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Gwalior Politics : भाजपा के सामाजिक समरसता के संदेश से कांग्रेस में बैचेनी

भाजपा इस बार हर वर्ग के लिए दिल खोलकर योजनाओं के माध्यम से उनको प्रभावित कर रही है और लाड़ली बहना योजना ने तो कांग्रेस को एक तरह से बैकफुट पर ला दिया है।

ग्वालियर। प्रदेश मेे साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है ऐसे में राजनीतिक दलों ने जातिगत हिसाब से गोटियां फिट करने का काम शुरू कर दिया है। अंचल पर भाजपा की खासी नजर है, क्योंकि उसको यह पता है कि साल 2018 में इसी अंचल के कारण भाजपा के हाथ से सत्ता फिसल गई थी, यही कारण है कि भाजपा ने अंबेडकर जयंती के मौके पर ग्वालियर में महाकुंभ का आयोजन कर एक तरह से सामाजिक समरसता का संदेश देने का काम किया है जिससे कांग्रेस की चिंताएं बढ़ गई है। महाकुंभ में जिस तरह से हजारो की संख्या में लोग शामिल होने आएं थे उसने कांग्रेस को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस भी अंचल में इसी तरह का कोई बड़ा कार्यक्रम करें।

भाजपा इस बार हर वर्ग के लिए दिल खोलकर योजनाओं के माध्यम से उनको प्रभावित कर रही है ओर लाड़ली बहना योजना ने तो कांग्रेस को एक तरह से बैकफुट पर ला दिया है, क्योंकि कांग्रेस को लाडली बहना योजना का तोड़ नहीं मिल रहा है। कांग्रेस अब अपने वचन पत्र में जरूर लाड़ली बहना योजना के लिए 1500 रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा कर रही है ओर इसी प्रचारित भी कर रही है, लेकिन जिस तरह से भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक मारा है कांग्रेस का प्रचार तंत्र भी उस मास्टर स्ट्रोक को ब्रेक नहीं कर पा रहा है।

अंबेडकर जयंती पर भाजपा ने ग्वालियर में महाकुंभ का जिस तरह से आयोजन किया और ग्वालियर में अंबेडकर स्मारक बनाने की जो घोषणा की है उससे कांग्रेस एक तरह से बैचेन हो गई है, क्योंकि इस वर्ग के वोट को कांग्रेस अपने खाते में जोड़कर चल रही थी, लेकिन भाजपा ने अब उसमें ही सेंध लगाने का जो काम किया है उससे कांग्रेस अब कोई नया ऐसा करने की सोच रही है जिससे उक्त वर्ग के लोग कांग्रेस से प्रभावित हो सके।

कांग्रेस अपने एससी वर्ग के नेताओं को कर रही सक्रिय...

भाजपा के अंबेडकर जयंती पर आयोजित महाकुंभ के बाद से ही अपने एससी वर्ग के नेताओं को सक्रिय करने की रणनीति बना ली है ओर इसके तहत फूल सिंह बरैया के अलावा प्रदेश के अन्य जिलो से इसी वर्ग के नेताओं की सूची तैयारी की जा रही है जिन्हे जल्द ही ग्वालियर-चंबल संभाग में सक्रिय किया जा सकता है ओर उनको एक रोड़मैप भी तैयार कर दिया जाएगा जिसके सहारे वह भाजपा को घेरने का काम करेंगे, लेकिन कांग्रेस इसमेे कितना सफल होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन जिस तरह से भाजपा ने ग्वालियर में अंबेडकर स्मारक बनाने का ऐलान किया है उससे एससी वर्ग खासा प्रभावित दिख रहा है ओर इसका लाभ विधानसभा चुनाव भाजपा उठाने की उम्मीद जरूर लगाएं बैठी है।

सिंधिया की काट कांग्रेस के पास नहीं ...

अंचल में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस तरह से लगातार दौरा कर हर जिले में पहुंच रहे है उससे भी कांग्रेस के अंदर एक तरह से बैचेनी है, क्योकि कांग्रेस के पास अंचल में फिलहाल सिंधिया की काट करने लायक कोई ऐसा नेता नहीं है जिसे जनता स्वीकार कर सके ओर उसके चेहरे के आधार पर कांग्रेस अपने आपको मजबूत समझ सके। हां कांग्रेसी यह जरूर कह रहे है कि कांग्रेस एक विचारधारा है ओर इसी विचारधारा के आधार पर कांग्रेस विधानसभा चुनाव मैदान में उतरेगी। अब कांग्रेस का यह तर्क जनता कितना समझ सकेगी यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन फिलहाल अंबेडकर महाकुंभ के आयोजन के बाद से ही कांग्रेस अब यह सोचने के लिए मजबूर हो रही है कि किसी तरह से अंचल में महाकुंभ की तर्ज पर कोई आयोजन किया जाएं, लेकिन इस सुझाव के तहत कुछ कांग्रेसी यह भी कह रहे है कि हर जिले मेें कांग्रेस एसीसी वर्ग को प्रभावित करने के लिए आयोजन कर सामाजिक समरसता का संदेश देने का काम करेगी।

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