भोपाल : मेडिकल विश्वविद्यालय की गलती, भुगत रहे छात्र

भोपाल, मध्य प्रदेश : मेडिकल विश्वविद्यालय, जबलपुर की लापरवाही और गैरजिम्मेदार रवैये का नतीजा राजधानी सहित प्रदेश भर के छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है।
मेडिकल विश्वविद्यालय की गलती, भुगत रहे छात्र
मेडिकल विश्वविद्यालय की गलती, भुगत रहे छात्रRaj Express

भोपाल, मध्य प्रदेश। मेडिकल विश्वविद्यालय, जबलपुर की लापरवाही और गैरजिम्मेदार रवैये का नतीजा राजधानी सहित प्रदेश भर के छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। परीक्षा देने के बाद नर्सिंग के विद्यार्थी रिजल्ट जारी करने की गुहार लगा रहे हैं। विवि, विद्यार्थियों को नर्सिंग काउंसिल और कॉलेज का दरवाजा खटखटाने की सलाह दे रहा है। नर्सिंग के हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य दाव पर लग हुआ है, जिनकी डिग्री चार साल की जगह छ: वर्षों में पूरी नहीं हो सकी है। अब भी उनके परीक्षा परिणाम जारी नहीं किए गए हैं और उन्हें दुबारा परीक्षा देने को कहा जा रहा है। ऐसे में इन विद्यार्थियों को डिग्री पूरी करने में और समय लगेगा।

क्या है मामला :

दरअसल, विवि ने 9 जनवरी 2020 को परीक्षा के संबंध में अधिसूचना जारी की थी, जिसके अनुसार वे विद्यार्थी जिनका परीक्षा परिणाम जारी नहीं हुआ था, वे शपथ पत्र देकर पूर्व वर्ष की परीक्षा के साथ ही आगामी वर्ष की परीक्षा में भी सम्मिलित हो सकते थे। साथ ही यह भी कहा गया था कि पूर्व वर्ष का परिणाम में यदि छात्र फेल होगा, तो उसके द्वारा दी गई आगामी वर्ष की परीक्षा निरस्त कर दी जाएगी। इसके आधार पर छात्र-छात्राओं ने तीसरे वर्ष के रूके विषयों के साथ ही चौथे वर्ष के एग्जाम भी दे दिए। अब वे विद्यार्थी तीसरे वर्ष में उत्तीर्ण भी हो चुके हैं, लेकिन अब विवि नर्सिंग काउंसिल के नियम का हवाला देते हुए उनका चौथे वर्ष का रिजल्ट जारी नहीं कर रहा है। विवि का कहना है कि एक वर्ष में एक साथ दो परीक्षाओं में पास नहीं किए जाने का नर्सिंग काउंसलिंग का नियम है। अब सवाल यह उठता है कि यदि ऐसा नियम है तो विवि ने उनकी परीक्षा ली ही क्यों ?

गौरतलब है कि राजधानी सहित प्रदेश भर में नर्सिंग के 400 से ज्यादा कॉलेज हैं, जिनमें किसी कॉलेज के 12, तो किसी कॉलेज के 15 विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम इसी तरह लंबित हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो करीब पांच हजार से ज्यादा विद्यार्थियों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है।

विवि दे रहा है दलीलें :

नियमों का हवाला देते हुए विवि इन विद्यार्थियों को दुबारा परीक्षा देना कह रहा है। विवि के अनुसार इन छात्र-छात्राओं के परीक्षा फार्म कॉलेज ने भरवाए थे, इसलिए इस गलती के जिम्मेदार कॉलेज हैं। बच्चों को वहां जाकर पूछना चाहिए। हम इनका रिजल्ट जारी कर भी देते हैं, तो नर्सिंग काउंसिल इनके रिजल्ट को नहीं मानेगी। ऐसे में इन बच्चों की डिग्री को वैध नहीं माना जाएगा। विवि के अधिकारियों ने विद्यार्थियों को नर्सिंग काउंसिल से बात करने की सलाह दी है।

क्या है छात्र-छात्राओं का कहना :

हमने लोन लेकर पढ़ाई की है, समय पर कोर्स पूरा नहीं होने के कारण हम आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान हैं।

छात्रा- सृष्टि पाण्डोले, छात्र- सूर्य प्रकाश परमार

विश्वविद्यालय हमारा अंतिम वर्ष का परीक्षा परिणाम जारी नहीं कर रहा है। हम बाकयदा फार्म भरकर एक बार पेपर दे चुके हैं, अब दुबारा क्यों दें?

छात्र, राजेश लोधा

एक्शन में आई एनएसयूआई मेडिकल विंग :

छात्रों के साथ है एनएसयूआई विश्वविद्यालय की स्थिति बहुत खराब है। हजारों विद्यार्थी विवि की मनमानी और समय पर सत्र पूरा ना होने से परेशान हैं। समस्याओं का निराकरण जल्द नहीं हुआ तो एनएसयूआई राजभवन का घेराव करेगी।

रवि परमार, प्रदेश समन्वयक, एनएसयूआई मेडिकल विंग

जवाबदारों के बयान अलग-अलग :

हम नियम अनुसार और छात्र हित को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द निर्णय लेंगे। छात्रों ने परीक्षा दी है तो उसका परिणाम नियमानुसार जारी करेंगे।

डॉ, टीएन दुबे, कुलपति, मेडिकल विवि, जबलपुर

नर्सिंग काउंसिल के नियमों के कारण रिजल्ट जारी नहीं किया गया है। नोटिस में त्रुटि हो गई थी कि वर्ष नहीं लिखे गए। तृतीय और चतुर्थ वर्ष की परीक्षा विद्यार्थी साथ में नहीं दे सकता, यह नर्सिंग काउंसलिंग का नियम है। इस मामले को हम कल कार्यपरिषद की बैठक में रखेंगे।

सुनिता देवडी़, सहायक कुलसचिव, मेडिकल विवि, जबलपुर

नियमानुसार एक साथ दो वर्षों की परीक्षा या परिणाम जारी नहीं हो सकते हैं। विश्वविद्यालय को कोई भी निर्णय लेने के पहले नर्सिंग काउंसलिंग से चर्चा करनी चाहिए थी। यह सप्लीमेंट्री वाले स्टूडेंट्स का मामला है, अब परीक्षा हो गई है तो उस नियमानुसार विचार करेंगे।

चंद्रकला, रजिस्ट्रार, मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल

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