Amendment in MP Civil Service Pension Rules-1976
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MP News: चाहे जांच चले या मामला कोर्ट में हो, पेंशन नहीं रोक सकेंगे, वित्त विभाग ने नियम में किया संशोधन

Amendment in MP Civil Service (Pension) Rules-1976 : वित्त विभाग ने ऐसा संशोधन किया है, जिसे दो-चार वर्ष नहीं बल्कि 12 दिसंबर 1990 से प्रदेश में लागू किया गया है।

भोपाल। राज्य सरकार ने सरकारी नियमों में एक ऐसा संशोधन किया है जो कि इस वर्ष या फिर एक-दो या फिर दो-चार वर्ष पुराने बैकडेट से नहीं बल्कि पूरे 32 वर्ष के बैकडेट से प्रदेश में लागू होगा। जी हां...। वित्त विभाग ने ऐसा ही संशोधन किया है, जिसे दो-चार वर्ष नहीं बल्कि 12 दिसंबर 1990 से प्रदेश में लागू किया गया है। इतने अधिक बैकडेट से लागू होने वाला ये संशोधन संभवत: हाल के वर्षों का राज्य सरकार द्वारा लागू किया गया पहला मामला हो सकता है।

वित्त विभाग ने जो संशोधन किया है, उसके मुताबिक प्रदेश के ऐसे पेंशनरों को बड़ी राहत मिल गई है, जिनके रिटायरमेंट के समय उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही होती है या फिर उनसे संबंधित कोई मामला कोर्ट में विचाराधीन होता है। अब नए संशोधन के मुताबिक शासकीय सेवक के खिलाफ चाहे विभागीय जांच चल रहा हो या फिर मामला कोर्ट में लंबित हो, तो फिर उनका न तो पेंशन रुकेगा और न ही ग्रेच्यूटी। विभागों के लिए ये जरुरी होगा कि उन्हें प्रोविजनल पेंशन का लाभ दें, जो कि उनके मूल पेंशन के लगभग बराबर होगा। इसी तरह उन्हें प्रोविजनल ग्रेच्यूटी का भी फायदा मिल सकेगा। ऐसे मामलों को लेकर वित्त विभाग ने मप्र सिविल सेवा (पेंशन )नियम-1976 में संशोधन कर दिया है।

अंतरिम पेंशन के बारे में ये किया प्रावधान

वित्त विभाग ने नियमों में संशोधन किया है उसके मुताबिक कार्यालय प्रमुख, शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की तारीख या यदि वह सेवानिवृत्ति की तारीख को निलंबन के अधीन था, तो उस तारीख तक जो उस तारीख के ठीक पूर्व की थी, जिसको कि उसे निलंबन के अधीन रखा गया था। अर्हकारी सेवा के आधार पर अधिकतम पेंशन के बराबर प्रोविजनल पेंशन अधिकृत करेगा। संशोधन नियमों में ये भी साफ किया गया है कि कार्यालय प्रमुख द्वारा सेवानिवृत्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक तथा उस तारीख को शामिल करते हुए, जिसको कि विभागीय या न्यायिक कार्यवाहियां समाप्त होने के बाद, सक्षम प्राधिकारी द्वारा अंतिम आदेश पारित किए किए, सेवानिवृत्त शासकीस सेवक को भुगतान की जाएगी।

ग्रेच्युटी के मामले में किया ये प्रावधान

संशोधन में ये भी प्रावधान किया गया है कि विभागीय या न्यायिक कार्यवाहियां समाप्त होने और उन पर अंतिम आदेश जारी होने तक शासकीय सेवक को किसी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाएगा, लेकिन जहां विभागीय कार्यवाहियां मप्र सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 16 के अधीन, उक्त नियमों के नियम 10 के खंड 1, 2 और 4 में तय कोई पेनाल्टी लगाने के लिए संस्थित की गई है तो वहां शासकीय सेवक को नियम के अधीन ग्रेच्यूटी का 90 फीसदी तक अंतरिम भुगतान किये जाने के लिए प्राधिकृत किया जाएगा।

प्रोविजनल पेंशन प्रदान करना अनिवार्य

ये भी प्रावधान किया गया है कि प्रोविजनल पेंशन, ग्रेच्यूटी के भुगतान, ऐसी कार्यवाहियों के समापन पर ऐसे शासकीय सेवक को स्वीकृत अंतिम सेवानिवृत्ति लाभों के विरुद्ध समायोजित किए जाएंगे, लेकिन जहां अंतिम रूप से स्वीकृत पेंशन, ग्रेच्यूटी, प्रोविजनल पेंशन या ग्रेच्यूटी से कम है या कम किया जाता है अथवा या तो स्थायी रूप से या निश्चित समयावधि के लिए रोक लगाई जाती है, वहां वसूली नहीं की जाएगी। वित्त विभाग ने संशोधन में साफ किया है कि विभागीय या न्यायिक कार्यवाही जारी रहने पर भी नियम-64 के तहत प्रोविजनल पेंशन प्रदान किया जाना अनिवार्य है।

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