खूनी गोटमार मेले में 358 से अधिक घायल

नगर में देर शाम तक जोश और जुनून से चले गोटमार मेले के दौरान सावरगांव और पांढुर्णा के बीच हुए खूनी पत्थर के खेल में आज लगभग 358 से अधिक खिलाड़ी घायल हो गए।
खूनी पत्थर के खेल में आज लगभग 358 से अधिक खिलाड़ी घायल हो गए।
खूनी पत्थर के खेल में आज लगभग 358 से अधिक खिलाड़ी घायल हो गए।राज एक्सप्रेस संवाददाता

छिंदवाड़ा/पांढुर्णा, मध्यप्रदेश। नगर में देर शाम तक जोश और जुनून से चले गोटमार मेले के दौरान सावरगांव और पांढुर्णा के बीच हुए खूनी पत्थर के खेल में आज लगभग 358 से अधिक खिलाड़ी घायल हो गए, परंतु अधिकारिक प्रशासकीय अधिकारियों के अनुसार घायलों की संख्या 50 बताई गई। इस बार पांढुर्णा पक्ष के खिलाड़ी शाम तक झंडे को कुल्हाड़ी से काटने में सफल नहीं हो पाए। इसलिए सावरगांव पक्ष पांढुर्णा को झंडा सौंपने के लिए राजी हो गया। पांढुर्णा और सावरगांव की शांति समिति तथा प्रशासन के आला अधिकारियों ने आपस में बेहतर तालमेल बनाते हुए दिन ढलने के बाद जाम नदी के बीच में गड़े झंडे को जेसीबी एवं रस्सियों की मदद से खींच कर बाहर निकाला।

इस पलाश पेड़ रूपी पवित्र झंडे को सावरगांव और पांढुर्णा के भक्तजनों ने मिलजुल कर चंडी माता की जय नारे लगाते हुए समीप स्थित चंडी माता मंदिर ले गए। इस मंदिर में हजारों भक्त जनों ने पूजा अर्चना के बाद पलाश के पेड़ रूपी झंडे की पत्तियों को अगले बरस फिर से गोटमार मेले में आने का निर्धार करते हुए प्रसाद के रूप में अपने साथ घर ले गए।

युवा खिलाडिय़ों की रही अधिकता

कल शाम बैल पोला के बाद ही सावरगांव और पांढुर्णा के युवाओं में गोटमार मेले के प्रति काफी अधिक उत्साह देखा गया। यह युवा बड़े-बड़े समूह में कल शाम से ही गोटमार स्थल पर एकत्र होकर चंडी माता की जय ऐसे जयकारे लगाते देखे गए। गौरतलब है कि पिछले वर्ष कोरोना प्रकोप की वजह से प्रशासन ने गोटमार मेले पर काफी सख्ती दिखाई थी जिसकी वजह से यह मेला सांकेतिक रूप से ही हो पाया था।

तड़के 6 बजे गड़ा झंडा

बीते लगभग 400 साल से चली आ रही परंपरा निभाते हुए सावरगांव निवासी सुरेश कावले के परिवार ने अपने घर में झंडे की पूजा अर्चना की। इसके उपरांत सावरगांव वासियों ने पलाश के पेड़ रूपी झंडे को जाम नदी के बीचों-बीच लाकर विधिवत पूजन कर गाड़ दिया। इसके बाद लगभग 11 तक पांढुर्णा और सावरगांव के श्रद्धालु एवं चंडी माता के भक्त जनों ने झंडे के करीब जाकर अपनी आस्था के अनुरूप पूजन किया। दिन में 12 बजे से गोटमार मेला आरंभ हो गया।

हालांकि दर्शकों और पत्थर चलाने वाले खिलाडिय़ों का उत्साह दोपहर 2 बजे के बाद ही चरम पर होता है। शाम को करीबन 5:30 बजे सावरगांव पक्ष ने नदी के बीच जाकर झंडा उठाया लेकिन पांढुर्णा को सौंपने से इंकार कर दिया और गोटमार करीब 6:00 बजे तक चलता रहा इस बीच सुबह से लेकर शाम तक करीबन 500 लोग पत्थरबाजी में घायल हो गए। इनमें से तीन गंभीर घायलों को नागपुर रेफर किया गया है, वहीं एक को छिंदवाड़ा रेफर किया गया।

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