एक साल में 4 करोड़ 32 लाख से अधिक की ऑक्सीजन पी गए मरीज
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Gwalior : एक साल में 4 करोड़ 32 लाख से अधिक की ऑक्सीजन पी गए मरीज

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : लिक्विड़ ऑक्सीजन की खपत जयारोग्य-कमलाराजा अस्पताल में कम होने का नाम नहीं ले रही है क्योंकि, अस्पताल में शासन ने जो पांच पीएसए प्लांट लगाए थे।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जयारोग्य-कमलाराजा अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज एक साल में 4 करोड़ 32 लाख से अधिक की ऑक्सीजन पी गए। अस्पताल में पांच ऑक्सीजन प्लांट लगे होने के बाद यह स्थिति है। हालांकि जिम्मेदार अधिकारियों के अनुसार प्लांट बंद होने के कारण एलएमओ ऑक्सीजन की खपत कम नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि बीच में जब पीएसए (प्रेशर स्विंग एड्जॉर्ब्शन) प्लांट शुरू हो गए थे। जब खपत में कमी आई थी।

लिक्विड़ ऑक्सीजन की खपत जयारोग्य-कमलाराजा अस्पताल में कम होने का नाम नहीं ले रही है क्योंकि, अस्पताल में शासन ने जो पांच पीएसए प्लांट लगाए थे। उसमें से तीन प्लांट बंद पड़े हुए है। इसलिए प्लांट होने के बावजूद भी कॉलेज-अस्पताल प्रबंधन को ऑक्सीजन पर हर वर्ष करोड़ों रूपए खर्च करना पड़ रहा है। हालांकि प्रबंधन इस पर मुस्तैदी से काम करें तो ऑक्सीजन पर होने वाले खर्च को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। लेकिन, जिम्मेदारों की अनसुनी-अनदेखी के कारण मरीजों-छात्रों का पैसा पानी में बहाया जा रहा है।

गैस से महंगी पड़ रही बिजली :

अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि ऑक्सीजन गैस से महंगी तो बिजली है। जितनी ऑक्सीजन का हम पीएसए प्लांट को चलाकर उत्पादन करते हैं, उससे ज्यादा हमारा बिजली का बिल आ जाता है। यानी हम कह सकते हैं कि ऑक्सीजन गैस से महंगी तो बिजली है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि यह पीएसए प्लांट वहां सही काम कर रहे हैं जहां बिजली का उत्पादन भरपूर है और सस्ती है।

अस्पताल में कहां-कहां लगे हैं पीएसए प्लांट :

  • दो पीएसए प्लांट हजार बिस्तर अस्पताल में लगे हुए हैं।

  • एक पीएसए प्लांट ट्रॉमा सेंटर के बाहर लगा हुआ है।

  • एक पीएसए प्लांट कार्डियोलॉजी के बाहर लगा है।

  • एक पीएसए प्लांट न्यूरोलॉजी के पास लगा हुआ है।

पीएसए ऑक्सीजन :

पीएसए ऑक्सीजन के प्लांट में प्रेशर स्विंग एड्जॉर्ब्शन ( पीएसए) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। पीएसए प्लांट में हवा से ही ऑक्सीजन बनाने की अनूठी टेक्नोलॉजी होती है। इसमें एक चैम्बर में कुछ एडजॉर्बेंट डालकर उसमें हवा को गुजारा जाता है, जिसके बाद हवा का नाइट्रोजन एडजॉर्बेंट से चिपककर अलग हो जाता है और ऑक्सीजन बाहर निकल जाती है। इस कॉन्सेंट्रेट ऑक्सीजन की ही अस्पताल को आपूर्ति की जाती है। जानकारों के अनुसार पीएसए ऑक्सीजन की शुद्धता कम होती है। इसलिए इसका उपयोग ऑपरेशन थ्रेटर और आईसीयू में कम किया जाता है।

एलएमओ ऑक्सीजन क्या होती है :

लिक्विड़ ऑक्सीजन गैस को (एलएमओ) भी कहा जाता है। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि इस ऑक्सीजन की शुद्धता अधिक होती है। इसलिए इसका सबसे अधिक उपयोग ऑपरेशन थ्रेटर, आईसीयू और अन्य वार्डों में भर्ती होने वाले गंभीर मरीजों को देने में किया जाता है।

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इनका कहना है :

जयारोग्य अस्पताल में चार पीएसए प्लांट लगे हैं। इसमें से हजार बिस्तर अस्पताल वाले दोनों प्लांट चालू हैं। ट्रॉमा सेंटर और न्यूरोलॉजी के पास लगा प्लांट बिजली सप्लाई के कारण बंद पड़े हुए हैं। कार्डियोलॉजी वाला भी बंद हैं। ट्रॉमा सेंटर और न्यूरोलॉजी के प्लांट की बिजली सप्लाई संबंधित समस्या को दुरूस्त कराने के लिए मैंने संबंधित अधिकारियों को अवगत करा दिया है। जल्द ही यह दोनों प्लांट चालू हो जायेंगे। कार्डियोलॉजी वाले प्लांट को हटाने के लिए हमने संबंधित कम्पनी को पत्र लिखा है।

डॉ.आशीष माथुर, इंचार्ज/ऑफिसर ऑक्सीजन, जीआर मेडिकल कॉलेज

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