भोपाल में आयोजित सम्मेल
भोपाल में आयोजित सम्मेलSocial Media

मध्यप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है इसलिए हमने बांध और जल संरचनाएं बनाई: मुख्यमंत्री

भोपाल, मध्यप्रदेश: भोपाल में आयोजित सम्मेलन में सीएम शिवराज ने कहा- मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि आज मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई है।

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज जल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास पर चर्चा के लिए आयोजित विभिन्न राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन 'वाटर विजन @ 2047' में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सम्मिलित हुए एवं पांचों नदियों का जल, एक कलश में अर्पित किया। सम्मेलन को सीएम ने वर्चुअली लॉन्च किया। इस दौरान कहा कि, ये विचार-विमर्श का सम्मेलन राजधानी भोपाल में हो रहा है। ये दुर्लभ अवसर मध्यप्रदेश को मिला है, हमारी परंपरा है 'अतिथि देवो भव'।

भोपाल में आयोजित प्रथम अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों का सम्मेलन 'वाटर विजन @ 2047'

सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा-

इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि, आप सभी का हृदय से स्वागत है। हम सचमुच में सौभाग्यशाली हैं कि प्रधानमंत्री जी के रूप में श्रीमान नरेंद्र मोदी जी जैसे विजनरी लीडर मिले हैं। वे कल्पनाशील मस्तिष्क के धनी है, जल प्रबंधन का भोपाल उत्तम उदाहरण है। हमारे यहां कहावत है 'ताल तो भोपाल ताल, बाकी सब तलैया'। आपने बड़े तालाब को देखा होगा, इसे बने हुए एक हजार साल से ज्यादा हो गए हे। इसे राजा भोज ने बनवाया था। राजा भोज की प्रतिमा इसकी पहचान बन गई है,भोपाल को एक तिहाई जल इसी तालाब से मिल रहा है। अगर ये तालाब न हो तो भोपाल की पहचान ही खत्म हो जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि, नदी के पुनर्जी​वन की बात आती है। सदानीरा नदियां सूख गईं। नदी पुनर्जीवन का अभियान, जिसमें वृक्षारोपण, तालाब खोदना आदि शामिल है। हमने अभियान चलाया नर्मदा सेवा यात्रा। मध्यप्रदेश में 2003 के आसपास हमारी कुल सिंचाई की क्षमता साढ़े 7 लाख हेक्टेयर थी। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि आज मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई है। मध्यप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। इसलिए हमने बांध और जल संरचनाएं बनाईं।

  • एक माह में हम मध्यप्रदेश की जल नीति बनाएंगे, जिसमें सभी आयाम शामिल करने का प्रयास करेंगे। वर्षा जल को कैसे रोक कर रखें, सिंचाई में कम पानी कैसे लगे, जितने भी आयाम होते हैं उन्हें शामिल कर मप्र की बेहतर जल नीति बनाने का प्रयास करेंगे।

  • 'वाटर विजन @ 2047' पानी बचाने में मील का पत्थर साबित होगा। कल मेरे साथ आप भी पेड़ लगाएं, उस गार्डन को हम नाम देंगे वाटर विज गार्डन। यह सम्मेलन की स्मृतियों को अक्षुण्ण रखेगा।

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