम्बन्ध में राज्य सरकार ने अध्यादेश में बदलाव कर दिया, लेकिन अभी अध्यादेश को राज्य भवन से मंजूरी नहीं मिली है।

राज्य सरकार द्वारा नगरीय चुनाव से सम्बंधित दो विधेयक गवर्नर को भेजे गए थे, जिसमें से राज्यपाल लालजी टंडन ने एक पर मंजूरी दे दी है। वहीं दूसरे प्रस्ताव में नगर पालिका एवं महापौर के अप्रत्यक्ष प्रणाली के चुनाव प्रस्ताव को अभी रोक दिया है तथा मंजूर प्रस्ताव पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे से जुड़ा है, यदि किसी भी प्रत्याशी के हलफनामे में गलत जानकारी दी तो विधानसभा चुनाव की तरह उन्हें भी 6 माह की सजा के साथ 25 हजार का जुर्माना देना होगा।

अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के सम्बन्ध में राज्य निर्वाचन आयोग ने इस प्रस्ताव पर पिछले महीने केबिनेट में मंजूरी दी थी, इसी के आधार पर नगर पलिका अध्यक्षों, नगर पंचायतों अध्यक्षों तथा महापौर का निर्वाचन होना था।

मंजूरी नहीं देने की अपील :

अप्रत्यक्ष प्रणाली चुनाव का भाजपा लगातार विरोध कर रही है तथा इसके सम्बन्ध में भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा, जिसमें चुनाव को अप्रत्यक्ष प्रणाली को मंजूरी नहीं देने की अपील की।

पूर्व में विधायक कृष्णा गौर, पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, महापौर आलोक शर्मा, देवास महापौर सुभाष शर्मा ने राज्य पाल को अवगत कराया कि, प्रदेश सरकार संविधान के विरुद्ध अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव करने की मंशा रखती है और ऐसा हुआ, तो यह फैसला 74वें संशोधन के खिलाफ होगा तथा राज्य पाल से आग्रह किया कि, वे अप्रत्यक्ष प्रणाली का अनुमोदन ना करें।

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