2017 से बिना लाइसेंस के संचालित हो रहा जेएएच का ब्लड बैंक
2017 से बिना लाइसेंस के संचालित हो रहा जेएएच का ब्लड बैंकRaj Express

Gwalior : 2017 से बिना लाइसेंस के संचालित हो रहा जेएएच का ब्लड बैंक

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : 2017 में लाइसेंस रिन्यू के लिए किया आवेदन, अभी तक नहीं हुआ रिन्यू। टीम ने गिनाई कई खामियां, जिनका ब्लड बैंक में नहीं हो रहा पालन।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जयारोग्य अस्पताल परिसर में बने ब्लड बैंक का लाइसेंस 2016 में ही समाप्त हो चुका है। जीआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने लाइसेंस रिन्यू करने के लिए आवेदन किया था। इस पर टीम ने 2017 में ब्लड़ बैंक का निरीक्षण किया। लेकिन रिन्यू का लाइसेंस अभी तक नहीं मिला है। गत दिवस टीम ने फिर ब्लड बैंक के लाइसेंस को रिन्यू करने के लिए निरीक्षण किया। लेकिन टीम ने ब्लड बैंक में खामियों का भण्डार खोल दिया। इससे लगता है कि इस बार भी लाइसेंस रिन्यू होना संभव नहीं है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने एक टीम बनाकर जेएएच परिसर स्थित ब्लड बैंक का निरीक्षण करने के लिए भेजा था। इस टीम में इंदौर ड्रग इंस्पेक्टर राहुल सिंह, ग्वालियर ड्रग इंस्पेक्टर किरन कुमार और जिला अस्पताल मुरार के डॉ.एसके वर्मा शामिल थे। इन्हीं के रिपोर्ट के आधार पर जेएएच के ब्लड़ बैंक को लाइसेंस मिलना है। लेकिन 14 जनवरी को जब टीम ने निरीक्षण किया तो उसमें उन्हें कई तरह की गंभीर खामियां मिलीं। उन्हें देखकर लगता है कि इस बार भी ब्लड बैंक का लाइसेंस रिन्यू होना संभव नहीं है।

रिकार्ड ही नहीं मिला नियमानुसार :

टीम ने ब्लड बैंक के निरीक्षण में ब्लड का रिकार्ड भी चैक किया। लेकिन टीम को रिकार्ड ही नियमानुसार नहीं मिला। इसे उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मेनसन किया है। इसी बात से अंदाजा लगया जा सकता है कि ब्लड बैंक का लाइसेंस रिन्यू हो सकता है कि नहीं।

यह मिली गंभीर खामियां :

  • रक्तदाताओं का रिकार्ड नियमानुसार नहीं मिला।

  • रक्त और कम्पोनेंट का मास्टर रिकार्ड नियमानुसार नहीं था।

  • ब्लड़ ईश्यू रजिस्टर्ड का रिकार्ड नियमानुसार नही मिला।

  • कम्पोनेंट सप्लाई का रिकार्ड संधारित नहीं मिला।

  • ट्रांसफ्यूटन से होने वो रियेक्शन का रिकार्ड नहीं मिला।

  • क्वालिटी कंट्रोल लैब के लिए जो आवश्यक उपकरण हैं वह नहीं मिले।

  • आरएच बॉक्स तापमान मापक के साथ नहीं था।

  • एसी ठीक काम नहीं कर रहे थे।

  • कुछ फ्रिजों के थार्मोग्राफ ठीक से काम नहीं कर रहे थे।

  • फर्म को स्टरलाइज़ेशन कम वाशिंग रूम में एग्जॉस्ट सिस्टम नहीं मिला।

  • रक्तदान करने वाले की गोपनियता मेनटेन नहीं हो रही थी।

क्या बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक चलाना संभव :

अब सवाल यह उठता है कि जब 2016 से ब्लड़ बैंक को चलाने के लिए लाइसेंस नहीं है। तो ऐसे में जयारोग्य अस्पताल परिसर में बना ब्लड बैंक कैसे संचालित हो रहा है। क्या बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक चलाना संभव है।

क्या कहते हैं वरिष्ठ चिकित्सक :

पैथलॉजी विभाग से जुड़े वरिष्ठ चिकित्सक का कहना है कि निजी ब्लड बैंक वालों को यह परमीशन आसानी से मिल जाती है। लेकिन जेएएच की ब्लड बैंक को लम्बे समय से परमीशन न मिलना यह सोच की बात है। जबकि यहां गरीब तबके का मरीज उपचार कराने आता है। उसके बाद भी लाइसेंस रिन्यू कराने की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

कोरोनाकाल में हुए प्लाज्मा कांड के वक्त हुई थी छानबीन :

कोरोना के पहली बेव में दतिया के व्यावारी मनोज कुमार गुप्ता की मौत फुलबाग स्थित अपोलो हॉस्पिटल में हुई थी। इस पर परिजन ने नकली प्लाज्मा चढ़ाने का आरोप लगया था। उस वक्त भी जेएएच के ब्लड बैंक में छानबीन हुई थी।

इनका कहना है :

हां, टीम ब्लड बैंक के निरीक्षण के लिए आई थी। निरीक्षण हो गया है उसकी रिपोर्ट भी आ गई है। रिपोर्ट में जो कमियां हैं उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही हमारा लाइसेंस रिन्यू हो जाएगा।

डॉ.अमित निरंजन, जनसम्पर्क अधिकारी, जीआरएमसी

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