फिल्टर प्लांटों पर पानी साफ है तो शहर में क्यों आ रहा है गंदा
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फिल्टर प्लांटों पर पानी साफ है तो शहर में क्यों आ रहा है गंदा, महापौर ने फिल्टर प्लांटों का निरिक्षण किया

गंदे पानी की हकीकत जानने 3 घंटे 20 मिनिट वाटर फिल्टर प्लांटों पर घूमी महापौर। तिघरा से फिल्टर प्लांटों पर आ रहा कीचड़ युक्त पानी। पीएचई अधिकारी बोले जल संसाधन विभाग बरत रहा है लापरवाही।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। आप लोग वाटर फिल्टर प्लांट पर तो साफ पानी दिखा रहे हैं फिर शहर में गंदे पानी की सप्लाई क्यों हो रही है। लोगों को इससे कारण जानने से कोई मतलब नहीं है उन्हें तो साफ पानी चाहिए। आप लोग जो भी आवश्यक कदम उठा सकते हैं उठाएं। हम प्रतिदिन पेयजल सप्लाई की मॉनिटरिंग करेंगे। यह निर्देश महापौर डॉ. शोभा सिकरवार ने पीएचई अधिकारियों को दिए। वह गंदे पानी की हकीकत जानने के लिए तिघरा से लेकर मोतीझील एवं जलालपुर तिराहे का निरीक्षण करने पहुंची थी। इस दौरान एमआईसी सदस्य सहित निगम अधिकारी उपस्थित थे।

शहर में लगातार 11 दिन से गंदे पानी की सप्लाई हो रही है। अधिकारी हर बार नया कारण बता रहे हैं और आम जनता परेशान है। इसकी हकीकत जानने के लिए महापौर डॉ. शोभा सिकरवार बुधवार दोपहर 12:10 बजे तिघरा वाटर फिल्टर प्लांट पर पहुंची। उनके साथ एमआईसी सदस्यों के अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित एवं अपर आयुक्त मुकुल गुप्ता सहित पीएचई अधिकारी तथा ठेकेदार उपस्थित थे। यहां अधिकारियों ने बताया कि तिघरा बांध से कीचड़ युक्त पानी आ रहा है। यह फिल्टर प्लांट पर दिख भी रहा था। बांध से आम तौर पर आने वाले पानी में 5 प्रतिशत टर्बिडिटी (गंदगी) होती है जो वर्तमान में 120 प्रतिशत तक आ रही है। इस पानी को साफ करने में 8 गुना ऐलम सहित अन्य केमिकल डालने पड़ रहे हैं। इससे अधिक कैमिकल मिलाने पर पानी पीने योग्य नहीं रहेगा। फिल्टर प्लांट पर पानी साफ था और अधिकारियों ने उसे पीकर भी दिखाया। महापौर ने पानी फिल्टर करने की पूरी प्रक्रिया समझी। इसके बाद महापौर का काफिला मोतीझील के पुराने एवं नए फिल्टर प्लांट पर पहुंचा। यहां भी वही स्थिति दिखाई दी। महापौर ने लैब में पानी के सैंपल लेकर अन्य प्रक्रिया अपने सामने कराई। इसके बाद महापौर जलालपुर फिल्टर प्लांट पर पहुंची। यहां विष्णु पुंगलिया ठेकेदार के प्रोजेक्ट इंचार्ज पियूष शर्मा ने बताया कि पानी साफ करने के लिए 8 गुना ज्यादा कैमिकल डालना पड़ रहा है। महापौर ने पूरी प्रक्रिया समझी और अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह मैदानी अमले के साथ पेयजल सप्लाई का निरीक्षण करके सुनिश्चित करें कि आम जनता तक साफ पानी पहुंचे।

120 से 180 प्रतिशत तक टर्बिडिटी :

तिघरा फिल्टर प्लांट पर जब पानी की गंदगी को जांचा गया तो उसका स्तर 120 आया, जबकि आम दिनों में यह 5 रहता है। इसी तरह मोतीझील पर 129 और जलाल पुर लगभग 180 तक टर्बिडिटी पानी में मिली। पीएचई कार्यपालन यंत्री जागेश श्रीवास्ताव एवं मोतीझील प्रभारी अधिकारी एससी श्रीवास्तव ने पूरी प्रक्रिया समझाकर पानी के गंदे होने का कारण बताया।

महापौर एवं अधिकारियों ने पिया पानी :

निरीक्षण के दौरान प्लांट पर मौजूद अधिकारियों ने फिल्टर पानी को पीकर दिखाया। इसके बाद एमआईसी सदस्यों ने पानी सूंघ कर देखा। फिर महापौर डॉ. शोभा सिकरवार ने पानी को पीकर देखा और एमआईसी सदस्यों ने भी पानी पिया। फिल्टर प्लांट पर पानी ठीक था लेकिन शहर में गंदे पानी की सप्लाई में सुधार नहीं हो रहा। इस स्थिति को ठीक करने के लिए महापौर ने निर्देश दिए है।

जल संसाधन विभाग के साथ होगी बैठक :

पीएचई अधिकारियों ने बताया कि तिघरा से बहुत गंदा पानी आ रहा है और इसके लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हैं। उन्हें पत्र भी लिखा जा चुका है। मौके पर मौजूद अपर आयुक्त मुकुल गुप्ता ने जल संसाधन विभाग एवं पीएचई विभाग के साथ महापौर की बैठक कराने के निर्देश दिए। यह बैठक गुरूवार या शुक्रवार को आयोजित कराई जा सकती है।

इनका कहना है :

शहर में लगातार गंदा पानी आ रहा है। इससे लोग बीमार पड़ रहे हैं। हमने गंदे पानी का कारण जानने के लिए फिल्टर प्लांटों का निरीक्षण किया है। प्लांट पर पानी साफ है, लेकिन शहर में गंदे पानी की सप्लाई हो रही है। हमने पीएचई अधिकारियों को व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए हैं। अब प्रतिदिन हम पेयजल सप्लाई की समीक्षा करेंगे। अगर व्यवस्था नहीं सुधरी तो कार्यवाही की अनुशंसा की जाएगी।

डॉ. शोभा सिकरवार, महापौर

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