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बीच सत्र में युक्ति युक्त करण प्रक्रिया का विरोध, मप्र शिक्षक कांग्रेस ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश : ज्ञापन का मुख्य विषय बीच सत्र में युक्ति युक्त कारण अतिशेष की कार्यवाही है, क्योंकि अतिशेष की जो सूची जारी की गई है उसमें अनेक भ्रांतियां विसंगति है।

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस के आह्वान पर मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस ने मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री के नाम शिक्षा विभाग में विसंगति पूर्ण अतिशेष की कार्रवाई के विरोध में जिला शाखा द्वारा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन का मुख्य विषय बीच सत्र में युक्ति युक्त कारण अतिशेष की कार्यवाही है, क्योंकि अतिशेष की जो सूची जारी की गई है उसमें अनेक भ्रांतियां विसंगति है।

मप्र शिक्षक कांग्रेस जिलाध्यक्ष अखिलेश दुबे ने बताया कि अतिशेष की कार्रवाई प्रदेश स्तर से होने से जिला स्तर की समस्याएं ठीक नहीं हो पा रही है, क्योंकि पोर्टल द्वारा कुछ खास बिंदुओं पर ही सुधार किए जा सकते हैं, जिससे शिक्षक बीच सत्र में परेशान हो रहे हैं एवं समस्याएं सुधार का जो काम जिला स्तर पर होना था वह प्रदेश स्तर से नहीं हो पाएगा। गत वर्ष नए शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी, उनके स्थानांतरण से अनेक शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आ गए। बार-बार पद संरचना बदलने से कई शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आ गए। माध्यमिक स्तर पर विज्ञान का पद पांचवे नंबर पर होने से कई शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आ गए, इसी प्रकार कई विषयों के शिक्षक अतिशेष हो गए। एक शाला एक परिसर के कारण पदों की संख्या कम होने से कई शिक्षक अतिशेष होगे, ऐसे अनेक कारण है जिनसे यह विसंगति बनी हुई है।

जब तक इनका समाधान नहीं होता तब तक युक्ति युक्त कारण की कार्रवाई नहीं की जाना चाहिए एवं पहले पदनाम परिवर्तन एवं पदोन्नति की कार्यवाही करें, जिससे कि अनेक शिक्षक शालाओं में ही समायोजित हो सकते हैं एवं समस्या का निदान भी निकल सकता है। मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस यह मांग करता है कि तत्काल इस पर रोक लगाई जाए। कर्मचारियों ने उपरोक्त बिन्दुओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए इस विसंगति पूर्ण युक्तियुक्त करण स्थानांतरण प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।

अखिलेश दुबे ने कहा कि वर्तमान शिक्षण सत्र 20, 22, 23 के पूर्ण होने से पहले माह मार्च 2023 में परीक्षा एवं परीक्षा परिणाम ही शेष रह गये हैं, ऐसी स्थिति में शिक्षकों को अतिशेष कर दूसरी शालाओं में भेजने पर शैक्षणिक व्यवस्था में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे विद्यार्थियों के अंतिम माह फरवरी में परीक्षा तैयारी एवं विषय शिक्षकों को यह ज्ञात होता है कि हमें किस विद्यार्थी से कितनी मेहनत करवाना है। नये शिक्षक आने पर 20 बीस दिनों में संंभव नहीं हो सकता है। श्री दुबे ने बताया कि जब शाला में शिक्षक की पदस्थापना की गई तो वह शिक्षक कैसे अतिशेष हो गया, जबकि विभाग द्वारा शिक्षकों की विधिवत पदस्थापना की है और तो और शालाओं में शिक्षकों को पदस्थापना दी जा रही है, जो विसंगतिपूर्ण है। ज्ञापन सौंपने वालों में रामनरेश त्रिपाठी, बीपी पठारिया सहित अनेक पदाधिकारी एवं शिक्षक मौजूद रहे।

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