शासकीय सेवकों की सर्विस बुक
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अब टेबल टूल नहीं बनेगी शासकीय सेवकों की सर्विस बुक - भौतिक रूप से सर्विस बुक देने के चलन पर लगेगी रोक

Madhyapradesh : वित्त विभाग ने इस संबंध में नई व्यवस्था तय कर दी है, जिसके तहत सर्विस बुक को वेतन निर्धारण के लिए भौतिक रूप से पेश करना अनिवार्य नहीं होगा।

भोपाल। किसी भी शासकीय सेवक के वेतन निर्धारण के लिए उसके सर्विस बुक यानी सेवा पुस्तिका की जरुरत पड़ती है। वित्त विभाग में जो नई व्यवस्था आईएफएमआईएस लागू की गई है, उसके तहत ये जरुरी है, लेकिन अब ये सर्विस बुक शासकीय सेवकों के वेतन निर्धारण के लिए एक अफसर से दूसरे अफसरों के टेबिल- टेबिल नहीं भटकेगी। सर्विस बुक के टेबिल टूल बनने के चलन पर अब पूरी तरह रोक लगने जा रही है।

वित्त विभाग ने इस संबंध में नई व्यवस्था तय कर दी है, जिसके तहत सर्विस बुक को वेतन निर्धारण के लिए भौतिक रूप से पेश करना अनिवार्य नहीं होगा। इसके लिए जो नई व्यवस्था तय की गई है, उसके तहत इसे अब ऑनलाइन ही देना होगा। इससे प्रदेश के शासकीय सेवकों को बड़ी राहत मिल गई है। दरअसल वेतन निर्धारण के लिए सर्विस बुक एक टेबिल से दूसरे टेबिल पर अफसरों के पास चक्कर लगाते रहती है।

कई बार तो अफसरों की लापरवाही और उदासीनता का खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। नतीजा ये होता है कि समय पर वेतन का निर्धारण ही नहीं हो पाता। वेतन निर्धारण के लिए शासकीय सेवकों को सरोकार रखने वाले अफसरों के पास याचना भी करना पड़ता है और कई बार तो मामला अघोषित लेन-देन तक भी पहुंचता है। इसी चलन को देखते हुए ही वित्त विभाग ने नई व्यवस्था लागू की है, जिसे अब पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है।

ई- साईन की व्यवस्था लागू होगी

वित्त विभाग ने जो नई व्यवस्था लागू की है, उसमें वेतन निर्धारण के लिए संबंधित अफसरों के लिए ई- साईन की व्यवस्था लागू होगी। मौजूदा समय में जितने प्रकरण संभागों में होंगे, उनमें संयुक्त संचालक ई- साईन करेंगे और फिर उसके बाद कार्यालय प्रमुख की जिम्मेदारी होगी कि वह ई- साईन के बाद प्रकरण को डाउनलोड कर उस पर भौतिक रूप से हस्ताक्षर करेंगे और फिर संबंधित शासकीय सेवक की सर्विस बुक पर चस्पा करेंगे।

समय पर नहीं भेजा जाता सर्विस बुक

आयुक्त कोष एवं लेखा ने इस संबंध में जो नई प्रक्रिया तय करते हुए पत्र लिखा है , उसके मुताबिक वेतन निर्धारण के लिए वित्त विभाग द्वारा मंगाई जाने वाली सर्विस बुक को संबंधित कार्यालय प्रमुख द्वारा आमतौर पर संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा को समय पर नहीं भेजा जाता है। इसी के चलते संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय में आईएफएमआईएस लॉगिन में वेतन निर्धारण का मामला लंबित पड़ा रहता है। ऐसे में अधिकारी- कर्मचारियों का वेतन निर्धारण तय समय पर नहीं हो पाता है। इसलिए अब वेतन निर्धारण केवल आईएफएमआईएस के माध्यम से ही किया जाएगा। विशेष प्रकरणों को छोड़कर फिजिकली सर्विस बुक कार्यालय प्रमुख द्वारा संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा को भेजने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। ऐसे मामलों मेें कार्यालय प्रमुख के लिए जो दायित्व तय किए गए हैं उसके मुताबिक कार्यालय प्रमुख इसी माड्यूल पर वेतन निर्धारित करेंगे।

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