Gwalior : मिट्टी की पहाड़ी पर बने मकान, बारिश में धसकने से हो सकता है हादसा
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। शहर में सरकारी जमीन पर किस तरह से कब्जे किए जाते है यह कोई शहर में आकर देख सकता है। वैसे तो प्रशासन की आंख है, लेकिन वह इसको नजर अंदाज करता रहता है और जब काफी शोर शराबा होता है तब जाकर प्रशासन की आंख खुलती है, लेकिन तब तक सरकारी जमीनों पर कीमती मकान बन चुके होते है। ऐसे में जब तुड़ाई की जाती है तो काफी नुकसान होता है जिसको लेकर राजनीतिक दल के नेता अपने वोट बैंक के लिए सक्रिय होकर विरोध करने लगते है। शहर के कुछ मिट्टी के टीले बने हुए है और उन पर लोगों ने कब्जा कर मकान बना लिए है, लेकिन बारिश के मौसम में मिट्टी खिसकने से कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन प्रशासन इस तरफ देखने को तैयार नहीं है।
शहर के किसी भी हिस्से में पहाड़ी अब खाली नजर नहीं आयेगी, क्योंकि वहां कब्जा कर मकान तन चुके है। पहाड़ियो पर कब्जा करने का तरीका यह है कि वहां पहले झोपड़़ी डाली जाती है उसके बाद धीरे-धीरे पक्के मकान बनाएं जाते है। कैंसर पहाड़ी से लेकर शहर की अन्य कई पहाड़ी देखे तो पाया जाता है कि उन पर कब्जा कर रहने वालो को राजनेताओ द्वारा ही सरंक्षण दिया जाता है। कैंसर पहाड़ी पर पहले कच्चे मकान बने थे और अब वहां पक्के मकान बन गए है और इस रास्ते से जो जाता है उसको भी बाधा हो रही है। इस पहाड़ी पर रहने वाले लोगो को हटाने के लिए कुछ समय पहले कार्यवाही की बात कही गई थी, लेकिन राजनेताओ के दवाब के कारण सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को हटाना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ। ऐसा ही नजारा शहर के अन्य स्थानो पर देखा जा सकता है।
मिट्टी के टीले पर बने मकान, हादसे को न्यौता :
विक्की फैक्ट्री से चन्द्रवदनी नाके की तरफ जाने वाले रास्ते की एक तरफ मिट्टी की टीले है। उन मिट्टी के टीलो पर कब्जा कर लोगो ने अपने मकान बना लिए है। बारिश के मौसम में मिट्टी की टीले खिसकने का भय रहता है, जिसके कारण कभी भी हादसा हो सकता है, लेकिन इन अवैध कब्जो को हटाने के लिए प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। बताया गया है कि बारिश होने के कारण मिट्टी के टीलो से मिट्टी धसकना भी शुरू हो गई है, लेकिन वहां रह रहे लोगों ने उस मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए प्रयास किए है, पर अगर तेज बारिश होती है तो कटाव होने से वहां हादसा हो सकता है।
सरकारी जमीन पर कब्जो की छूट :
शहर में हालात यह है कि सरकारी जमीन पर एक तरह से कब्जे की छूट दे रखी है। इसका कारण यह है कि निगम से लेकर जिला प्रशासन भी अवैध कब्जो की तरफ ध्यान नहीं देता है जिसके कारण लोग जहां चाहे कब्जा कर अपने मकान बना रहा है। यही कारण है कि शहर की अधिकांश पहाड़िया अब रिहायस मेंं तब्दील हो चुकी है और हरियाली शहर से एक तरह से गायब हो गई है। अब सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे कर मकान बनाने की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाने की बजाएं वहां रहने वालो को तमाम सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती है जिसके पीछे वोट बेैंक की राजनीति भी प्रमुख कारण मानी जाती है। प्रशासन भी राजनीतिक दलो के नेताओ के दवाब में कार्यवाही करने से पीछे रहती है और जब न्यायालय की डंडा आता है तब कार्यवाही की जाती है लेकिन उस समय तक जो नुकसान तुड़ाई में होता है उसकी भरपाई कौन करेगा?
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