मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य में मर्ज हुआ चिकित्सा शिक्षा विभाग
मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य में मर्ज हुआ चिकित्सा शिक्षा विभागRaj Express

MP News : लोक स्वास्थ्य में मर्ज हुआ चिकित्सा शिक्षा विभाग, हर जिले में खुलेंगे पीएम एक्सीलेंस कालेज

Madhya Pradesh Cabinet Decision : लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा को एक करने से अब विभाग का बजट 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक पहुंच गया ।

हाइलाइट्स :

  • कैबिनेट बैठक में मंगलवार को प्रस्ताव को हरी झंडी दी ।

  • आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2011 संशोधन को मंजूरी

  • एक्सीलेंस कालेज फंड की पूरी व्यवस्था राज्य सरकार करेगी।

Madhya Pradesh Medical Education Department merged with Public Health : भोपाल। मध्यप्रदेश में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग अब अलग- अलग नहीं होंगे। राज्य सरकार ने चिकित्सा शिक्षा विभाग का विलय लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में कर दिया है। अब एक ही विभाग के तहत चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई होगी, वहीं सरकारी अस्पतालों में मिल रही स्वास्थ्य सेवाएं पहले की तरह मिलती रहेंगी। दोनों ही विभागों को एक करने से अब विभाग का बजट 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक पहुंच गया है। इसके अलावा अब हर जिले में पीएम एक्सीलेंस कालेज खोले जाएंगे। इसमें बेहतर अंक लाने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा। इन कालेजों के फंड की पूरी व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। कैबिनेट ने मंगलवार को इस संबंध में पेश प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।

इसी के साथ अब स्वास्थ्य और मेडिकल की पढ़ाई से जुड़े दोनों ही विभाग एक ही छतरी के नीचे काम करेंगे। इन दोनों ही विभाग के मंत्री भी एक ही होंगे, वहीं अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव भी एक ही होंगे। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग का बजट लगभग 12 हजार करोड़ रुपए है, वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग का बजट 3200 करोड़ रुपए है। इस तरह अब दोनों ही विभागों के लिए एक ही बजट जारी होगा, जिससे विभाग का बजट अब 15 हजार करोड़ रुपए को पार कर गया है।

अब तक लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पास शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में केवल स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी थी, इस विभाग के तहत सभी जिलों में जिला अस्पताल के अलावा सिविल अस्पताल, उप स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चलाने की जिम्मेदारी थी। विभाग के तहत ही आशा कार्यकर्ता भी हैं, जो कि गांवों में रहकर तात्कालिक रूप से प्रसव सहित अन्य सुविधा उपलब्ध कराने में हितग्राही की मदद करती हैं। इसी तरह चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत मेडिकल की पढ़ाई होती थी, मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल भी होते हैं।

पहले तो इन अस्पतालों को केवल रेफरल के लिए बनाया गया था, लेकिन अब रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बगैर रेफरल के भी रोगियों को सीधे भर्ती कर लिया जाता है। प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और उनसे संबद्ध अस्पतालों के लिए व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी अब तक इस विभाग के कंधे पर थी, लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग ही ये जिम्मेदारी भी निभाएगा।

प्रदेश में अब लगभग 25 मेडिकल कॉलेज हो गए हैं, जिनमें एमबीबीएस की सीटें बढ़कर 3605 तक जा पहुंची है। इसी तरह पीजी के लिए सीटें बढ़कर 915 तक जा पहुंची है। चिकित्सा महाविद्यालयों से ही संबद्ध नर्सिंग कॉलेज भी हैं। अब नई व्यवस्था में जिला अस्पतालों में भी ट्रेनी नर्सिंग छात्राओं की सेवाएं ली जाएंगी। इसी तरह पेरामेडिकल में भी ट्रेनी का लाभ स्वास्थ्य विभाग को मिलेगा।

नर्सिंग और पेरामेडिकल की पढ़ाई भी करा सकेंगे आयुर्वेदिक विवि :

कैबिनेट ने मप्र आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2011 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब इन विवि को भी नर्सिंग और पेरामेडिकल की पढ़ाई कराने का अधिकार मिल गया है। अब तक ये जिम्मेदारी केवल चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास थी।

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