केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधियाRE-Gwalior

Gwalior Politics : सिंधिया सामने हो तो तारीफ करने से कैसे चूक सकते हैं कांग्रेसी...

भले ही सिंधिया भाजपा में है, लेकिन कांग्रेसियो का जब भी उनसे सामना होता है तो महाराज साहब कहकर हाथ जोड़ने में जरा भी देरी नहीं करते।

ग्वालियर। राजनीति में भले ही नेता किसी भी दल में हो, लेकिन उनका प्रभाव हमेशा सभी दलो के कार्यकर्ताओ व नेताओ में सदा बना रहता है। ऐसा ही अंचल में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव से कांग्रेसी बाहर निकल नहीं पा रहे है, क्योंकि लम्बे समय तक कांग्रेसी महल में हाथ जोड़े खड़े रहते थे ओर अब भले ही सिंधिया भाजपा में है, लेकिन कांग्रेसियो का जब भी उनसे सामना होता है तो महाराज साहब कहकर हाथ जोड़ने में जरा भी देरी नहीं करते। अब इससे भले ही कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेताओ के पेट में दर्द होता होगा, लेकिन अंचल के कांग्रेसी तो अभी भी सिंधिया को ही सर्वमान्य नेता मानकर चल रहे है ओर यही कारण है कि कांग्रेसी जब भी मंच साझा करने का मौका मिलता है तो सिंधिया के कसीदे पढ़ने से नहीं चूकते। अब राजनीति मेें चुनावी समय हो तो इसका संदेश पार्टी के हित में तो नहीं जाता, लेकिन कांग्रेसी क्या करें जिसके सामने सालो तक हाथ जोड़ते खड़े रहे हो उसकी तारीफ ही तो करेंगे।

प्रदेश की सत्ता के सिंहासन को पाने के लिए कांग्रेस जहां हर स्तर पर प्रयास करने में लगी हुई है तो भाजपा भी अपना कब्जा सिंहासन पर बरकरार रखने शतरंज के मोहरे बैठाने में लगी हुई है। अब कांग्रेस की सत्ता सिंहासन की  राह में ज्योतिरादित्य सिंधिया से आत्मीयता रखने वाले फूल छाप कांग्रेसी सबसे बड़ा रोड़ा बन सकते हैं। यही वजह है कि इन दिनों भोपाल से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की बेचैनी बढ़ी हुई है, क्योंकि उन नेताओ को पता है कि अंचल में भले ही सिंधिया भाजपा में चले गए है, लेकिन उनके समर्थक अभी भी कांग्रेस में रहकर पार्टी की •ाड़ो में मठा डालने का काम कर रहे है, लेकिन कांग्रेस के पास फिलहाल ऐसा कोई फार्मूला नहीं है कि ऐसे फूल छाप कांग्रेसियो  पर कोई कार्यवाही कर सके। 

अभी हाल में ही भिण्ड जिले के मेहगांव में पूर्व विधायक स्व. हरी सिंह नरवरिया की प्रतिमा अनावरण समारोह में जब सिंधिया वहां पहुंचे तो मंच पर कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। जब बोलने की बारी आई तो कांग्रेस नेताओ ने  सिंधिया परिवार की तारीफ में कसीदे ऐसे पढ़े कि उसके बाद से ही ग्वालियर-चंबल अंचल की सियासत में भूचाल आ गया है। कांग्रेस को अंदेशा है कि अभी भी पार्टी में कई ऐसे विभीषण हैं जो सिंधिया भक्ति से लीन है। इस घटनाक्रम के बाद से ही पार्टी में सिंधिया के प्रति भक्ति रखने वाले नेताओं पर कड़ी निगाह रखने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रो का तो यह भी कहना है कि सिंधिया भक्ति में लीन रहने वाले ऐसे नेताओं को विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है।

अंचल में इस समय सिंधिया खासे सक्रिय...

विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस समय केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खासे सक्रिय है ओर लगातार अंचल का दौरा कर अपने प्रभाव का उपयोग कर भाजपा को मजबूत करने का काम कर रहे है, क्योंकि राजनीति में ग्वालियर-चंबल संभाग के पास इस बार भी प्रदेश में सत्ता की चाबी रहने वाली है। हाल में ही भिण्ड जिले के मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में आयोजित सिंधिया के एक कार्यक्रम में पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह और भिण्ड जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जयश्रीराम बघेल के पहुंचने से पार्टी में खलबली मच गई।

कार्यक्रम कांग्रेस के पूर्व विधायक और सिंधिया राजघराने के नजदीक रहे स्वर्गीय हरी सिंह नरवरिया की प्रतिमा अनावरण के लिए आयोजित किया गया था। जिसमें सिंधिया मुख्य अतिथि थे।  इसी मंच से कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह  ने जब अपना भाषण दिया तो  न केवल उन्होंने सिंधिया राजघराने के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा का इजहार किया बल्कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए कहा कि एक पीढ़ी लग जाती है नाम करने और कमाने में, बच्चा वही अच्छा है जो पिता की विरासत संभाल ले। स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बेटे ने देश में नाम किया है।

हमें सीख लेनी चाहिए जिसका पिता काबिल है उसके बच्चे को भी मेहनत करके आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे ही कसीदे जयश्रीराम बघेल ने पढ़े। अब चौधरी राकेश सिंह भले ही यह कह रहे हो कि वह कांग्रेस में है ओर कांग्रेस में ही रहेगें, लेकिन यह अभी कोई भूला नहीं है कि विधानसभा सत्र के दौरान जब भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी उसी समय चौधरी राकेश सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी ओर जयश्रीराम बघेल तो पार्टी मेंं रहते हुए लहार विधायक व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह के खिलाफ जमकर बोलते रहे है, लेकिन उसके बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही पार्टी नहीं कर सकी तो फिर सिंधिया की कसीदे पढ़ने के बाद क्या कार्यवाही होगी, उसमें संदेह है।

सामना होता है तो हाथ जुड़ ही जाते है...

सिंधिया का प्रभाव अंचल में क्या है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वर्ष 2018 में सिंधिया की  मेहनत का ही परिणाम था कि प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में वापिस लौटी थी, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद उनको अनदेखा करने का काम किया उसके बाद वह नाराज हो गए ओर भाजपा में अपने समर्थको के साथ चले गए तो कांग्रेस की सत्ता भी चली गई थी। अंचल में हालात यह है कि ऐसा कोई कांग्रेसी नही है तो सिंधिया का सामना हो ओर वह उनके हाथ न जोड़े। ऐसा ही नजारा स्व. माधवराव सिंधिया की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में देखने को मिली जब कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार व शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा का सिंधिया से सामना हुआ तो हाथ जोड़ते हुए दिखाई दिए थे। अब कमलनाथ व दिग्गी राजा भले ही इससे बैचेन हो रहे हो, लेकिन अंचल के कांग्रेसियो के दिमाग में अभी भी महाराज छाएं हुए है।

चुनाव के समय दलबदल का कांग्रेस को डर...

कांग्रेस को अब इस बात का डर सताने लगा है कि चुनाव के समय सिंधिया के पार्टी में छुपे समर्थक कहीं ऐन वक्त पर परेशानी खड़ी न कर दें, क्योंकि अब धीरे-धीरे ऐसे कांग्रेसी नेता जो सिंधिया के साथ नहीं गए हैं, वह चुनाव के वक्त सिंधिया के समर्थन में बोल रहे हैं। जिससे कांग्रेस के सिंधिया विरोधी अभियान की धार कमजोर पड़ती दिखाई देने लगी है, क्योंकि कांग्रेस का अभियान पूरी तरह से भाजपा नहीं बल्कि सिंधिया के खिलाफ है पर अंचल के कांग्रेस नेता जिस तरह से सिंधिया के कसीदे पढ़ रहे है उससे कांग्रेस की धार मौथरी हो रही है। वैसे भाजपा के अंदर भी नेता अब सिंधिया से नजदीकी बढ़ाने में लगे हुए है, क्योंकि उनको यह अहसास होने लगा है कि आने वाले समय में भाजपा के अंदर भी अंचल में सर्वमान्य नेता के तौर पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रहने वाले है। कांग्रेस के आला नेता भले ही सिंधिया को  डूबता हुआ जहाज बताने में लगे हुए है, लेकिन अंचल में जिस तरह से उनके ही दल के नेता सिंधिया की कसीदे पढ़ रहे है उससे उनकी धार कमजोर नजर आने लगी है।

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