कमलनाथ का पीएम और झारखंड के सीएम को, लिखा– सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने को लेकर करे पुनर्विचार
भोपाल,मध्यप्रदेश। झारखंड के गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ी में स्थित जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी को हेमंत सोरेन सरकार ने इसी साल जुलाई में पर्यटन स्थल बनाने का फैसला किया था, जिसका जैन समुदाय के लोग देश भर में विरोध कर रहे है । इस विरोध का मध्यप्रदेश में भी असर दिख रहा है।
आज 21 दिसंबर को जैन समाज के लोगों ने पूरे दिन विरोध के रूप में एमपी के बड़े शहर भोपाल, सागर उज्जैन, इंदौर, नर्मदापुरम और खंडवा के अलावा प्रदेश के दूसरे जिले के बाजार बंद रहेंगे और जैन समुदाय से आने वाले कर्मचारियों द्वारा आज अवकाश भी होगा, जिस पर आज मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीएम मोदी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।
कमलनाथ ने कहा पुनर्विचार करे :
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर जैन समुदाय के सबसे बड़े तीर्थ-स्थल सम्मेद शिखरजी को ईको-टूरिज्म स्पॉट में बदलने के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है।
कमलनाथ ने पीएम और झारखंड के सीएम को अलग से पत्र लिखकर जैन समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। पीएम को लिखे अपने पत्र में नाथ ने कहा कि, अगर फैसला बदला जाता है तो यह देश में धार्मिक सद्भाव स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। कांग्रेस राज्य सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन में है।
दिग्विजय सिंह ने किया था जैन समाज का समर्थन :
दिग्विजय सिंह ने कहा था कि, "झारखंड स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समाज के प्रमुख स्थानों में से एक और केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार ने उसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है। शिखरजी को जैन तीर्थस्थल के रूप में ही उसका विकास किया जाना चाहिए मैं इसके खिलाफ हूं। मैं चाहता हूं कि केंद्र और राज्य सरकार पर्यटन और तीर्थ क्षेत्र के बीच का अंतर समझ सके।"
जैन समाज के लिए जरूरी स्थल :
सम्मेद शिखरजी गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है और जैन समुदाय के सभी संप्रदायों द्वारा सबसे सम्मानित तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है, क्योंकि वे मानते हैं कि 24 तीर्थंकरों (उद्धारकर्ता और आध्यात्मिक शिक्षक) में से 20 ने यहां मोक्ष प्राप्त किया। साथ ही, संथाल जनजाति के सदस्य पहाड़ियों को 'मरंग बुरु' मानते हैं और अप्रैल के मध्य में यहां एक वार्षिक उत्सव आयोजित करते हैं। जैन समुदाय पूरे देश में हेमंत सोरेन सरकार की नई पॉलिसी का विरोध कर रहा है।
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