शहडोल : बेखौफ हो रहा अवैध ईंट भट्टों का संचालन

शहडोल, मध्य प्रदेश : इन दिनों ईंट भट्टे का कारोबार बगैर विभागीय अनुमति व रायल्टी जमा किए धड़ल्ले से चल रहा है। इससे खनिज विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
बेखौफ हो रहा अवैध ईंट भट्टों का संचालन
बेखौफ हो रहा अवैध ईंट भट्टों का संचालनSantosh Tandon

हाइलाइट्स :

  • खनिज विभाग के राजस्व का हो रहा नुकसान

  • लाखों कमाने के लालच में हो रहा अवैध कारोबार

शहडोल, मध्य प्रदेश। जिले में अवैध ईंट भट्टों का कारोबार जमकर चल रहा है। इससे खनिज विभाग को हर महीने लाखों रुपए की राजस्व की हानि हो रही है, मगर अवैध ईंट भट्टी संचालकों पर कार्रवाई नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद हैं, जिले में इन दिनों अवैध ईंट भट्टों की बाढ़ आई हुई है।

शासन-प्रशासन द्वारा आए दिन खनिज विभाग को अवैध रूप से संचालित होने वाले ईंट भट्टों पर कार्रवाई करने का दिशा-निर्देश दिया जाता है। संभागीय मुख्यालय से सटे पंचगांव ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों ईंट भट्टे का कारोबार बगैर विभागीय अनुमति व रायल्टी जमा किए धड़ल्ले से चल रहा है। इससे खनिज विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। ग्राम पंचगांव में कई स्थानों पर ऐसे ईंट भट्टों पर न तो प्रशासनिक लगाम लगा पा रहा है और न ही किसी तरह रायल्टी वसूली हो पा रही है। शासन-प्रशासन के नियम कायदे को ईंट भट्टे के संचालकों ने ताक पर रख दिया है। इसके चलते वे न तो विभाग से किसी तरह अनुमति लेना जरुरी समझते न ही रायल्टी की राशि जमा करते।

क्या है प्रावधान :

ईंट बनाने वाले को इसके लिए सबसे पहले संबंधित ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। इसके बाद खनिज विभाग में संबंधित जमीन का नक्शा, खसरा व एनओसी की कापी के साथ अनुमति के लिए आवेदन किया जाता है। साथ ही तहसील कार्यालय से भी ईंट भट्टा लगाने की अनुमति लेनी होती है, इसके लिए निर्धारित शुल्क का चालान भी जमा कराया जाता है। इसके बाद विभाग द्वारा दस्तावेजों की जांच व संतुष्टि के बाद ईंट बनाने की अनुमति दी जाती है।

इन वर्गों को छूट :

ईंट बनाने के नियम को कुम्हार, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए नियम शिथिल किया गया है। ऐसे वर्ग के लोगों के लिए 50 हजार तक ईंट बनाने के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती, मगर इसके आड़ में दूसरे वर्ग के लोग भी ईंट भठ्ठा अवैध रुप से संचालित करते हैं और जांच के दौरान उसे छूट प्राप्त वर्गों का बता दिया जाता है। जिसके चलते इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती। सूत्रों की माने तो पंचगांव में अयूब नामक युवक द्वारा ईंट भट्टे का संचालन कराया जा रहा है और संभवत: किसी प्रकार की अनुमति विभागों से नहीं ली गई है।

अधिक मुनाफा के चलते अवैध करोबार :

ईंट के व्यपारियों से जुड़े लोगों का मानना है कि ईंट के व्यवसाय में काफी मुनाफा है और ईंट के धंधे में हजार से लाख और लाख से दस लाख बनते देर नहीं लगती है, यही कारण है कि सारे नियम कानून को ताक पर रख कर अवैध ईंट का भट्टा संचालित किया जा रहा है। अवैध ईंट भट्टों के चलते शासन को राजस्व नुकसान हो रहा है। भट्टा संचालक ज्यादा कमाई के लिए सभी नियमों को ताक पर रखने से भी परहेज नही कर रहे है और इनके संरक्षक बन कर बैठे खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों को दिन के उजाले मे भी यह नजर नहीं आ रहा है कि जब ईंट बनाने की अनुमति ही नहीं है, फिर ये ईंटें कहां से और कैसे आ रही हैं, यह जानने की फुरसत खनिज विभाग को नहीं है।

आबोहवा हो रही प्रदूषित :

ईंट कारोबार से शासन को लाखों रुपए की रायल्टी का चूना तो लग रहा है, साथ ही आबोहवा प्रदूषित होने की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा। इस अवैध ईंट व्यवसाय से जंगल, जमीन, जल का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। इसके बावजूद खनिज विभाग के अफसर चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं। संभागीय मुख्यालय से सटे क्षेत्र में खेत से लगी जमीन पर ईंट बनाने का काम चल रहा है। इससे लाखों रुपए की रायल्टी की चोरी भी हो रही है। इसके बावजूद खनिज विभाग के अफसर चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं। लाखों कमाने के लालच में अवैध रूप से ईंट भट्टा लगाने वाले खनिज विभाग को चूना लगा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार ईंट भट्टे की आड़ में ये लोग जंगल क्षेत्रों में पेड़ों की अवैध रूप से कटाई भी करा रहे हैं और इन्हीं लकड़ियों से ईंट पका रहे हैं।

इनका कहना है :

लाल ईंट बनाने में प्रजापति जाति के लोगों को कुछ छूट दी गई, अगर इनके अलावा अन्य वर्ग के लोग मिट्टी की खुदाई कर ईंट का निर्माण कर रहे हैं तो, कार्यवाही अवश्य की जायेगी और सोहागपुर क्षेत्र में कितने अनुमति लेकर ईंट निर्माण कर रहे है, यह जानकारी तहसीलदार कार्यालय से मिलेगी।

सुश्री फरहत जहां, खनिज अधिकारी, शहडोल

इस संबंध में जब तहसीलदार से बात करने का प्रयास किया गया तो, उनका फोन बंद रहा।

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