429 अवैध कॉलोनी को वैध करने की प्रक्रिया शुरू
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Gwalior : 429 अवैध कॉलोनी को वैध करने की प्रक्रिया शुरू, अधिकारी जांच रहे दस्तावेज

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : मप्र शासन के आदेशानुसार शुरू की गई है प्रक्रिया। 2018 में 696 अवैध कॉलोनियों की बनी थी सूची, 429 होना थी वैध।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। शहर में बनी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू हो गया है। शासन से मिले आदेशानुसार नगर निगम ने 429 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की लिए दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। वर्ष 2018 में भी यह प्रक्रिया चल रही थी और अवैध कॉलोनियों में मूल भूत सुविधाएं उपलब्ध कराने निर्माण कार्य किए जाने थे लेकिन इस प्रक्रिया को अवैध ठहराते हुए उच्च न्यायालय में याचिका लगाई गई थी जिससे प्रक्रिया रोक दी गई। अब एक बार फिर कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया को शुरू किया गया है। सोमवार को नगर निगम की भवन शाखा के अधिकारियों ने कॉलोनी की सूची निकालकर उसका अवलोकन एवं परीक्षण शुरू कर दिया है। जल्द ही दावे एवं आपत्तियों के लिए सूची प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद आगे की कार्यवाही शुरू होगी।

प्रदेश सरकार द्वारा एक बार फिर अवैध कॉलोनियों को वैध करने के आदेश जारी किए गए हैं। इन आदेशों का पालन करते हुए नगर निगम ग्वालियर द्वारा वर्ष 2018 में बनाई गई अवैध कॉलोनियों की सूची निकलवाई गई है। उस समय 2016 से पहले बनी 696 अवैध कॉलोनियों की सूची तैयार की गई थी जिसमें से 429 कॉलोनियां वैध होने के नियमों में सही पाई गई। इसके बाद बाकी बची 267 कॉलोनियों को वैध होने की परिधि से बाहर कर दिया गया। नगर निगम द्वारा अवैध कॉलोनियों में मूल भूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए निर्माण कार्य भी शुरू कराए गए थे लेकिन इसके बाद मामला उच्च न्यायालय में चला गया और सभी काम रोक दिए गए। अब एक बार फिर से यह प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सोमवार को नगर निगम की भवन शाखा में पदस्थ अधिकारियों ने कॉलोनी की सूची निकालकर उसका परीक्षण शुरू कर दिया है। परीक्षण के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।

सरकार से नहीं मिला था पैसा :

अवैध कॉलोनियों को वैध करने का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 मई 2018 को ग्वालियर में ही किया था। प्रथम चरण के लिए ग्वालियर की 63 कॉलोनियां चिन्हित हुई थी। इन कॉलोनियों में मूल भूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 6 करोड़ 72 रुपए स्वीकृत किए गए थे। लेकिन यह पैसा नगर निगम को अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया। अवैध कॉलोनियों में जिन ठेकेदारों ने काम किए थे उनका भुगतान भी नहीं हुआ है। यह ठेकेदार नगर निगम के चक्कर लगा रहे हैं। देखना यह है कि दोबारा प्रक्रिया शुरू होने के बाद कितने ठेकेदारों का भुगतान हो पाता है।

इन बिंदुओं के तहत वैध होगी कॉलोनी :

  • नगर निगम सीमा के 66 वार्ड में 2018 में नोटीफाईड हुई अवैध कॉलोनी 623।

  • जो कॉलोनी कॉलोनाईजर-भू स्वामी द्वारा नगर नगम नगर निगम निवेश विभाग, भूमि व्यापवर्तन, नजूल तथा नगर निगम से वैध अनुमतियां लिए बिना बनाई गई हैं, उन्हें अवैध माना जाएगा।

  • अवैध कॉलोनी नियमितीकरण में कॉलोनाईजर एवं कॉलोनी निवासी सोसायटी बनाकर आवेदन प्रस्तुत करेंगे।

  • जिन कॉलोनियों में 10 प्रतिशत से कम भवन निर्मित हैं, उनमें कॉलोनी के नियम 15 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

  • जिन कॉलोनियों में कम से कम 10 प्रतिशत भवन निर्मित हैं, उन्हें चिन्हित कर 30 कार्य दिवस के भीतर सार्वजनिक अधिसूचित कर नियमिति करण की कार्रवाई की जाएगीा।

  • 31 दिसंबर 2016 तक अस्तित्व में आई अवैध कॉलोनियों का ही नियमितिकरण किया जाएगा।

  • विकास योजना, मुख्य मार्ग, उद्यान, खेल के मैदान, सांस्कृ तिक आस्तियों के क्षेत्र, नदी, तालाब, नाले,हरित क्षेत्र, आमोद-प्रमोद क्षेत्र में बसी कॉलोनियों का नियमितीकरण नहीं होगा।

  • आवेदन के पश्चात 30 दिवस के अंदर ले-आउट एवं प्रकरण तैयार कराया जाएगा।

  • अभिन्यास तैयार करने पर होने वाले व्यय की राशि विकास प्रभावों में सम्मलित की जाएगी।

  • जनभागीदारी योजना की राशि, सांसद निधि, विधायक निधि रहवासियों द्वारा जमा कराई गई रकम समझी जाएगी।

  • रहवासियों से प्राप्त की गई रकम में जल विद्युत तथा मल निकासी के कार्यों की लागत सम्मिलित नहीं होगी।

  • यदि भूखण्ड-भवन का धारक विकास प्रभारों का भुगतान करने के लिए उधार लेने हेतु अपना भूखण्ड-भवन बंधक रख सकेगा।

  • यदि अवैध कॉलोनी 31 दिसंबर 2016 के प्रश्चात निर्मित की जाती है तो सक्षम प्राधिकारी उसे अनाधिकृ त निर्माण मानकर हटाने की कार्रवाई करेगा।

इनका कहना है :

शासन के आदेशानुसार अवैध कॉलोनी को वैध करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अवैध कॉलोनियों में आवश्यक मूल भूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए जो आवश्यक कार्य हैं वह कराए जाने हैं। अभी कॉलोनी के दस्तावेजों का परीक्षण किया जायगा। इसके बाद शासन के दिशा निर्देशानुसार आगे कार्य करेंगे।

किशोर कन्याल, निगमायुक्त

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