इमरती के गेम प्लान को नरोत्तम व भारत सिंह ने मिलकर किया फेल
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Gwalior : इमरती के गेम प्लान को नरोत्तम व भारत सिंह ने मिलकर किया फेल

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : इमरती देवी अपनी समर्थक को अध्यक्ष बनवाने के लिए थी सक्रिय। केन्द्रीय मंत्री की मध्यस्थता से दो मंत्री आए करीब तो बना लिया अपनी पसंद का अध्यक्ष।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। ग्वालियर व मुरैना में महापौर चुनाव हारने के बाद भाजपा के अंदर एक तरह से हताशा का वातावरण था, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा ने जीतकर एक तरह से ग्वालियर-चंबल में अपनी साख बचाने का काम तो किया ही साथ ही कार्यकर्ताओं में भी जोश भरने का काम किया है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस तो पिक्चर से ही गायब थी पर भाजपा के अंदर एक बार फिर गुटबाजी सामने आई। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर हुई सदस्यों की घेराबंदी में नरेंद्र सिंह तोमर समर्थित गुट ने सिंधिया गुट से एक बार फिर बाजी मार ली। यहां सिंधिया गुट की तरफ से पूर्व मंत्री इमरती देवी जिला पंचायत अध्यक्ष नेहा परिहार को बनवाने के लिए सक्रिय थी, लेकिन आखिरी वक्त पर एक केन्द्रीय मंत्री की मध्यस्थता से प्रदेश के दो मंत्री करीब आए और अपनी पसंद का अध्यक्ष दुर्गेश कुंवर जाटव को बनवाने में सफल हुए।

पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा में कई जिलो में आपसी खींचतान देखने को मिली और खासकर ग्वालियर जिले में सबसे अधिक दिखाई दी। जनपद अध्यक्ष डबरा के चुनाव में जिस तरह से सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी ने सदस्यों को दिल्ली ले जाकर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलवाया और अपनी पसंद का जनपद अध्यक्ष बनवा लिया। जबकि प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के समर्थक रामेश्वर तिवारी भी डबरा जनपद अध्यक्ष का चुनाव लड़े थे, लेकिन सदस्य इमरती के पास थे जिसके कारण उनकी हार हुई। इसके बाद से ही भाजपा नेता रामेश्वर तिवारी ने इमरती देवी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एक तरह से कांग्रेस का सहयोग किया, क्योंकि जिस व्यक्ति को अध्यक्ष बनवाया गया है उसने उप चुनाव में इमरती देवी के खिलाफ ही काम किया था। वही गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का डबरा गृह क्षेत्र है ऐसे में अपने समर्थक की हार को वह भी शायद नहीं पचा पा रहे होंगे, क्योंकि उनके समर्थक को उनके ही दल के सिंधिया समर्थक नेता ने हराकर एक तरह राजनीतिक पराजय देने का काम किया था। यही कारण है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में नरोत्तम मिश्रा व भारत सिंह कुशवाह दोनो ने एकजुट होकर पूर्व मंत्री इमरती देवी के गेम प्लान को फेल कर अपनी समर्थक को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनवा लिया।

ऐसे नजदीक आए दोनो मंत्री :

जिला पंचायत ग्वालियर के अध्यक्ष के लिए लॉबिंग इमरती देवी कर रही थी और उनके पास संख्या बल भी हो गया था। ऐसे में इमरती दिल्ली में भी सिंधिया के पास पहुंची थी, लेकिन आखिरी समय में उनका गेम प्लान फेल हो गया, क्योंकि डबरा में अपने समर्थक की हार को गृह मंत्री पचा नहीं पा रहे थे। अब अकेले वह जिपं अध्यक्ष बनवा नहीं सकते थे और भारत सिंह भी इस खेल में फेल साबित हो रहे थे, ऐसे में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मध्यस्थता कर दोनों मंत्रियो को करीब लाए और उनसे कहा कि दोनों मिलजुलकर काम करें। इस मध्यस्थता के बाद समीकरण एकाएक बदल गए और भोपाल में दोनो मंत्रिया के समक्ष जिपं सदस्य बैठे और बात हुई फिर सहमति बनी। इस तरह दोनो मंत्री अपनी समर्थक दुर्गेश कुंवर जाटव को अध्यक्ष व श्रीमती प्रियंका सतेन्द्र सिंह को उपाध्यक्ष निर्विरोध बनवाने में सफल हुए।

काम नहीं आई इमरती की दिल्ली दौड़ :

ग्वालियर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भाजपा के दिग्गज नेताओं के बीच की गुटबाजी खुलकर नजर आई। ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे की इमरती देवी अपने समर्थक को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने में नाकाम साबित हुईं, हालांकि इमरती देवी ने अपने समर्थक को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने के लिए दिल्ली तक दौड़ लगाई और मंदिरों में पंचायत लगाकर कसमें भी खिलवाई थी, लेकिन आखिर में सफलता नरेंद्र सिंह तोमर की मध्यस्थता के चलते नरोत्तम मिश्रा और भारत सिंह कुशवाह के गुट के हाथ लगी।

भाजपा के 2 नेताओं के बीच छिड़ी थी जंग :

जिला पंचायत ग्वालियर में अध्यक्ष पद को लेकर मुकाबला शुरू से ही रोचक इस कारण बना हुआ था, क्योंकि दो गुट अपने समर्थक को अध्यक्ष बनवाने के लिए सक्रिय थे। वार्ड 3 से जिला पंचायत सदस्य बनी दुर्गेश जाटव के लिए मंत्री भारत सिंह कुशवाह के साथ नरोत्तम मिश्रा भी रणनीति तैयार करने में जुटे थे तो वहीं वार्ड 7 से सदस्य बनी नेहा पत्नी मुकेश परिहार के लिए सिंधिया समर्थक और पूर्व मंत्री इमरती देवी काफी सक्रिय थी। यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक मंत्री भारत सिंह कुशवाह और सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी के बीच अध्यक्ष पद को लेकर एक तरह से वर्चस्व की राजनीतिक जंग छिड़ी हुई थी और इस जंग में भारत सिंह को नरोरत्तम मिश्रा का साथ मिलने से वह इस जंग को जीत गए।

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