Gwalior : अमृत योजना के घपले की विधानसभा में खुलेंगी परतें
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। अमृत योजना के क्रियान्वयन में बड़े स्तर पर घपले के आरोप तीन साल से लग रहे हैं। लेकिन स्थानीय नेताओं का संरक्षण प्राप्त अधिकारियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो सका है। अधिकारी नेताओं को ठेकेदार से उपकृत करा रहे हैं इसलिए सभी आंख पर पट्टी बांधकर बैठे हैं। इस योजना से जुड़े भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए विधानसभा सत्र में सवाल लगाने की तैयारी कांग्रेसी विधायकों द्वारा की जा रही है। विधायक अमृत के साथ प्रोजेक्ट उदय उर्फ एडीबी एवं प्रोजेक्ट उत्थान में किए गए कार्यों की जानकारी भी मांगेंगे। इससे पूरे भ्रष्टाचार की कलई खुल जाएगी।
शहर की सीवर एवं पेयजल समस्या को खत्म कराने के उद्देश्य से नगर निगम द्वारा 733 करोड़ की लागत से अमृत योजना में काम कराए गए। इस योजना से जुड़े काम के टेण्डर चार कंपनियों के हिस्से में आए थे। दो कपंनियों ने सीवर प्रोजेक्ट का काम किया तो दो ने पेयजल संबंधी कार्य किए। कपंनियों को अनुबंध की शर्तों के अनुरूप 24 महीने में काम पूरा करना था, लेकिन 60 महीने बाद भी दोनों प्रोजेक्टों के काम अधूरे रहे। इतना ही नहीं अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर ठेकेदारों को भुगतान भी करा दिया। सीवर प्रोजेक्ट के दोनों ठेकेदार 2020 में काम पूरा करके ऑपरेशन एण्ड मेंटीनेंस (ओएनडेम) शुरू कराने की मांग को लेकर कई बार पत्र लिख चुके हैं। इतन ही नहीं ठेकेदारों ने ओएनडेम का भुगतान न होने पर दोनों सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बंद करने की चेतावनी भी दी थी। लेकिन सीवर प्रोजेक्ट को लेकर जो शिकायतें हुई हैं उनका निराकरण कराए बिना निगमायुक्त किशोर कन्याल ने ओएनडेम एवं फाइनल भुगतान करने से पूरी तरह मना कर दिया है। अधिकारी ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए स्थानीय नेताओं से दबाव भी डलवा रहे हैं, लेकिन लोकायुक्त एवं ईओडब्लू में शिकायत होने के डर से फाइनल भुगतान नहीं किया जा रहा। इतना ही नहीं जो शिकायतें हुई हैं उसकी जांच भी निगम अधिकारी नहीं कर रहे। इसे देखते हुए अब कांग्रेसी विधायकों ने अमृत योजना में हुए घपलों की शिकायत विधानसभा सत्र के दौरान सदन में करने की कवायद शुरू कर दी है।
निगम अधिकारियों से बनवा रहे बिंदू :
विधानसभा सत्र में योजना से संबंधित कौन-कौन सी जानकारी मांगनी है इसके लिए विधायक नगर निगम के पूर्व अधिकारियों से बिंदू तैयार करवा रहे हैं। सवाल तकनीकी आधार पर पूरी तरह सटीक बैंठे और जानकारी में भ्रष्टाचार होने की बात साबित हो जाए, इस तरह पूरी कवायद की जा रही है। इन सवालों का जवाब देने के बाद सारी स्थिति साफ हो जाएगी। इसके बाद नगर निगम परिषद की बैठक में भी अमृत योजना से जुड़े अधिकारियों को घेरने की पूरी प्लानिंग चल रही है।
निगम अधिकारियों ने खोल लिए पेट्रोल पंप :
इन दिनों नगर निगम में पेट्रोल पंप खोलने की होड़ सी मची है। सेवा निवृति से पहले निगम अधिकारी दूसरा धंधा पुख्ता करने की प्लानिंग किए हुए हैं। सूत्रों की माने तो दो निगम अधिकारियों ने पेट्रोल पंप खोल लिए हैं और तीन ने कॉलोनी के लिए खेती की जमीन खरीद ली है। यह बिल्डरों को पार्टनर बनाकर फार्म फॉर कॉलोनी बनाने की तैयारी में हैं। देखना यह है कि सेवा नवृति के बाद अधिकारियों के बिजनेस को चालू रखने के सपने कितने समय में पूरे होते हैं।
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