पार्षदों ने कहा जहर बनी अमृत योजना
पार्षदों ने कहा जहर बनी अमृत योजनाShahid - RE

Gwalior : पार्षदों ने कहा जहर बनी अमृत योजना, घटिया पाईप डाले, रोज फूट रही लाईन

साधारण सम्मेलन में पार्षदों ने अमृत की जांच कराने की मांग की। एडीबी की तरफ अमृत योजना में भी भ्रष्टाचार होने के लगाए आरोप। महापौर एवं सभापति की मौलिक निधि 5-5 करोड़ करने का प्रस्ताव स्वीकृत।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जलविहार परिषद कक्ष में गुरूवार को आयोजित हुए पार्षदों के साधारण सम्मेलन में अमृत योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए है। सत्ता एवं विपक्ष दोनों के पार्षदों ने योजना की जांच कराने की मांग की है। सभापति मनोज तोमर ने 7 दिन में पूरी योजना का विस्तृत ब्यौरा पटल पर प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए। परिषद द्वारा महापौर एवं सभापति की मौलिक निधि 5-5 करोड़ करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है। परिषद की बैठक में एजेण्डे के सात बिंदुओं में से 5 पर चर्चा कर निर्णय लिया गया। एजेण्डे के बाकी बचे दो बिंदुओं पर चर्चा के लिए शुक्रवार 4 नवंबर दोपहर 3 बजे फिर से बैठक बुलाई गई है।

दोपहर 3 बजे शुरू हुई परिषद की बैठक में पार्षदों ने फिर से एजेण्डे को छोड़कर स्थगनों पर चर्चा कराने की मांग की। सभापति ने एक घंटे के लिए अमृत योजना से जुड़े स्थगन प्रस्तावों पर चर्चा की सहमति दी। इसके बाद पार्षदों ने जमकर अमृत योजना की पोल खोली। पार्षदों ने कहा कि आधे शहर में लाईने ही नहीं डली। जो डली हैं उनका मिलान नहीं किया गया। इस मामले की जांच कराई जानी चाहिए। प्रस्ताव की जानकारी देने के लिए निगमायुक्त किशोर कन्याल की अनुपस्थिति में उपस्थित हुए अपर आयुक्त अतेन्द्र सिंह गुर्जर ने कहा कि साफ पानी के लिए हम सभी लगातार प्रयास कर रहे हैं। अमृत योजना में किस वार्ड में कितनी लाईनें डाली गई और क्या काम हुए यह सभी संबंधित वार्ड के पार्षद को 15 दिन में नक्शे सहित उपलब्ध करा दिया जाएगा।सभापति मनोज तोमर ने अमृत योजना में अब तक किए गए सभी कार्यों का वार्ड वार विस्तृत जानकारी एवं सभी वार्डों में डाली गई लाईनों का ब्यौरा पटल पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। बैठक में नगर निगम सीमा में संचालित सिनेमा घरों से प्रति शो वसूला जाने वाला 50 रुपये के शुल्क को 75 रुपये करने, एसडीएमएफ मद से 17 करोड़ की लागत का नाला निर्माण करने के बिंदू भी सहमति से पारित किये गए।

महापौर एवं सभापति की मौलिक निधि हुए पांच-पांच करोड़ :

विपक्ष में बैठे पार्षदों ने स्थगन प्रस्ताव को आम जनता से जुड़ी समस्याएं बताते हुए अगले स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की। इस पर दोनों पक्षों के पार्षदों में बहस होने लगी। इसके बाद भाजपा पार्षदों ने एजेण्डे पर चर्चा कराने के लिए 7 वे बिंदू को पहले लेने की मांग की। यह बिंदू महापौर, सभापति एवं पार्षदों की मौलिक निधि का था। इस पर भी कांग्रेसी पार्षद ने आपत्ति दर्ज कराई। हंगामे के कारण परिषद 2 मिनिट के लिए स्थगित हुई। इसके बाद परिषद में वित्तीय वर्ष 2022 एवं 23 महापौर एवं सभापति की मौलिक निधि 5-5 करोड़ करने एवं पार्षदों की मौलिक निधि 45-45 लाख करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

आपस में ही उलझते रहे भाजपा पार्षद :

परिसद की इस बैठक में भाजपा पार्षद एक दूसरे की बात काटते दिखे। जब सिनेमा घरों से कर के रूप में 50 रुपये प्रति शो की राशि बढ़ाने का बिंदू आया तो सत्ता पक्ष की तरफ से एमआईसी सदस्य अवधेश कौरव ने निगमायुक्त की ओर से आए 200 रुपये के प्रस्ताव को एमआईसी द्वारा 100 रुपये कर परिषद में भेजने की जानकारी दी। इसके बाद भाजपा पार्षर्द अनिल सांखला ने ने एमआईसी के प्रस्ताव को छोड़कर 100 की जगह 75 रुपये शुल्क करने की बात कही। इसके बाद पार्षद मोहित जाट ने 150 रुपये करने का प्रस्ताव दे दिया तो अनिल सांखला ने फिर 76 रुपये करने की बात कह दी। नेता प्रतिपक्ष हरिपाल ने 150 रुपये के प्रस्ताव का दूसरा मतलब समझाते हुए बात घुमाने की कोशिश की। कुल मिलाकर भाजपा पार्षद एक जुट नजर नहीं आए।

स्वच्छता सर्वेक्षण में दीवार पुताई में हुआ भ्रष्टाचार :

एजेण्डे के बिंदू क्रमांक 3 में 17 करोड़ 61 लाख की लागत से बनने वाले नाले पर परिषद ने स्वीकृति दे दी। इसके बाद बिंदू क्रमांक 4 में 100 एलएडी लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इसमें बीओटी के आधार पर 7 करोड़ रुपये नगर निगम एवं 7 करोड़ रुपये ठेकेदार द्वारा व्यय करके एलईडी लगाने का प्रस्ताव दिया गया। इस प्रस्ताव पर विपक्ष के पार्षदों ने आपत्ति दर्ज कराई, जबकि सत्ता पक्ष इसे लगाने के समर्थन में रहा। इसी दौरान वार्ड 21 के पार्षद बृ़जेश श्रीवास ने कहा कि प्रचार प्रसार के नाम पर पहले ही करोड़ों रुपये का घपला किया जा रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण में दीवार पुताई के नाम पर करोड़ों रुपये की फाईलें बनाकर भुगतान करा लिया गया जबकि दीवार पोतने की जगह ठेकेदार ने पहले से पुती हुई दीवार का 2020 की जगह 2021 और 2018 की जगह 2019 लिखकर फोटो खिचांई है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। 100 एलईडी स्क्रीन लगाने के प्रस्ताव को पुर्न विचार के लिए परिषद से वापस भेज दिया गया।

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