ग्वालियर : नहीं बदले जा रहे पुराने मीटर

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : शहर के लगभग एक चौथाई उपभोक्ताओं के मीटर खराब हैं या फिर बंद हैं लेकिन उनको बदला नहीं जा रहा है। मीटर न बदलने से लग रही आंकलित खपत।
नहीं बदले जा रहे पुराने मीटर
नहीं बदले जा रहे पुराने मीटरSocial Media

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। शहर के लगभग एक चौथाई उपभोक्ताओं के मीटर खराब हैं या फिर बंद हैं लेकिन उनको बदला नहीं जा रहा है। मीटर खराब होने की स्थिति में कंपनी उनके बिलों में आंकलित खपत लगा रही जिससे उपभोक्ता कंपनी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

कई कनेक्शन तो ऐसे हैं जिनमें कंपनी ने मीटर खपत के साथ-साथ आंकलित खपत लगाई है। इसके पीछे कंपनी अधिकारियों का तर्क रहता है कि उनके पिछले बिजली की खपत के रिकॉर्ड के अनुसार ही आंकलित खपत लगाई गई है। ऐसे में वह उपभोक्ता अधिक परेशान होते हैं जो जिन्होंने बिजली की खपत कम कर दी है या फिर कम हो गई है। वह उपभोक्ता कंपनी को इस बात का विश्वास नहीं दिला पा रहे हैं कि उनकी खपत वास्तविक रुप में कम हो गई है।

कंपनी नियमों की अनदेखी :

नियमानुसार आंकलित खपत किसी भी कनेक्शन में तभी तक लगाई जा सकती है जब तक मीटर खराब या बंद है। इसकी अवधि भी अधिकतम तीन माह है लेकिन शहर में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या हजारों में हैं जिनके मीटर कई वर्षों से खराब पड़े हैं लेकिन उनको सुधारा नहीं जा सका है।

कंपनी के पास मीटरों की कमी :

बिजली कंपनी के पास सिंगल व थ्री फेस मीटरों की कमी लंबे समय से रही है और आज भी है जिसके कारण मीटर नहीं बदले जा पा रहे हैं। मीटर न बदलने से उपभोक्ताओं के बिलों में आंकलित खपत लगाई जा रही है जिससे उपभोक्ता परेशान हैं और भरने को मजबूर हैं। मीटर का मामला कंपनी स्तर का है लिहाजा इस विषय में कंपनी के शीर्ष अधिकारियों को ही निर्णय लेना है। कंपनी अधिकारियों की मानें तो मीटरों की समस्या का निदान अगर हो जाता है तो इसका फायदा उपभोक्ताओं का होगा लेकिन कंपनी इसमें बिल्कुल रुचि नहीं ले रही है।

खराब मीटर बने समस्या :

शहर के उपभोक्ताओं के खराब मीटर न केवल उनके लिए बल्कि कंपनी के लिए भी समस्या बन चुके हैं। कंपनी जोनों पर आने वाला लगभग हर तीसरा व्यक्ति आंकलित खपत की मार से परेशान हैं और इसके पीछे मुख्य कारण मीटर खराब या बंद होना बताया जा रहा है।

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