नर्सिंग ऑफीसरों को हड़ताल पड़ गई महंगी, कार्यवाही शुरू
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नर्सिंग ऑफीसरों को हड़ताल पड़ गई महंगी, कार्यवाही शुरू -भोपाल संभाग में ब्रेक इन सर्विस का मांगा प्रस्ताव

Nursing Officer Strike: सभी सीएमएचओ एवं अस्पताल अधीक्षकों के माध्यम से 15 दिवस में हड़ताली नर्सिंग अधिकारी और कर्मचारियों से जवाब मांगा गया है।

हाईलाइट्स:

  • नर्सिंग ऑफीसरों पर विभाग ने कड़ी कार्यवाही की तैयारी की है।।

  • विभाग ने हड़ताल को कदाचरण और अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना है।

  • 10 जुलाई को महिला एवं पुरूष नर्सिंग ऑफीसर ने की थी हड़ताल ।

भोपाल। नर्सिंग आफीसरों को पिछले दिनों हड़ताल करना महंगा पड़ गया है। विभाग ने इन पर कड़ी कार्यवाही की तैयारी की है। भोपाल संभाग में क्षेत्रीय संचालक ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को हड़ताल करने वाले नर्सिंग कर्मचारी और अधिकारियों की ब्रेक इन सर्विस का प्रस्ताव मांगा है। सागर संभाग में कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। शासन के निर्देश पर संभागों के क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवा ने यह आदेश निकाले हैं। 10 जुलाई को अस्पतालों में काम बंद कर महिला एवं पुरूष नर्सिंग ऑफीसर एवं कर्मचारियों ने हड़ताल की थी। हर जिले में इन्होंने अस्पतालों के सामने तंबू तानकर प्रदर्शन किया था।

इनकी हड़ताल से जब मरीजों को परेशानी हुई तो विभाग ने पूरे राज्य से रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद विभाग ने सभी क्षेत्रीय संचालकों को निर्देश दिए थे कि इन पर कठोर कार्यवाही की जाए। भोपाल संभाग में क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और अस्पताल अधीक्षकों से हड़ताली नर्सिंग अधिकारी और कर्मचारियों की ब्रेक इन सर्विस का प्रस्ताव मांगा है। इनसे कहा गया है कि कार्यालय की बेबसाइट पर हार्ड एवं साफ्ट कापी में प्रस्ताव भेजना सुनिश्चित किया जाए।

इधर सागर संभाग में स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय संचालक ने इनकी हड़ताल को कदाचरण एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना है। यहां सभी सीएमएचओ एवं अस्पताल अधीक्षकों के माध्यम से 15 दिवस में हड़ताली नर्सिंग अधिकारी और कर्मचारियों से जवाब मांगा गया है। अगर इस अवधि में जवाब नहीं आया तो इन पर प्रस्तावित एकतरफा कार्यवाही की जाएगी। जानकारी है कि इंदौर और ग्वालियर सहित अन्य शहरों में भी हड़ताल करने वालों को नोटिस दिए गए हैं। इधर इस कार्यवाही का कर्मचारियों के संघों ने विरोध किया है। स्वास्थ्य कर्मचारी एवं पुरानी पेंशन बहाली के अध्यक्ष प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह कार्यवाही गलत है। लोकतंत्र में अपनी बात रखने का सभी को अधिकार है।

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