केके मिश्रा ने बीजेपी पर उठाए सवाल
केके मिश्रा ने बीजेपी पर उठाए सवालRaj Express

असली दोषी बाहर क्यों : केके मिश्रा

भोपाल, मध्यप्रदेश : जब एसटीएफ ने स्वीकार कर लिया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व अन्यों ने अधिकारियों से मिलकर व्यापमं घोटाला किया है तो ईमानदार कौन?

भोपाल, मध्यप्रदेश। व्यापामं महाघोटाले में मेडिकल कॉलेजों में हुई फर्जी भर्तियों में गत 6 दिसंबर को जांच एजेंसी एसटीएफ,भोपाल द्वारा दर्ज एक नई एफआईआर में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व अन्यों द्वारा अधिकारियों की मिलीभगत से किए गए घोटालों का जिक्र किए जाने को प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने एक गंभीर मुद्दा बताया है। उन्होंने कहा कि उक्त विषयक घोटाले में इसकी जांच कर रही एजेंसी की यह स्वीकारोक्ति ने समूची भाजपा, प्रदेश सरकार के कथित ईमानदार चरित्र पर सवालिया निशान लगा दिया है।

मिश्रा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री, मौजूदा राज्यसभा सदस्य दिग्विजयसिंह की एक लिखित शिकायत के बाद एसटीएफ,भोपाल ने प्रकरण क्रमांक 311/14 की लंबित जांचोपरांत भादवि की धारा 419, 420, 467, 468,471,120 बी के तहत 8 लोगों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया है! मिश्रा ने कहा कि अब इस तथ्य को भी सार्वजनिक होना चाहिए कि इसमें इतना विलंब किसके दबाव में हुआ है।

मिश्रा ने व्यापंम महाघोटाले को उजागर करते हुए लगाए गए अपने पूर्व आरोपों को दोहराते हुए कहा कि समूचे विश्व में देश को कलंकित कर देने वाला महाघोटाला सरकार के संरक्षण के बिना हो ही नहीं सकता।

उन्होंने सरकार से फिर पूछा है कि क्या

  1. मप्र उच्च न्यायालय के निर्देश पर तत्कालीन राज्यपाल के विरुद्ध एफआईआर नहीं हुई,उनके ओएसडी जेल नहीं गए।

  2. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के ओएसडी प्रेमप्रकाश, जो मुख्यमंत्री के शासकीय निवास पर ही रहते थे,के खिलाफ एफआईआर के उपरांत जिला न्यायालय,भोपाल से उन्हें जमानत नहीं मिली।

  3. शिवराज केबिनेट के तत्कालीन मंत्री स्व लक्ष्मीकांत शर्मा,उनके ओएसडी लंबे समय तक जेल में नहीं रहे।

  4. कई कनिष्ठ-वरिष्ठ आयएएस, आयपीएस अधिकारियों सहित उनके पुत्र.पुत्रियों ने इसमें गंगा स्नान नहीं किए।

  5. जब विभिन्न विशेष न्यायालयों द्वारा इस महाघोटाले में शामिल सैकड़ों अपात्रों,दोषी छात्रों छात्राओं को सजाएं सुनाई जा रहीं हैं, यदि पैसा देकर प्रवेश/ नियुक्ति पाने वाले जेल जा रहे हैं तो पैसा लेने वाले बाहर क्यों हैं।

  6. क्या यह भी झूठ है कि एमसीआई के सचिव रहे यूसी उपरीत ने अपनी गिरफ्तारी के बाद अपने बयान में यह कहा था कि, हम चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनते ही उन्हें 10 करोड़ रुपए भेज देते थे, उस वक्त चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय का प्रभार किसके पास था।

मिश्रा ने एक बार फिर गंभीर आरोप लगाया है कि उक्त बिंदुओं/पदों पर काबिज लोग ही पूरी सरकार के नियंत्रक/संचालित करने वाले हैं, यही तो सरकार कही जाती है। लिहाजा,समूची सरकार ही इस महाघोटाले में शामिल है!

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