कमलनाथ का बयान- कांग्रेस पार्टी संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की वाजिब माँगों का समर्थन करती है
भोपाल, मध्य प्रदेश। एमपी में हज़ारों संविदा स्वास्थ्य कर्मी काफी दिनों से हड़ताल पर चल रहें हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल के 20 दिन हो गए हैं। अपनी मांगों को लेकर बीते 20 दिन से प्रदेशभर में हड़ताल कर रहे एनएचएम के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का सब्र अब टूटता नजर आ रहा है। यही वजह है कि, सोमवार को प्रदेशभर के 32 हजार कर्मचारी राजधानी में जुट रहे हैं। अब इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस पार्टी संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की वाजिब माँगों का समर्थन करती है।
कमलनाथ ने कही यह बात:
कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट करके संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, "मध्य प्रदेश में हज़ारों संविदा स्वास्थ्य कर्मी 20 दिन से हड़ताल पर हैं। कोरोना माहमारी के दौरान सरकार इन्हें कोरोना योद्धा बता रही थी और आज ये अपनी माँगों को लेकर आंदोलनरत हैं। स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल है ऐसे में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल से आम जनता को बहुत परेशानी हो रही है।"
कमलनाथ ने आगे कहा कि, "कांग्रेस पार्टी मानवीय और नैतिक आधार पर संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की वाजिब माँगों का समर्थन करती है। मैं मुख्यमंत्री और सरकार से अनुरोध करता हूँ कि संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की वैधानिक मांगों को अविलंब मानें ताकि उनके साथ न्याय हो सके और राज्य में पहले से बदहाल स्वास्थ्य संरचना ध्वस्त होने से बच जाये।"
आपको बता दें कि, एनएचएम के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी बीते महीने 18 अप्रैल से अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। मंत्रियों के बंगले का घेराव के अलावा वे जेपी हॉस्पिटल कैम्पस में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन अब वे कमर कसते हुए परिवार के साथ भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। जिसके बाद ऐसी खबर भी आ रही है कि सभी कर्मचारी सीएम हाउस का रुख कर सकते हैं।
ये हैं संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की मांगे:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें विभाग में खाली पदों पर नियमित किया जाए।
अन्य कर्मचारियों को 5 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पारित की गई नीति रेगुलर कर्मचारियों के समकक्ष 90% वेतनमान तत्काल लागू किया जाए।
सीएचओ (CHO)कैडर को MLHP तहत नियमित किया जाए।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउटसोर्स ठेका प्रथा खत्म की जाए।
सपोर्ट स्टॉफ कर्मचारियों को पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए या विभाग में रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए।
निष्कासित कर्मचारियों को शत-प्रतिशत वापस लिया जाए।
5 दिसंबर से 3 जनवरी तक की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान जिन कर्मचारियों पर पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उन्हें तत्काल वापस लिया जाए।
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