फिर निजी पंजीयन के वाहनों में स्कूली बच्चों का सफर
फिर निजी पंजीयन के वाहनों में स्कूली बच्चों का सफरसांकेतिक चित्र

Indore : फिर निजी पंजीयन के वाहनों में स्कूली बच्चों का सफर

इंदौर, मध्यप्रदेश : पुलिस-आरटीओ की जांच नही, दुर्घटना के बाद जागेगा प्रशासन। क्षमता से अधिक बच्चो को बैठाना आम बात।

इंदौर, मध्यप्रदेश। प्रदेश में नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत तो बीते माह से हो चुकी है लेकिन 1 जुलाई से सभी स्कूलों में छात्रों की उपस्थित बढ़ जाती है। इसके साथ ही बच्चों के पालकों के लिए उन्हें स्कूल छोड़ने और लेने जाने का क्रम भी शुरू होता है। अनेक स्कूलों में बस की सुविधा मिलती है लेकिन अधिकांश स्कूलों में ऑटो, वेन और अन्य वाहनों से आने वाले बच्चों की संख्या हजारों में होती है। इन बच्चों को सुरक्षित लाने और ले जाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर नियम कायदें लागू है। इसमें ऐसे सभी वाहन जो स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने का काम करते है उनका व्यावसायिक श्रेणी में पंजीयन और वाहन की क्षमता के अनुसार बच्चों की संख्या तय है। लेकिन इसके बाद भी सैकड़ों वाहन निजी श्रेणी में पंजीयन होकर भी इसी काम में लगे है।

इंदौर में स्कूली बच्चों के लिए बड़ी संख्या में मारूति वैन का उपयोग किया जा रहा है। अधिकांश वैन और इको जैसी गाड़ियों को सीट में परिवर्तन कर अधिक से अधिक बच्चों को बैठाया जा रहा है। इस मामले में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने पुरानी घटनाओं से भी सबक नहीं लिया है। स्कूलों के वाहन नियमों को दरकिनार को बच्चों को वैन और निजी वाहनों में लाना ले जाना कर रहे हैं। वहीं इन निजी वाहनों में ना तो फिटनेस होता है और ना ही परिमट की आवश्कता होती है। इनके खिलाफ अभी कोई चेकिंग या कार्रवाई नहीं हुई है।

बीते दिनों जिला प्रशासन और परिवहन विभाग द्वारा बैठक कर इंदौर के 200 से अधिक स्कूल संचालकों को निर्देश दिए थे कि स्कूल बसों के लिए जारी 28 पाईट की गाईडलाइन का अनिवार्य रुप से पालन करें। बैठक में स्कूल संचालकों को चेतावनी की गई थी कि अगर किसी भी प्रकार से स्कूल बस दुर्घटना का शिकार होती है तो ड्राइवर और क्लीनर के साथ ही स्कूल संचालक पर भी आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा। बसों के परमिट तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए जाएंगे। बसों में गाइडलाइन का पालन हो इसके लिए परिवहन विभाग स्कूलों में जाकर स्कूल बसों की जांच करेगा। लेकिन निजी वाहनों में सफर करने वाले स्कूली बच्चों के लिए कोई कार्यवाही नही की गई है। गौरतलब है कि पहले परिवहन विभाग शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पहले स्कूलों में जा कर बसों के फिटनेस, परमिट चालक परिचालक के लायसेंस और चरित्र प्रमाणपत्र भी चेक करने का अभियान चलाता था। लेकिन इस बार ऐसा नही हुआ है। दौर में स्कूल बस परिचालन को लेकर जिला प्रशासन ने स्कूल संचालकों को स्कूल बसों से जुड़े 28 नियमों का सख्ती से पालन कराने के दिशा-निर्देश दिए हैं। बुधवार को रेसीडेंसी कोठी में जिला प्रशासन, परिवहन विभाग और स्कूल संचालकों की बैठक हुई। जिसमें संचालक को कहा गया कि स्कूल बसें किसी भी प्रकार की दुर्घटना का शिकार ना हों इसके लिए सबसे पहले आप लोग स्पीड गर्वनर और बस का फिटनेस टेस्ट करवाएं।

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