इंदौर : भिखारियों के चंगुल में छटपटा रही है स्मार्ट सिटी

इंदौर, मध्य प्रदेश : भीख मांगने वाली बालिका की मौत ने खोल दी बेगर फ्री सिटी योजना की पोल। हर चौराहे पर चौबीस घंटे बना रहता है हादसे का डर।
कैसे बनेगा इंदौर भिक्षुक मुक्त शहर?
कैसे बनेगा इंदौर भिक्षुक मुक्त शहर?सांकेतिक चित्र

इंदौर, मध्य प्रदेश। द्वारकापुरी इलाके में चौराहे पर भीख मांगने वाली एक बालिका की डंपर की चपेट में आकर मौत हो गई। इस तरह के हादसे की आशंका शहर के लगभग हर प्रमुख चौराहे पर बनी रहती है। चौराहों से भिखारियों को तत्काल हटाने का अभियान चलाना बेहद जरुरी है क्यों कि बाहर से आए ये भिखारी कई समस्या पैदा कर रहे हैं। कुछ अरसे तक रात को भिखारी नहीं दिखाई देते थे अब तो देर रात तक भीख मांगने वाले दिखाई देते हैं। शहर को स्मार्ट बनाने की दिशा में चल रहे कामों में इसे बेगर फ्री सिटी बनाने की योजना की भी घोषणा हुई थी इसमें मार्च 2021 तक शहर की सड़कों से सभी भिखारियों को हटाने का टारगेट तय है लेकिन जिस तरह से शहर में भिखारियों की संख्या बढ़ती जा रही है उसे देखकर इस बात की आशंका है कि बेगर फ्री सिटी योजना फ्लाप हो जाएगी।

कैसे-कैसे भिखारी...कैसे-कैसे नाटक :

शहर के चौराहों पर बच्चों को भीख मांगते हुए देखा जा सकता है। ये बच्चे किसी भी वाहन चालक के पैर पकड़ लेते हैं या फिर वाहन के सामने खड़े हो जाते हैं और उस वक्त तक नहीं हटते जब तक इन्हें कोई न कोई पैसे नहीं मिलते। बच्चों के साथ ही वयस्क भी भीख मांगते दिखाई देते हैं। कुछ तो दोनों पैर सलामत होने के बाद भी पट्टा बांधकर दिव्यांग होने का नाटक करते हैं। कुछ हाथ में कपड़ा लपेट कर लाचार होने का ढोंग करते हुए भीख मांगते हैं। कुछ तो हाथों में पेन या टूथपिक्स लेकर भीख मांगते दिखाई देते हैं। ये भिखारी डेरों में रहते हैं ये कहां से किस गांव से आए हैं इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता अब इन्हें सड़कों से कैसे हटाया जाएगा ये यक्ष प्रश्न बन चुका है।

भीख मांगने की आड़ में अपराध :

भीख मांगने की आड़ में चोरी करने वाले भी पूर्व में पकड़े जा चुके हैं। भीख मांगने की आड़ में रैकी कर नकबजनी करने वाली गैंग के मामले भी सामने आ चुके हैं। भीख मांगने वाले बच्चों के किसी भी विवाह समारोह में घुसकर गिफ्ट और नकदी चुराने के मामले तो आए दिन सामने आते रहते हैं। इस तरह के बच्चों के माता-पिता ही उनसे वारदात करवाते हैं ये दिन में भीख मांगते हैं और रात को वारदात कर गायब हो जाते हैं। इस तरह के परिवार अक्सर शहर के बाहर से ही आते हैं एवं वारदात के बाद तत्काल फरार हो जाते हैं। कई भीख मांगने वाले बच्चे नशे की लत का शिकार हो जाते हैं और कुछ अरसे बाद यही बच्चे चोरी और लूट की वारदातें करने लगते हैं। इस तरह के कई मामले सामने आते रहते हैं।

ऐसा भी होता है शहर में :

निगम द्वारा जुटाए आंकड़ों की मानें तो शहर में फिलहाल 4 हजार से अधिक भिखारी भिक्षा मांगकर आजीविका चला रहे हैं, जो अलग-अलग तरीके से भीख मांगते हैं। यही नहीं यहां आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग भीख मांगने आते हैं। खासतौर पर शनिवार को भीख मांगने वालों की संख्या में ज्यादा इजाफा हो जाता है। शहर में कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां शनिवार की सुबह बाल्टी, शनि की प्रतिमा और सरसों का तेल किराए पर मिल जाता है। शहर समेत बाहर से आए हुए ये लोग दिनभर भीख मांगते है, वापस लौटते समय बाल्टी, शनि प्रतिमा और सरसों तेल को वापस जमा करके उसका किराया देकर चले जाते हैं। जांच में तो यहां तक सामने आया कि, कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो सप्ताहभर कोई और काम करते हैं, लेकिन शनिवार को ये सामान किरायपर लेकर शनि के नाम पर भिक्षा मांगते हैं। ऐसे संगठित गिरोह चलाने वाले लोगों की पहचान की जा रही है, जल्द ही उनपर कार्रवाई की जाएगी।

कैसे बनेगा शहर बेगर फ्री :

शहर को बेगर फ्री सिटी बनाने के लिए जिला प्रशासन ने युद्ध स्तर पर काम शुरु किया था लेकिन अब वह काम कहीं नहीं दिखता है। बेगर फ्री बनाने के लिए मार्च 2021 तक का समय तय किया गया था लेकिन वर्तमान हालात देखकर इसमें संदेह है कि ये टारगेट पूरा हो पाएगा। कुछ अरसे पहले शहर को भिखारियों से मुक्त करवाने के लिए विशेष अभियान शुरु किया गया। जिसमें तात्कालीन इंदौर निगम कमिश्रनर को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया तात्कालीन कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने कहा था अभियान को शुरु करने को लेकर काम शुरु कर दिया गया है। इसी वित्त वर्ष के मार्च तक इससे संबंधित कार्ययोजना तैयार कर ली जाएगी। साथ ही, इसे नगर निगम द्वारा लक्ष्य स्वरूप किया जाएगा। अब तक की चर्चा में तय किया गया है कि, शहर को बेगर फ्री करने के लिए मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यानी 2021 के अप्रैल माह से अगर शहर में आपको भिखारी न नजर आए तो चौकियेगा नहीं अब ये दावा कितना सच्चा होता है या फिर फ्लाप होता है इसके लिए कुछ ही दिनों का इंतजार करना है।

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