रंगपंचमी पर झूमा शहर, नेताओं ने प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं

भोपाल, मध्य प्रदेश : होलिका दहन के पांचवें दिन रंगपंचमी का पर्व शहर समेत प्रदेश में जमकर रंग खेला गया, राजधानी में हर तरफ अबीर और गुलाल के खूबसूरत रंग बिखरे...
राजधानी हुई मदमस्त: रंगपंचमी पर झूमा शहर
राजधानी हुई मदमस्त: रंगपंचमी पर झूमा शहरPriyanka Yadav - RE

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में रंगोत्सव का समापन दिवस यानि रंगपंचमी पर शहर समेत प्रदेश में जमकर रंग बरस रहे हैं। हर तरफ अबीर और गुलाल के खूबसूरत रंग नजर आ रहे हैं। इस रंगपंचमी पर शहर में भी धूम रही। राजधानी में हर तरफ अबीर और गुलाल के खूबसूरत रंग नजर आ रहे हैं। शहर में रंगों की फुहारों के साथ ही आकर्षक झांकियां भी निकाली जा रही हैं। गौरतलब है कि होलिका दहन के पांचवें दिन रंगपंचमी का पर्व मनाया जाता है।

पुराने भोपाल के पीरगेट क्षेत्र में रंगपंचमी के मौके पर झांकियां निकाली जा रही हैं। इन झांकियों में कृष्ण और राधा के साथ गोपियों को होली खेलते हुए दिखाया जा रहा है। हिन्दू उत्सव समिति की ओर से रंगपंचमी का पारंपरिक चल समारोह सुभाष चौक से निकाला जा रहा है। चल समारोह में उज्जैन सिंहस्थ की झांकी आकर्षण का केंद्र रही।

समिति के अध्यक्ष कैलाश बेगवानी ने बताया-

चल समारोह सुबह 11 बजे शुरू हो गया है। कोलार हिन्दू समिति की और से सुबह 10 बजे ललिता नगर से चल समारोह निकाला गया है, जो सर्वधर्म पुल पर समाप्त होगा। इसमें पानी के टैंकर, रंग-गुलाल उड़ाती गाड़ियां, फाग गीत गाते हुरियारे ढोल, डीजे, बैंड आदि शामिल होंगे। इसी तरह नवयुग हिन्दू उत्सव समिति की ओर से भी चल समारोह निकाला जाएगा। यह बरखेड़ी से शुरू हुआ है साथ ही रंगों में रमे देवता की आकर्षक झांकियां निकली।

मां चामुंडा दरबार के पुजारी गुरूजी पंडित ने बताया-

मां चामुंडा दरबार के पुजारी गुरूजी पंडित रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि चैत्र कृष्ण पक्ष 14 मार्च रंगपंचमी परिधावी संवत्सर के दिन यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यह होली के पर्व का अंतिम त्यौहार होता है। होली का जश्न कई दिनों तक चलता है और इसकी तैयारियां होली के दिन यानि फाल्गुन पूर्णिमा से लगभग एक महीने पहले शुरू हो जाती हैं।

रंगों का यह उत्सव चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर पंचमी

फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के पश्चात अगले दिन सभी लोग उत्साह में भरकर रंगों से खेलते हैं। रंगों का यह उत्सव चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर पंचमी तक चलता है। इसलिये इसे रंग पंचमी कहा जाता है। रंग पंचमी कोंकण क्षेत्र का खास त्यौहार है महाराष्ट्र में तो होली को ही रंग पंचमी कहा जाता है।

इसके पीछे की यह है मान्यता -

इस दिन जो भी रंग इस्तेमाल किये जाते हैं जिन्हें एक दूसरे पर लगाया जाता है हवा में उड़ाया जाता है उससे विभिन्न रंगों की ओर देवता आकर्षित होते हैं। साथ ही मान्यता है कि इससे ब्रह्मांड में सकारात्मक तंरगों का संयोग बनता है व रंग कणों में संबंधित देवताओं के स्पर्श की अनुभूति होती है। शनिदेव का दिन शनिवार होने से रंगपंचमी का विशेष महत्व रहा है। रात्रि में शनि मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही।

सीएम कमलनाथ ने दी शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने रंगपंचमी के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि रंगपंचमी आपसी भाईचारे की परंपरा को समृद्ध करने और बहुरंगी संस्कृति को आगे बढ़ाने वाला पर्व है। उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि की कामना की है।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दी शुभकामनाएं

होली रे रसिया, बरजोरी रे रसिया। केसर रंग में बोरी रे रसिया। बाजत ताल मृदंग झांझ ढाप और मजीरन की जोरी रे रसिया। फेंक गुलाल हाथ पिचकारी, मारत भर भर पिचकारी रे रसिया। रंगपंचमी का यह पर्व आपके जीवन के हर क्षण को आनंद, उत्साह और उल्लास भर दे, मेरी शुभकामनाएं!

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