Gwalior : मोर विसर्जन को तिघरा पर उमड़े श्रद्धालु

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मोरछठ के रूप में मनाई गई। मोर विसर्जन करने के लिए शहर के लोग परिवार के साथ तिघरा और सागरताल पहुंचे।
मोर विसर्जन को तिघरा पर उमड़े श्रद्धालु
मोर विसर्जन को तिघरा पर उमड़े श्रद्धालुRaj Express

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मोरछठ के रूप में मनाई गई। इस मौके पर शहर के आसापास स्थित नदी, सरोवरों के घाट पर मोर विसर्जन होने से रौनक बनी रही। मोर विसर्जन करने के लिए शहर के लोग परिवार के साथ तिघरा और सागरताल पहुंचे। कुछ लोगों ने समीपवर्ती नदियों में भी मोर विसर्जन किया।

रविवार की छुट्टी और मोर छठ एक साथ होने की वजह से तिघरा जलाशय का नजारा देखने लायक था। लोग परिवार सहित दो पहिया व चार पहिया वाहनों से तिघरा पहुंचे। महिलाओं ने जहां विधि विधान से मोर विसर्जन किया। गौरतलब है कि जिन घरों में गत महीनों मेें शादियां हुई हैं, वे वर-वधु के सिर पर लगा मोर इस दिन विसर्जन करते हैं। इस मौके पर तिघरा पहुंचे परिवार के अन्य सदस्यों ने पानी की लहरों के साथ मस्ती की। महिलाओं ने इस दौरान मोरयाई छठ व्रत भी किया। 'योतिषाचार्यों के मुताबिक इसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। मोर छठ का व्रत पूरी तरह भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन सूर्य उपासना एवं व्रत रखने का विशेष महत्व होता है।

ऐसे की मोर छठ पूजा :

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर लाल चंदन व केसर से भगवान सूर्य की प्रतिमा बनाई। प्रतिमा पर भगवान सूर्य को प्रिय वस्तुएं जैसे लाल चंदन, लाल फल, लाल वस्त्र आदि चढ़ाएं, घी का दीपक जलाए। सूर्य देव के विभिन्न नाम तथा मंत्रों का जाप किया। सूर्यनारायण को तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल कुमकुम, लाल रंग के पुष्प डालकर अर्घ दिया। पूजन के बाद शाम को चीनी, घी, फल, दृव्य दक्षिणा वस्त्र ब्राह्मण को दान किए।

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